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RTI से खुलासा, ‘EVM की सप्लाई के लिए चुनाव आयोग से 9 देश कर चुके हैं संपर्क’

हमारे देश में चुनाव में इस्तेमाल की जाने वाली EVMs के लिए दूसरे देशों से मांग उतनी ही पुरानी है जितना कि उन्हें लेकर राजनीतिक विवाद पुराना है. समय बीतने के साथ दूसरे देशों से ये मांग बढ़ती गई.

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प्रतीकात्मक फोटो
प्रतीकात्मक फोटो

इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीनों (EVMs) से छेड़छाड़ के आरोप विपक्षी पार्टियां गाहे-बगाहे लगाती रहती हैं. इसी मुद्दे को लेकर सत्तारूढ़ पार्टी पर भी निशाना साधा जाता रहा है. वहीं बीते कुछ वर्षों में कम से कम 9 देश भारतीय चुनाव आयोग से इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीनों के लिए आग्रह कर चुके हैं. ये खुलासा सूचना के अधिकार के तहत एक याचिका (RTI) से हुआ है.  

2009 लोकसभा चुनाव के दौरान पहली बार EVMs के दुरुपयोग को लेकर बड़े पैमाने पर राजनीतिक आरोप सामने आए. उस चुनाव में कांग्रेस के नेतृत्व वाले गठबंधन से शिकस्त खाने वाली बीजेपी ने EVMs से छेड़छाड़ का आरोप लगाया था. उस चुनाव के बाद से ही देश में ये राजनीतिक नित्य-कर्म सा बन गया है कि जो भी पार्टी चुनाव में हारती है वो EVMs की विश्वसनीयता पर सवाल उठाती रही है. चाहे वो 2014 के आम चुनाव हों, राज्य विधानसभाओं के चुनाव हों, यहां तक कि उपचुनाव हों, सब जगह ये देखने को मिलता रहा है.  

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2009 चुनाव के EVMs विवाद के बाद पड़ोसी देश नेपाल ने 2012 में EVMs की आपूर्ति की मांग की थी. 2014 में नाइजीरिया और 2016 में इंडोनेशिया ने भारतीय चुनाव आयोग से ऐसा ही आग्रह किया. 2017 में चार देशों ने EVMs के लिए चुनाव आयोग से संपर्क किया. ये देश हैं- रूस, भूटान, बोतस्वाना और पापुआ न्यू गिनी. 2018 में अफगानिस्तान और नामिबिया ने EVMs की आपूर्ति के लिए आग्रह किया. इन सभी देशों ने EVMs के कथित दुरुपयोग से जुड़े विवादों की जगह उसकी विश्वसनीयता को तरजीह देना बेहतर समझा.    

चुनाव आयोग की ओर से मिले RTI के जवाब में बताया गया है कि भारत ने सिर्फ दो देशों को तीन अवसरों पर EVMs की आपूर्ति की है. चुनाव आयोग के जवाब में संदर्भ का हवाला नहीं दिया गया है. नामिबिया को 2012 और 2015 में EVMs की आपूर्ति की गई. इसी तरह भूटान को 2017 में भारत से EVMs मिलीं.  

बाकी सभी मामलों में चुनाव आयोग ने या तो EVMs/VVPATs (वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल्स) की आपूर्ति का आग्रह खारिज कर दिया या उनकी आपूर्ति को स्थगित कर दिया. स्थगन का फैसला भारत में चुनावों के लिए EVMs की मौजूदा जरूरत को देखते हुए लिया गया.

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हालांकि रिपोर्ट्स के मुताबिक नेपाल और भूटान जैसे देश भारतीय EVMs  का 2009 से ही कुछ चुनावों में इस्तेमाल करते रहे हैं. इसका हवाला 2017 में तत्कालीन मुख्य चुनाव आयुक्त नसीम जैदी ने भी दिया था. उन्होंने कहा था कि यद्यपि EVMs  की नेपाल, भूटान और नामिबिया जैसे देशों को आपूर्ति की गई, वहीं ऑस्ट्रेलिया, बुल्गारिया, नाइजीरिया और रूस जैसे देशों ने भी EVMs को लेकर दिलचस्पी का इजहार किया.

चुनाव आयोग ने बताया है कि दूसरे देशों को निर्यात जाने वाली EVMs  में हार्डवेयर विन्यास और सॉफ्टवेयर कोड अलग होता है. साथ ही उनमें रंगों का संयोजन, तारों (केबल्स) के रंग, स्क्रीन प्रिंटेड लेबल भी दूसरे तरह के होते हैं.

आरटीआई जवाब में कहा गया है कि किसी भी देश ने भारत से VVPATs वाली EVMs को नहीं खरीदा है.

आरटीआई में चुनाव आयोग से ये भी पूछा गया था कि EVMs के इस्तेमाल को लेकर दूसरे देशों की क्या प्रतिक्रिया रही और क्या कुछ देशों ने इस्तेमाल के बाद इन्हें खारिज भी किया. इस सवाल के जवाब में चुनाव आयोग ने यही कहा कि ऐसी कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है.

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