बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून के तहत सूचना मांगने वाले आवेदकों को प्रताड़ित करने के मामले में दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी और इसकी निगरानी करने का अधिकार राज्य सूचना आयोग (एसआईसी) को भी दिया जाएगा.
सूचना के अधिकार पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में नीतीश ने कहा, ‘आरटीआई के तहत सूचना मांगने वालों को झूठे मामले में फंसाने, प्रताड़ित करने और उन पर हमला करने की शिकायतें मिलती रहती है. ऐसे मामलों में शिकायतों पर राज्य के गृह विभाग के प्रधान सचिव और पुलिस महानिदेशक कार्रवाई करते हैं, लेकिन अगले कदम के तौर पर राज्य सूचना आयोग को भी ऐसे मामलों की निगरानी के अधिकार दिये जायेंगे.’
नीतीश ने कहा कि आरटीआई के तहत सूचना मांगने वालों को प्रताडित करने के मामले में कड़ी कार्रवाई होगी. इस मामले में डीजीपी और गृह विभाग के प्रधान सचिव से जांच के अलावा एक और रास्ता खोलना चाहिए और एसआईसी को मजबूत करना चाहिए. राज्य में यह अधिकार आयोग को दिया जाएगा. उन्होंने कहा, ‘आरटीआई में बिहार ने बहुत उल्लेखनीय काम किया है. अग्रोन्मुखी संभावनाओं के तहत सूचना आयोग को भी व्यापक अधिकार दिया जाना चाहिए. भले ही आरटीआई कानून में प्रताड़ना की जांच का अधिकार आयोग को नहीं है, लेकिन कानून में संशोधन कर यह अधिकार दिया जा सकता है.’
मुख्यमंत्री एसके मेमोरियल सभागार में आयोजित ‘सूचना के अधिकार अधिनियम के कार्यान्वयन के छह वर्ष अग्रोन्मुखी संभावनाएं’ विषयक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे. नीतीश ने कहा कि सूचना आयोग को व्यापक अधिकार दिया जाना चाहिए. प्रताड़ना के मामले में आयोग के अधिकार को संस्थागत रूप देने की दरकार है ताकि यह गृह विभाग और मानवाधिकार के साथ ही आवेदकों के हित का सेफगार्ड का काम करे. दंडित करने और सूचना में आयोग एक माध्यम साबित हो.
नीतीश ने कहा कि राज्य में यह सुनिश्चित किया जाएगा कि जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक से नीचे के अधिकारियों के खिलाफ आरोप के मामले में पुलिस अधीक्षक जांच करे और पुलिस अधीक्षक तथा जिलाधिकारी के खिलाफ आरोप हो तो डीआईजी जांच कर एक माह के भीतर फैसला सुनाये. राज्य में इस प्रावधान की व्यवस्था की जाएगी. मुख्यमंत्री ने कहा, ‘आरटीआई से गड़बड़ी करने वालों को ही डरने की दरकार है. गलत काम नहीं करने की मंशा वालों के लिए कोई दिक्कत नहीं है.’’
लोकतंत्र और सरकार में आरटीआई के कारण पारदर्शिता आने का उल्लेख करते हुए नीतीश ने कहा, ‘अब गोपनीयता का स्थान पारदर्शिता ने ले लिया है. आरटीआई के कारण लोकतंत्र सशक्त हुआ है. कई राज्यों में कानून के सरलीकरण के अलग अलग प्रयोग हुए हैं. बिहार ने तो निरक्षर लोगों को भी ध्यान में रखकर ‘जानकारी’ काल सेंटर बनाया है. अब तक इस टेलीफोन कॉल सेंटर में 1.06 लाख फोन काल आ चुके हैं.’
उन्होंने कहा कि आरटीआई का इस्तेमाल करते करते निर्णय लेने की जानकारी प्राप्त करने वाला यदि राजनीति में आये तो लोकतंत्र का भला होगा. राजनीति और लोकतंत्र को स्वच्छ बनाने के लिए यह बेहतरीन विकल्प है. उन्होंने कहा कि जहां भी जनता का पैसा लगे चाहे कारपोरेट हाउस हो या सार्वजनिक निजी भागीदारी :पीपीपी: की योजनाएं सभी को सूचना के अधिकार के दायरे में लाया जाना चाहिए.
मुख्यमंत्री ने कहा कि उन अक्षम अधिकारियों पर भी कार्रवाई होनी चाहिए जो अपना दायित्व निर्वहन में विफल रहते हैं. दायित्व का पालन नहीं करते और गडबड़िया नहीं रोक पाते. नीतीश कुमार ने कहा, ‘घोटाले उजागर हो जाते हैं. गडबडी करने वालों को कानून से दंड मिल जाता है, लेकिन वे लोग बच जाते हैं जो अपने दायित्व पालन में कुछ नहीं करते. अक्षम होने के कारण गडबडी नहीं रोकते उन पर भी कार्रवाई होनी चाहिए. जवाबदेही होने पर भी चुपचाप रहते हैं, ऐसे नौकरशाहों को भी दंडित करना चाहिए.’
कार्यक्रम में उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने भी अपने विचार रखे. मोदी ने कहा कि सूचना के अधिकार को बिना मतलब इस्तेमाल न हो इसका भी संतुलन रखना चाहिए. मोदी ने तमिलनाडु के एक आरटीआई कार्यकर्ता द्वारा कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी की बीमारी और 10 साल के आयकर रिटर्न मांगे जाना का मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा, ‘ऐसे मामले निजता के होते हैं. तीसरे पक्ष द्वारा गलत प्रयोग की आशंका बनी रहती है.’