केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) की एक विशेष अदालत ने असम में 2008 में हुए सीरियल ब्लास्ट में 10 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है. इसमें नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड (एनडीएफबी) के प्रमुख रंजन दैमारी समेत अन्य नौ लोग शामिल हैं. दो दिन पहले ही कोर्ट ने इन्हें दोषी करार दिया था और सजा के ऐलान के लिए बुधवार का समय तय किया था.
बता दें कि रंजन दैमारी इस सिलसिलेवार बम धमाके मामले में मुख्य आरोपी था, जिसमें 88 से ज्यादा लोग मारे गए थे और 540 अन्य घायल हुए थे. ये विस्फोट गुवाहाटी के गणेशगुरी, पानबाजार व कचहरी क्षेत्र में और बारपेटा, कोकराझार ओर बोंगाईगांव में 30 अक्टूबर, 2008 को करीब-करीब एकसाथ हुए थे.
इस मामले में CBI ने 2009 में NDFB प्रमुख और 22 लोगों के खिलाफ आरोप-पत्र दाखिल किया था. आरोप-पत्र में 650 प्रत्यक्षदर्शियों के नाम थे और पोस्टमार्टम रिपोर्ट, पकड़े गए लोगों की कबूलनामे, कुछ आरोपियों द्वारा कॉल की जानकारी समेत 682 दस्तावेज शामिल थे.
दाखिल की गई चार्जशीट के अनुसार, कुल मिलाकर 9 विस्फोट किए गए थे, जिसमें से गुवाहाटी में हुए 3 विस्फोटों में 53 लोग मारे गए थे, कोकराझार में हुए 3 विस्फोट में 20 लोग और बारपेट में हुए विस्फोट में 15 लोग मारे गए थे.
गौरतलब है कि रंजन दैमारी को बांग्लादेश में गिरफ्तार किया गया था और मई 2010 में उसे भारतीय अधिकारियों को सुपूर्द कर दिया गया था.
डी.आर. नाबला के रूप में भी पहचाने जाने वाले दैमारी ने 3 अक्टूबर, 1986 को बोरो सुरक्षा बल का गठन किया था और बाद में इसका नाम बदलकर NDFB कर दिया था. संगठन ने हालांकि 2005 में भारत सरकार के साथ संघर्षविराम समझौता किया था, लेकिन उसने समझौते का उल्लंघन कर इन धमाकों को अंजाम दिया.
जांच एजेंसी द्वारा 2008 में सिलसिलेवार बम विस्फोट में दैमारी को नामजद करने के बाद संगठन दो भागों में बंट गया था. संगठन ने इसके साथ ही दैमारी को निलंबित कर दिया था, जिसके बाद उसने एनडीएफबी(रंजन) नामक गुट बना लिया.