जयपुर के रिजर्व बैंक के दफ्तर के बाहर नोटिस चस्पा है कि 500 और हजार के पुराने नोट अब यहां नहीं बदले जाएंगे, अगर आप एनआरआई हैं तो दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, कोलकाता और नागपुर में बदल सकते हैं. इस
नोटिस के बाहर बड़ा से गेट बंद है और बंद गेट के पीछे एक दर्जन पुलिसवाले हैं. गेट के बाहर गरीब और मध्यम वर्ग के महिला-पुरुषों की भीड़ लगी है. पुलिसवाले नोटिस पढ़वा रहे हैं मगर इसके बावजूद पैसे का ऐसा मोह है कि
लोग यहां इस उम्मीद में बैठे हैं कि नोटबंदी के नियम-कायदे कानून में पलटीमार मोदी सरकार क्या पता राहत की घोषणा कर दे.
आरबीआई के दोनों गेटों पर करीब 100 लोग हैं जिनमें से 50 तो गरीब-मजदूर हैं और बाकि निम्न मध्यवर्गीय परिवार के हैं. सबके पास 12 हजार से लेकर 2000 रुपए के पांच सौ और 1000 के पुराने नोट हैं. हर किसी के पास पुराने नोट बच जाने की अपनी-अपनी मजबूरियां हैं.
रिजर्व बैंक के बाहर कोई अधिकारी मिल जाए तो दिखाने और बताने के लिए साथ में सुबूत भी लेकर आए हैं मगर इनकी कोई सुननेवाला नहीं है. सब की जुबान पर एक ही बात है कि प्रधानमंत्री और वित्तमंत्री के बात का
कोई भरोसा तो होना चाहिए जो कई बार कह चुके थे कि 31 मार्च तक रिजर्व बैंक में जाकर नोट बदल सकते हैं.
पॉलिथिन की थैली में अपने भाई की बीमारी के कागज लेकर रिजर्व बैंक के दफ्तर के बाहर खड़े रामस्वरुप बीपीएल श्रेणी के मजदूर हैं. इनका भाई जयपुर के सरकारी मानसिक रोगी चिकित्सालय में भर्ती है. तीन दिन पहले इसके भाई के कपड़े से डाक्टर ने खुद नौ हजार रुपए निकाल कर दिए हैं. सारे सुबूत लेकर ये गेट पर खड़े हैं कि किसी अधिकारी से बात हो जाए मगर पुलिसवाले इनको रिजर्व बैंक के अंदर एंट्री नहीं दे रहे है. पुलिसवाले कह रहे हैं कि पैसे जमा करना हो तो दिल्ली-मुंबई जाओ.
दुबई से आए रामपाल जाट का कहना है कि उनके पास पुराने 500 के नोट के साढ़े चार हजार रुपये हैं, लेकिन बैंक का कहना है कि नोट दिल्ली या मुंबई में ही बदले जाएंगे, लेकिन इतना पैसा तो वहां जाने में ही खर्च हो जाएगा. इन्हीं की तरह कई मजदूर हैं जो कि नोट बदलवाने के लिए आए है पर नोट ना बदले जाने से निराश हैं.