शादी में दूल्हे को घोड़ी चढ़ते तो आपने जरूर देखा होगा लेकिन देश में एक ऐसा गांव भी है जहां एक युवक ने अपनी शादी में घोड़ी पर बैठकर 'इतिहास' रच दिया है.
मामला राजस्थान के पथरेड़ी गांव का है. यहां पर अब तक दलित जाति के लोगों को शादी में घोड़ी पर बैठने की इजाजत नहीं थी. ऊंची जाति के लोगों का ये फरमान सालों से चलता आ रहा था लेकिन गुरुवार को अनिल रैगनर (22) ने इस परंपरा को तोड़ा और शादी में घोड़ी पर बैठने वाला पहला दलित दूल्हा बन गया.
इस दौरान करीब 125 पुलिसकर्मी और प्रशासन के लोग की भी मौजूद रहे ताकि किसी तरह की अनहोनी को टाला जा सके . पथरेड़ी गांव में लगभग 50 दलित परिवार रहते हैं लेकिन इनमें से अब तक किसी ने भी अपनी शादी में घोड़ी की सवारी नहीं की थी.
घर से मंदिर तक का सफर
एक पुलिस अधिकारी ने बताया, 'हमने कुल 125 पुलिसकर्मियों को सुरक्षा में लगा रखा था. बारात की निकासी के वक्त करीब 20 पुलिसकर्मी दूल्हे के घर मौजूद थे. अनिल ने अपने घर से गांव के बाहर बने मंदिर तक का रास्ता घोड़ी पर बैठकर तय किया. वहां पूजा करने बाद वह बारात के साथ निकला.'
NGO ने भी की मदद
एक स्थानीय शख्स ने बताया कि गांव में ऊंची जाति के दूल्हे ही अब तक घोड़ी पर बैठकर निकलते थे, लेकिन अनिल ने अपनी शादी में यह इच्छा जताई, जिसके बाद प्रशासन की मदद से किसी तरह यह संभव हो सका. इस काम में एक NGO ने भी उनकी मदद की. बता दें कि राजस्थान में दलित जाति के लोगों को मंदिर में घुसने, शादी पर घोड़ी चढ़ने और श्मशान पर दाहसंस्कार करने से रोका जाता है.