राजस्थान के कोटा के जेके लोन अस्पताल में बच्चों की मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. सोमवार को दो और बच्चों ने दम तोड़ दिया, जिसके बाद मौत का आंकड़ा 112 पहुंच गया है.
जेके लोन अस्पताल के उप अधीक्षक डॉक्टर गोपी किशन शर्मा ने कहा कि मरने वाले में से एक बच्चे का नाम अजहर है. वह सेरेब्रल पाल्सी से पीड़ित था. उसे सांस लेने में दिक्कत हो रही थी. उन्होंने कहा कि बच्चे के घरवाले बिना डॉक्टर्स की सलाह पर उसे अस्पताल से ले गए.
रिपोर्ट में हाइपोथर्मिया की वजह से बच्चों की मौत
100 से ज्यादा बच्चों की मौत के बाद सरकार ने जांच पैनल नियुक्त किया था. विशेषज्ञों की टीम ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि हाइपोथर्मिया (शरीर का तापमान असंतुलित हो जाना) के कारण बच्चों की मौत हुई. साथ ही बताया गया कि अस्पताल में बुनियादी सुविधाओं की कमी भी इसकी वजह हो सकती है.
मालूम हो कि हाइपोथर्मिया एक ऐसी आपात स्थिति होती है, जब शरीर का तापमान 95 एफ (35 डिग्री सेल्सियस) से कम हो जाता है. वैसे शरीर का सामान्य तापमान 98.6 एफ (37 डिग्री सेल्सियस) होता है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि अस्पताल में बच्चे सर्दी के कारण मरते रहे और यहां पर जीवन रक्षक उपकरण भी पर्याप्त मात्रा में नहीं थे. नवजात शिशुओं के शरीर का तापमान 36.5 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए, इसलिए उन्हें वार्मरों पर रखा गया, जहां उनका तापमान सामान्य रहता है. हालांकि अस्पताल में काम कर रहे वार्मर की कमी होती गई और बच्चों के शरीर के तापमान में भी गिरावट जारी रही.
राजकोट में 134 बच्चों की मौत
वहीं, गुजरात के राजकोट में भी मासूमों की मौत की घटना सामने आई. राजकोट के एक सरकारी अस्पताल में पिछले एक महीने में 134 बच्चों की मौत हो चुकी है. वहां बच्चों की मौत की वजह कुपोषण, जन्म से ही बीमारी, वक्त से पहले जन्म, मां का खुद कुपोषित होना बताया जा रहा है.