भोपाल गैस त्रासदी के बाद से यूनियन कार्बाइड के बंद पड़े कारखाने में 347 मीट्रिक टन जहरीला रासायनिक कचरा पड़ा हुआ है, जिसके निष्पादन का निर्णय पीथमपुर स्थित ‘ट्रीटमेंट, स्टोरेज एण्ड डिस्पोजल फैसिलिटी’ (टीएसडीएफ) में किया गया है.
यह जानकारी आवास एवं पर्यावरण मंत्री जयंत मलैया ने राज्य विधानसभा में कांग्रेस की कल्पना परूलेकर के एक लिखित प्रश्न के जवाब में देते हुए कहा कि इस कचरे में 96 मीट्रिक टन सेविन एवं नफ्थाल रेसिड्यू, 30 मीट्रिक टन रिएक्टर रेसिड्यू, 56 मीट्रिक टन सेमीप्रोसेस्ड पेस्टीसाइड्स एवं 165 मीट्रिक टन एस्केवेटेड वेस्ट शामिल है.
उन्होने कहा कि इस कचरे को नष्ट करने के लिए आवास एवं पर्यावरण विभाग ने अलग से कोई नीति तय नहीं की है और किसी कंपनी को इसका ठेका भी नहीं दिया है. यह प्रश्न मूलत: गैस राहत विभाग से संबंधित है, लेकिन विभाग को मिली जानकारी के अनुसार यह कचरा पीथमपुर (धार) स्थित टीएसडीएफ में ले जाने का निर्णय उच्चतम न्यायालय के आदेश के परिप्रेक्ष्य में लिया गया है.
मलैया ने कहा कि प्रदेश के समूचे खतरनाक कचरे को नष्ट करने के लिए इस एकमात्र टीएसडीएफ का निर्माण राज्य औद्यौगिक विकास निगम, पीथमपुर आटो क्लस्टर लिमिटेड एवं मेसर्स रामकी एन्वायरो इंजीनियरिंग लिमटेड द्वारा किया गया है.
कल्पना द्वारा यह पूछने पर कि इस कचरे के दुष्प्रभावों को कम करने एवं इसे नष्ट करने के लिए विभाग ने कितनी राशि खर्च की है तथा कचरे से कौन-से प्रभाव मानव शरीर के विरूद्ध राज्य प्रदूषण नियंत्रण मण्डल ने चिन्हित किए हैं, आवास एवं पर्यावरण मंत्री ने कहा कि इस बारे में विभाग ने कोई राशि खर्च नहीं की है, इसलिए शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है.