उच्चतम न्यायालय द्वारा राज्य सरकार को भूमि को उनके मूल मालिकों को लौटाने के आदेश से करीब 6,000 खरीददार प्रभावित होंगे. इन लोगों ने रीयल्टी कंपनी आम्रपाली द्वारा ग्रेटर नोएडा में बनाए जा रहे आवासीय परिसर में फ्लैट बुक कराए हैं.
हालांकि रीयल्टी कंपनियों के शीर्ष संगठन केड्राई ने प्रभावित लोगों को भरोसा दिलाया है कि या तो उन्हें अन्य परियोजनाओं में स्थानांतरित किया जाएगा या फिर उनका पैसा लौटाया जाएगा.
न्यायालय के आदेश के बाद सात रीयल्टी कंपनियों को जमीन लौटानी होगी. इनमें आम्रपाली सबसे बड़ी कंपनी है. कंपनी ने 3,000 खरीदारों को पहले ही अपनी दूसरी परियोजना में स्थानांतरित कर दिया है और इसके लिए मूल्य भी नहीं बढ़ाया है.
आम्रपाली ने कहा है कि वह गेट्रर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण से मिली 40 एकड़ जमीन लौटा देगी. वहीं इन सात कंपनियों में दूसरी सबसे बड़ी कंपनी सुपरटेक ने कहा, ‘‘यह उन लोगों की जीत है, जो स्लम और अनधिकृत कालोनियां बनाना चाहते हैं.’’
उच्चतम न्यायालय ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के उस आदेश को उचित ठहराया था जिसमें ग्रेटर नोएडा में किसानों से 156 हेक्टेयर जमीन लेकर उसे बिल्डरों को देने के आदेश को खारिज कर दिया था.
क्रेडाई (पश्चिमी उत्तर प्रदेश चैप्टर) के अध्यक्ष मनोज गौड़ ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के फैसले से आम्रपाली और सुपरटेक सहित छ:-सात कंपनियों की परियोजनाओं पर असर पड़ा है. इससे करीब 6,000 खरीददार प्रभावित हुए हैं.
इस फैसले से कुल सात बिल्डर प्रभावित होंगे.
प्रभावित बिल्डरों की सूची-
1. अजनारा
2. आम्रपाली
3. सुपरटेक
4. महागुन
5. पंचशील
6. एसजीपी
7. रुद्र ग्रुप
इस फैसले से छह गांवों के किसानों को उनकी जमीन वापस कर दी जाएगी.
गांव की सूची-
1. शाहबेरी
2. सूरजपुर
3. गुलिस्तांपुर
4. बिसरख
5. जलालपुर
6. देवरा
कोर्ट ने इन गांवों के किसानों को उनकी जमीन वापस करने के निर्देश दिए हैं.