भारत के साथ अपने द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए ऑस्ट्रेलियाई सरकार इस साल के अंत तक भारत को यूरेनियम निर्यात पर लगे प्रतिबंध की समीक्षा कर सकती है और संभवत: इसे खत्म भी कर सकती है.
ऑस्ट्रेलियाई अखबार द ऑस्ट्रेलियन की रिपोर्ट में कहा गया, ‘इस साल के अंत तक, जूलिया गिलार्ड सरकार भारत और अमेरिका के साथ देश के संबंधों को प्रभावित करने वाले दो बहुत बड़े निर्णय ले सकती हैं. पहला निर्णय अमेरिकी सैन्यबलों को उत्तरी ऑस्ट्रेलिया में ज्यादा पहुंच मुहैया कराएगा. इसका असर अंतत: यह हो सकता है कि अमेरिकी पोत ऑस्ट्रेलिया में तैनात होंगे.
दूसरी तरफ, ऑस्ट्रेलियाई यूरेनियम को भारत को बेचने संबंधी लगे प्रतिबंध को भी हटाया जा सकता है.’ रिपोर्ट के अनुसार सरकार के इन दोनों निर्णयों के केंद्र में चीन है. विदेश मामलों के विशेषज्ञ ग्रेग शेरी द्वारा लिखे गए इस लेख में कहा गया है, ‘मेरा मानना है कि दिसंबर में लेबर पार्टी के राष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान गिलार्ड सरकार के वरिष्ठ मंत्री इस नीति को बदलने के लिए ठोस कदम उठाएंगे.’
गौरतलब है कि अगर ऑस्ट्रेलिया, भारत पर लगे निर्यात संबंधी प्रतिबंध को हटाने के लिए प्रस्ताव लाता है तो उसमें दो चीजें हो सकती हैं. पहला तो यह कि आवश्यक सुरक्षा मानकों के आधार पर वह (ऑस्ट्रेलिया) भारत को विशेष छूट दे सकता है या फिर संघीय मंत्रिमंडल को ऐसी शक्ति प्रदान की जा सकती है कि वह किसी भी आधार पर छूट दे सके.
दूसरी तरफ, रिपोर्ट में इस बात की ओर ध्यान खींचा गया है कि परमाणु संपन्न बड़े देश भारत के साथ परमाणु व्यापार कर रहे हैं और अमेरिका ने भारत के साथ असैन्य परमाणु समझौते पर हस्ताक्षर किया है.
रिपोर्ट कहती है, ‘यह भारत को आपूर्ति किए जाने वाले यूरेनियम की सुरक्षा का मुद्दा नहीं है. निश्चित रूप से, यह भारत के साथ रणनीतिक साझेदारी को बढ़ाने का संकल्प है. देश की यूरेनियम नीति और चीन को यूरेनियम बेचने और भारत को नहीं बेचने के हमारे पाखंड पर सार्वजनिक रूप से भ्रम फैलाकर भारत काफी गौरवान्वित है.’