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रेप के बाद मंत्री नागर ने दी थी धमकी, 'मुंह खोला तो भंवरी देवी जैसा होगा हाल'

राजस्थान के खादी ग्रामाद्योग और डेयरी राज्यमंत्री बाबूलाल नागर पर रेप का आरोप लगाने वाली पीड़िता ने पुलिस में अपना बयान दर्ज करा दिया है. पीड़िता के मुताबिक वो बाबूलाल नागर से अपने परिचित के एडमिशन के सिलसिले में मिलने गई थी. बयान में पीड़िता ने पूरी आपबीती बताई है.

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राजस्थान के खादी ग्रामाद्योग और डेयरी राज्यमंत्री बाबूलाल नागर पर रेप का आरोप लगाने वाली पीड़िता ने पुलिस में अपना बयान दर्ज करा दिया है. पीड़िता के मुताबिक वो बाबूलाल नागर से अपने परिचित के एडमिशन के सिलसिले में मिलने गई थी. बयान में पीड़िता ने पूरी आपबीती बताई है.

मंत्री जी ने दी थी धमकी, 'किसी को कुछ बोला तो भंवरी देवी जैसा होगा हाल...'
11 सितंबर को शाम 5 बजे बाबूलाल ने महिला को फोन कर कहा कि तुम मिलने आ जाओ अभी तुरंत और तुम्हारा एडमिशन का काम करवा दिया है और तुम्हारी नौकरी के लिए भी बात कर ली है. पीड़िता को मंत्री ने 18–A-सिविल लाइंस, अपने निवास पर बुलाया, जो मुख्यमंत्री निवास से महज 200 मीटर की दूरी पर है. महिला जैसे ही पहुंची बाबूलाल उसे कमरे में ले जाने लगे. महिला के मना करने पर कहा कि मेरा परिवार भी अंदर हीं है डरने की जरूरत नहीं है. फिर ड्राइंग रूम के सामने के अंदर के कमरे में ले गए और उससे कहा कि तुम्हारी नौकरी का काम हो जाएगा और छेड़-छाड़ करने लगे.

विरोध करने पर बाबूलाल ने कहा कि तुम राजनीति में आने की बात करती हो. राजनीति में आना चाहती है और आगे जाना है तो ये सब तो करना ही पड़ेगा, ऐसे कुछ नहीं मिलता. महिला ने उसका विरोध करना शुरू किया तो बाबूलाल जबरदस्ती करने लगा. मेरे सारे कपड़े फाड़ दिए और दातों से मेरे शरीर को काट खाया. मंत्री जी तब तक कोशिश करते रहे जब तक वो थक नहीं गए. महिला जब जाने लगी तो कहा कि कपड़े संभाल लो और किसी को कुछ नहीं बताना नहीं तो तुम्हारा अंजाम भी भंवरी देवी की तरह ही होगी. उसके बाद महिला डरी-सहमी सोडाला थाने पहुंची, लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई करने के बजाए उसे भगा दिया. फिर महिला ने वकील के जरीए 15 सितंबर को कोर्ट में आरोपपत्र दायर कर अपना हाल बताया. 16 सितंबर को कोर्ट ने पुलिस को मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया.

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पीड़िता को लेकर मंत्री जी के बंगले पर पहुंची पुलिस
17 सितंबर को धारा 376 के तहत नागर के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ. 18 सितंबर को पुलिस शाम 5 बजे महिला के घर पंहुची. वहां 161 के तहत पुलिस के बयान दर्ज किया और रात साढ़े नौ बजे पीड़िता को लेकर घटनास्थल यानी कि पूर्वमंत्री के बंगले पर पहुंची. महिला संगठनों ने पुलिस के इस रवैये का विरोध किया है कि रात को महिला को मंत्री के बंगले पर ले जाया गया और मंत्री की पहचान करवाई गई. इसे कानून के खिलाफ बताया जा रहा है. पुलिस ने पीड़िता से कमरे की पहचान करवाई और कमरे को सील किया और फिर दूसरे कमरे में बैठे मंत्री को दिखाया कि क्या ये वहीं मंत्री है, तो महिला ने कहा कि हां यही मंत्री है. फिर सुबह 19 सितंबर को 11 बजे महिला का मेडिकल करवाया गया और शाम 6 बजे तक महिला से मौका-मुआयना कराया गया. इस बीच गुरुवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बाबूलाल नागर से इस्तीफा लेते हुए कहा कि महिला की पुलिस सुरक्षा की व्यवस्था की जाएगी.

मामले की हो सीबीआई जांच...
वहीं विपक्ष ने मांग की है कि इस मामले की सीबीआई जांच कराई जाए. राजस्थान की बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वसुंधरा राजे ने कहा कि इस मामले की सीबीआई जांच हो. वसुंधरा का कहना है कि राजस्थान सरकार पर भरोसा नहीं है.

