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राजस्थानः काले दिये के साथ पैरा टीचर्स और बेरोजगार नौकरी की मांगों को लेकर कर रहे प्रदर्शन

शहीद स्मारक पर राजस्थान भर के बेरोजगार खुले आसमान तले बैठे हैं. काला दीया रखकर काली दिवाली मना रहे हैं. उनका कहना है कि सरकार बेरोजगारों के साथ हमेशा छलावा करती है. लिखित समझौता करने के बावजूद अब तक कोई भी समझौता लागू नहीं किया है.

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जयपुर में प्रदर्शन कर रहे युवा (फोटो-आजतक)
जयपुर में प्रदर्शन कर रहे युवा (फोटो-आजतक)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • राजस्थान के पैरा टीचर्स पक्की नौकरी की मांग कर रहे
  • शहीद स्मारक पर नौकरी की मांग कर रहे बेरोजगार युवा
  • वादा पूरा नहीं किया तो यूपी में प्रियंका की सभा में जाएंगेः महासभा

देश में हर तरफ दिवाली मनाई जा रही है तो राजस्थान के पैरा टीचर्स और बेरोजगार युवा पूरे राज्य से जयपुर में आकर शहीद स्मारक पर धरने पर बैठ गए हैं. राजस्थान के पैरा टीचर्स पक्की नौकरी की मांग कर रहे हैं तो बेरोजगार नौकरी की मांग कर रहे हैं कि खुले आसमान तले अपने सर्द रातों में काली दिवाली मना रहे हैं.

जयपुर में भी जहां हर तरफ दिवाली की जगमग है तो राजधानी के शहीद स्मारक पर पूरे राज्य से आए हज़ारों पैरा टीचर्स और राजीव गांधी पाठशाला टीचर्स का जमावड़ा लगा हुआ है. बाड़मेर और जैसलमेर जैसे दूर-दूर इलाकों से आए युवा बुजुर्ग और महिलाएं धरने पर बैठी हुई हैं और सरकार से कह रही हैं कि हम इस बार अपनी दिवाली काली करने आए हैं.

उनका कहना है कि राजस्थान में 14 हज़ार से ज्यादा राजीव गांधी पाठशाला के पैरा टीचर्स और उर्दू पारा टीचर्स हैं जिन्हें नौ हजार रुपये तनख्वाह मिल रही है. कांग्रेस सरकार ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में इन्हें नियमित करने का वादा किया था, मगर पिछले तीन सालों से भी वादा पूरा करने का भरोसा ही दे रही लेकिन वादा नहीं पूरा कर रही है. लोग काले दीये के साथ प्रदर्शन कर रहे हैं.

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सरकार हमें जहर ही दे देः प्रदर्शनकारी

प्रदर्शनकारियों का कहना है कि उन्हें 9000 रुपया पढ़ाने के अलावा, कोरोना की ड्यूटी, चुनावी ड्यूटी, मिड डे मील की ड्यूटी, पोषाहार बनाने और वितरण करने की ड्यूटी, टीकाकरण की ड्यूटी समेत सारे काम करने पड़ते हैं. कई बुजुर्ग महिलाएं आई हैं जो 1991 से टीचर हैं इस आस में कि उन्हें पक्की नौकरी मिलेगी और रिटायरमेंट की दहलीज पर पहुंच चुकी है. उनका कहना है कि इससे अच्छा सरकार हमें जहर दे दे.

बैग में अपना सामान लेकर बाड़मेर से आई सुनीता चौधरी कह रही है कि दिवाली मनाने से अच्छा है कि हम यहां पर सरकार के दर पर मर जाएं. हम सालों से नौकरी कर रहे हैं. नौ हजार रुपये मिलते उसमें हम क्या बच्चा पालें और क्या पेट पालें.

'वरना प्रियंका की सभा में जाएंगे'

दूसरी तरफ इसी शहीद स्मारक पर राजस्थान भर के बेरोजगार खुले आसमान तले बैठे हैं. काली दिया रखकर काली दिवाली मना रहे हैं. उनका कहना है कि सरकार बेरोजगारों के साथ हमेशा छलावा करती है. लिखित समझौता करने के बावजूद अब तक कोई भी समझौता लागू नहीं किया है. रीट परीक्षा की धांधली की जांच पूरी नहीं हुई और रिजल्ट घोषित हो गया.

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बेरोज़गार महासंघ के अध्यक्ष उपेन यादव का कहना है कि सरकार ने हमसे लिखित समझौता किया था कि हम इन लंबित भर्तियों को पूरा करेंगे, मगर सरकार अब समझौते से मुकर रही है. अगर सरकार हमारी सुनवाई नहीं करती है तो हम लोग दिवाली बाद अपनी मांग लेकर उत्तर प्रदेश में प्रियंका गांधी वाड्रा की सभा में जाएंगे.

घर परिवार से दूर ये लोग काली दिवाली मनाने सरकार के सामने आए हैं मगर सरकार से अभी तक वार्ता सफल नहीं हो पाई है.


 

 

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