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गहलोत सरकार ने बंद की मीसा बंदियों की पेंशन, कहा- वे हकदार नहीं

संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल ने कहा कि इन लोगों को पेंशन क्यों मिलनी चाहिए. क्या ये लोग देश की आजादी के लिए लड़े थे. इन्होंने कानून का उल्लंघन किया था, तब हमने जेल में डाला था. अगर ये माफी मांग लेते तो इनको छोड़ देते.

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मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की फाइल फोटो
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की फाइल फोटो

  • मंत्री धारीवाल ने पूछा- मीसा बंदियों को पेंशन क्यों मिलनी चाहिए
  • बंदियों ने सरकार के फैसले के खिलाफ कोर्ट जाने की दी धमकी

राजस्थान की गहलोत सरकार ने मीसा बंदियों की पेंशन बंद करने का फैसला लिया है. संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल ने इसपर जानकारी देते हुए कहा कि इन लोगों को पेंशन क्यों मिलनी चाहिए. क्या ये लोग देश की आजादी के लिए लड़े थे. इन्होंने कानून का उल्लंघन किया था, तब हमने जेल में डाला था. अगर ये माफी मांग लेते तो इनको छोड़ देते.

धारीवाल ने कहा कि इनके नेता वीर सावरकर ने तो 9 बार माफी मांगी थी. ये माफी मांग लेते तो क्या होता. वहीं, राजस्थान के मीसा बंदियों ने कहा है कि पिछली बार भी गहलोत सरकार ने पेंशन बंद की थी तो हम कोर्ट गए थे. इस बार भी हम लोग कोर्ट जाएंगे.

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गहलोत सरकार का कहना है कि वित्तीय भार को कम करने के लिए यह निर्णय लिया गया. मीसा बंदियों को वसुंधरा सरकार ने लोकतंत्र सेनानी का नाम दिया था. राजस्थान सरकार ने फैसला लेते हुए राजस्थान में मीसा बंदियों के पेंशन पर रोक लगा दी. गहलोत सरकार की कैबिनेट ने फैसला लिया गया कि इमरजेंसी के दौरान जेल गए लोगों को दी जा रही पेंशन को बंद किया जाए.

राजस्थान में पहली बार जब वसुंधरा राजे की सरकार सत्ता में आई थी तब मीसा बंदियों के लिए पेंशन लागू की गई थी. मीसा बंदियों को लोकतंत्र प्रहरी का नाम दिया गया था. राजस्थान में 1120 मीसा बंदियों को पेंशन मिल रही थी. 20,000 मासिक पेंशन के अलावा चिकित्सा और यात्रा भत्ता भी दिया जा रहा था. गहलोत सरकार ने इस वित्तीय भार को कम करने के तहत निर्णय लिया है.

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