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पद्मावती विवाद की वजह से चित्तौड़ में टूरिस्टों की भारी संख्या

पद्मिनी महल में कभी भी इस तरह से टूरिस्टों का मेला नही लगा था. इतनी भीड़ है कि पैर रखने की जगह नही है. हर कोई रानी पद्मिनी के उस महल को देखना चाहता है जिसे लेकर देश भर में हंगामा मचा है.

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पद्मावती विवाद की वजह से चित्तौड़ में टूरिस्टों की भारी संख्या
पद्मावती विवाद की वजह से चित्तौड़ में टूरिस्टों की भारी संख्या

संजय लीला भंसाली की फिल्म रिलीज हो न हो चित्तौड़गढ़ की अर्थव्यवस्था को संजीवनी मिल गई है. पिछले तीन दिनों में टूरिस्टों की चित्तौड़ आने की दिलचस्पी ने अगले 6 महीने की बुकिंग ने पिछले सारे रिकार्ड तोड़ दिए हैं. पहले की तुलना में टूरिस्टों की संख्या में 50 फीसदी की बढोत्तरी हुई है.

पद्मिनी महल में कभी भी इस तरह से टूरिस्टों का मेला नही लगा था. इतनी भीड़ है कि पैर रखने की जगह नही है. हर कोई रानी पद्मिनी के उस महल को देखना चाहता है जिसे लेकर देश भर में हंगामा मचा है. संसद से लेकर मुख्यमंत्रियों तक ने इसके खिलाफ हल्ला बोल दिया है.  लेकिन मजेदार बात है कि टूरिस्ट गाईड आज भी खिलजी और पद्मिनी के कांच में देखने-दिखाने की वही कहानी सुना रहे हैं जिसे कर देशभर में हंगामा मचा हुआ है.

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टूरिस्ट गाईड पार्वती ने कहा कि तीन-चार दिनों में काफी भीड़ आई है. खासबात है कि विदेशी टूरिस्ट भी आ रहे हैं. पहले तो पैलेस आन व्हील्स के आने का इंतजार करना पड़ता था. जौहर स्थल की हालत तो ये है लोग यहां पूजा-पाठ करने आने लगे हैं. नव विवाहित जोड़े से लेकर आम लोग तक यहां पूजा पाठ कर रहे हैं. मजेदार बात देखिए कि गाईडों से वही कहानी सुन रहे हैं जो फिल्म में दिखाने का आरोप है मगर अपने विचार जरुर व्यक्त कर रहे हैं.

लोगों का कहना है कि इस विवाद के बाद उन्होने तय किया कि एक बार चलकर देखा जाए कि ऐसा क्या है चित्तौड़गढ़ में रानी पद्मावती का इतिहास जिससे छेड़छाड़ का आरोप है. पूना से आए ट्रांसपोर्ट व्यवसायी ओम शर्मा का कहना है कि हमने सोचा कि जिस पद्मावती को लेकर इतना हंगामा मचा है उसकी सच्ची कहानी ही देख आएं. इसलीए आए हैं.गुजरात की श्वेता भी कहती है कि पद्मावती फिल्म के हंगामे के बाद हीं यहां आकर देखने की इच्छा हुई की सही में यहां क्या है.

टूरिस्ट गाईडों की मानें तो दिन भर खाली बैठे रहते थे मगर विवाद के बाद से उन्हें फुर्सत नही मिल रही है. रोजाना जहां सौ-दो-सौ से भी कम टूरिस्ट आते थे वहां रोजाना ये संख्या करीब पांच हजार तक पहुंच गई है.

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