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कौन हैं बाबूलाल नागर?
कन्हैयालाल नागर के घर 10 अक्टूबर 1960 को शाहपुरा के टवेरी गांव में एक दलित परिवार में बाबूलाल का जन्म हुआ था. गरीब परिवार में जन्म लिए नागर पढ़ने लिखनेवाले अपने घर के पहले शख्स थे. कानून के शिकंजे में फंसे नागर ने राजस्थान विश्वविधालय से कानून की पढ़ाई की है. बाबूलाल नागर के राजनीतिक जीवन की शुरुआत छात्र राजनीति से हुई. सबसे पहले राजस्थान से राजस्थान कॉलेज के अध्यक्ष बने फिर प्रदेश सेवा दल के सचिव और फिर जिला परिषद के सदस्य बने. 1998 में पहली बार दूदू से विधायक बने और फिर 2003 और 2008 में यहीं से चुनाव जीते.

2008 में चुनाव जीतने के बाद पहली बार कैबिनेट मंत्री बनते हुए खाध आपूर्ति और डेयरी मंत्री बने. कांग्रेस में भीड़ जुटाउ नेता के रुप में पहचान रहखनेवाले बाबूलाल का रुतबा इतना बढ़ गया कि 2011 में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और सोनिया गांधी ने दूदू से आधार कार्ड की लॉन्चिंग शुरू की. जयपुर में जब भी कोई भीड़ जुटानी होती थी तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इन्हीं पर निर्भर रहते थे. यही वजह थी कि राज्य में सर्वाधिक भ्रष्ट मंत्री कहे जाने के बावजूद गहलोत कभी इन्हें हटा नहीं पाए. नागर गहलोत सरकार का दलित चेहरा थे और चुनाव जिताने के लिए सचिन पायलट भी इनके पास आते थे.

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विवादों से रहा है नागर का पुराना नाता...
बाबूलाल नागर का विवादों से पुराना नाता रहा है. सबसे पहले नागर तब विवादों में आए जब खुद उनकी पत्नी सुनीता नागर 2001 में उनके खिलाफ एक एनजीओ में जाकर बैठ गई थीं, तब गहलोत की सरकार थी और मामला रातोंरात रफा-दफा किया गया था. उस समय उनकी पत्नी ने आरोप लगाया था कि कि ब्यूटी पार्लर के संचालिका के साथ उनका संबंध है, लेकिन 2002 में उनका सितारा तब चमका जब फागी के चकवाड़ा में दबंगो में दलितों को तालाब पर नहाने से रोक दिया था. बाबूलाल तब दलितों के नेता बने और कांग्रेस में उनका कद बढ़ा. तीसरी बार जब दूदू से बाबूलाल नागर विधानसभा पहुंचे तो अशोक गहलोत ने उन्हें खाद्य-आपूर्ति और डेयरी मंत्री जैसा मलाईदार पद दिया.

बालूलाल नागर पर तब भ्रष्टाचार के इतने आरोप लगे की सुप्रीम कोर्ट ने पीडीएस सिस्टम में देश का सर्वाधिक भ्रष्ट राज्य राजस्थान को करार दिया. 2010 में एक व्यक्ति ने बाबूलाल पर आरोप लगाया कि मानसरोवर पुलिस से कह कर बाबूलाल ने उसके हाथ-पांव तुड़वा दिए. तब भी कोर्ट के आदेश पर मामला दर्ज हुआ लेकिन इसबार भी मंत्री जी ने केस को रफा-दफा करा दिया. 2011 में आरोप लगा कि नरेगा के पैसे और मजदूरों से नागर ने अपने फार्म हाउस की सड़क बनवा दी. लेकिन तब बाबूलाल ने बिल चुकता कर अपना पीछा छुड़ाया.

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उसके बाद बाबूलाल के खिलाफ मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को चिट्ठी लिखी गई जिसे गहलोत ने जांच के लिए एंटी करप्शन ब्यूरो को भेज दिया, जिसमें उन्हे ये कहते हुए क्लीन चीट दे दी कि शिकायतकर्ता नहीं मिल रहा है. लेकिन महिपाल मदरेणा प्रकरण के बाद हुए मंत्रिमंडल में फेरबदल के बाद इनसे खाद्य-आपूर्ति मंत्रायल छीन लिया गया और खादी मिल गया. लेकिन नागर ने गहलोत के पास गुहार लगाई कि खादी लेकर क्या करूंगा तो साथ में डेयरी भी दे दिया गया. यहां भी राजस्थान डेयरी के चेयरमैन और खादी बोर्ड के चेयरमैन के साथ झगड़ों की वजह से चर्चित रहे.

इलाके में थानेदार से लेकर कांस्टेबल तक बाबूलाल नागर खुद लगाते थे. एसडीएम, एडीएम, तहसीलदार, सप्लाई इंस्पेक्टर जैसे लोगों से बाबूलाल कभी सीधे मुंह बात नहीं करते थे. कई बार तो बाबूलाल नागर को लोगों के साथ गाली-गलौच करने और जान से मारने की धमकी की ऑडियो सीडी भी बाजार में आई है. पिछले महीने इन पर आरोप लगा कि फागी थाने के थानेदार ने हफ्ता नहीं दिया तो थाने के कांस्टेबल से ही पिटवा दिया.

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