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हाई कोर्ट के जज ने कहा- मोर सेक्स नहीं करता इसी पवित्रता की वजह से है राष्ट्रीय पक्षी

राजस्थान हाईकोर्ट की स्टिस महेश चंद्र शर्मा मीडिय से बातचीत करते हुए कहा कि 'हमने मोर को राष्ट्रीय पक्षी क्यों घोषित किया. मोर आजीवन ब्रह्मचारी रहता है. इसके जो आंसू आते हैं, मोरनी उसे चुग कर गर्भवती होती है. मोर कभी भी मोरनी के साथ सेक्स नहीं करता. मोर पंख को भगवान कृष्ण ने इसलिए लगाया क्योंकि वह ब्रह्मचारी है

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मोर की तरह गाय भी पवित्र
मोर की तरह गाय भी पवित्र

देश में गोहत्या को लेकर जारी बहस के बीच राजस्थान हाई कोर्ट ने अहम सिफारिश की है. राजस्थान हाई कोर्ट के जस्टिस महेश चंद्र शर्मा ने एक फैसले में कहा कि गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित किया जाना चाहिए और गोहत्या करने वालों को आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान किया जाना चाहिए. उनके इस फैसले की देश भर में चर्चा हो रही है.

जस्टिस महेश चंद्र शर्मा आज ही रिटायर भी हो गए हैं. उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा- 'हमने मोर को राष्ट्रीय पक्षी क्यों घोषित किया. इसलिए क्योंकि मोर आजीवन ब्रह्मचारी रहता है. इसके जो आंसू आते हैं, मोरनी उसे चुग कर गर्भवती होती है. मोर कभी भी मोरनी के साथ सेक्स नहीं करता. मोर पंख को भगवान कृष्ण ने इसलिए लगाया क्योंकि वह ब्रह्मचारी है. साधु संत भी इसलिए मोर पंख का इस्तेमाल करते हैं. मंदिरों में इसलिए मोर पंख लगाया जाता है. ठीक इसी तरह गाय के अंदर भी इतने गुण हैं कि उसे राष्ट्रीय पशु घोषित किया जाना चाहिए.'

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बहुत से लोग मानते हैं कि गाय को भारत का राष्ट्रीय पशु होना चाहिए. हालांकि ये पहली बार है कि कोर्ट ने अपने फैसले में इसबात की सिफारिश की है. राजस्थान उच्च न्यायालय के जज न्यायमूर्ति महेश चंद्र शर्मा सिविल, आपराधिक और राजस्व मामलों के एक्सपर्ट हैं. वो आज ही रिटायर भी हो गए हैं. लेकिन उनका आखिरी फैसला चर्चा और विवाद का विषय बना हुआ है. खासकर अपने फैसले के पीछे उन्होंने मोर का जो उदाहरण दिया है उसे लेकर सबसे ज्यादा विवाद है क्योंकि मोर भी दूसरे पक्षियों की तरह सेक्स करता है और मोरनी अंडे देती है जिनसे बच्चे पैदा होते हैं.

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