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लिंग आधारित हिंसा और भेदभाव को समाप्त करने के लिए पंजाब सरकार का महिला दिवस पर बड़ा कदम

किशोर-किशोरियों को जेंडर सेंसिटिव बनाने के लिए पंजाब सरकार ने पहल की है. इसी क्रम में पंजाब सरकार के शिक्षा विभाग ने महिला हिंसा के मुद्दे पर काम करने वाली संस्था ब्रेकथ्रू और अब्दुल लतीफ जमील पावर्टी एक्शन लैब (जे-पाल) दक्षिण एशिया के साथ साझेदारी की है. इसके माध्यम से पंजाब के 4500 स्कूलों में किशोर- किशोरियों के लिए एक जेंडर सेंसिटिव करिकुलम तैयार किया जाएगा.

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स्टोरी हाइलाइट्स
  • यह पाठ्यक्रम ब्रेकथ्रू के प्रसिद्ध प्रोग्राम तारों की टोली पर आधारित होगा जिसने लड़कों और लड़कियों दोनों की जेंडर के मामले में सोच को प्रभावित किया है और उसे बेहतर बनाया है
  • यह पाठ्यक्रम कक्षा 6,7 और 8 के नैतिक शिक्षा, सामाजिक विज्ञान और अंग्रेजी की पाठ्य पुस्तकों में एकीकृत करके प्रदेश के 4500 स्कूलों में लागू किया जाएगा

किशोर-किशोरियों को जेंडर सेंसिटिव बनाने के लिए पंजाब सरकार ने पहल की है. इसी क्रम में पंजाब सरकार के शिक्षा विभाग ने महिला हिंसा के मुद्दे पर काम करने वाली संस्था ब्रेकथ्रू और अब्दुल लतीफ जमील पावर्टी एक्शन लैब (जे-पाल) दक्षिण एशिया के साथ साझेदारी की है. इसके माध्यम से पंजाब के 4500 स्कूलों में किशोर- किशोरियों के लिए एक जेंडर सेंसिटिव करिकुलम तैयार किया जाएगा.
 
तारों की टोली (टी.के.टी.) 10 से 14 वर्ष की आयु के छात्रों के लिए एक लिंग संवेदीकरण पाठ्यक्रम है. ब्रेकथ्रू इस पाठ्यक्रम को पहली बार 2012 में हरियाणा के स्कूलों में शुरू किया गया था और जे-पाल दक्षिण एशिया द्वारा किए गए व्यापक मूल्यांकन में, इसे लड़कों और लड़कियों दोनों के लैंगिक बर्तावों और व्यवहार में काफी सुधार देखा गया था. ब्रेकथ्रू ने इसे आगे बढ़ाते हुए बिहार, झारखंड और यूपी के स्कूलों में भी शुरू किया है, यह कार्यक्रम  लिंग आधारित भेदभाव और हिंसा को कम करने के उद्देश्य से 200,000 (दो लाख) से अधिक किशोर-किशोरियों तक पहुंच चुका है.

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर पाठ्यक्रम के समावेश करने की घोषणा पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह द्वारा की गई. इस अवसर पर कृष्ण कुमार , प्रमुख सचिव , स्कूल शिक्षा विभाग , पंजाब सरकार ने कहा "लैंगिक बर्तावों को बदलकर राज्य में एक लैंगिक समानता वाला समाज बनाने के अपने उद्देश्य को प्राप्त करने के दिशा में एक कदम के रूप में आज मुझे इस साझेदारी की घोषणा करते हुए खुशी हो रही है, मुझे उम्मीद है कि पहल से हम लैंगिक भेदभाव पर सीधे बात कर पाएंगे और अपने युवाओं में लैंगिक समानता की सोच को प्रोत्साहित कर पाएंगे. पूरे पंजाब में ब्रेकथ्रू का यह लैंगिक संवेदीकरण कार्यक्रम (जेंडर सेंसटाइजेशन प्रोग्राम) का विस्तार एक बड़ा प्रभाव लाएगा क्योंकि यह पाठ्यक्रम हमारे छात्र-छात्राओं के लैंगिक मानदंडों और व्यवहारों को बदल कर उन्हें बेहतर बनाता है, जो हमारे राज्य की बनावट  को बेहतर बनाएगा.

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स्कूल शिक्षा विभाग, प्रमुख सचिव श्री कृष्ण कुमार के नेतृत्व में, सहायक निदेशक, एस.सीई.आर.टी मनिंदर सरकारिया के सहयोग से यह कदम लिंग-पक्षपाती धारणाओं (सोच) में पीढ़ीगत परिवर्तन लाने के लिए एक दूरदर्शी कदम है. सरकार द्वारा चलाए जा रहे स्कूलों में आगामी शैक्षणिक वर्ष 2021-22 में ब्रेकथ्रू के लिंगानुपात पाठ्यक्रम को शामिल किया जाएगा. यह संकेत है कि विभाग राज्य में लैंगिक समानता को बढ़ावा दे रहा है.

ब्रेकथ्रू की प्रेसिडेंट व सीईओ, सोहिनी भट्टाचार्य ने इस पर  पर टिप्पणी करते हुए कहा, “लैंगिक समानता को कैसे संबोधित किया जाए इसके लिए प्रणालीगत और स्थायी बदलाव लाने के लिए पंजाब सरकार और जे-पाल दक्षिण एशिया के साथ साझेदारी को लेकर ब्रेकथ्रू सम्मानित महसूस कर रहा है. ब्रेकथ्रू  पिछले 20 वर्षों से महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हिंसा और भेदभाव को अस्वीकार्य बनाने की दिशा में काम कर रहा है. हम जानते हैं कि लिंग की धारणाएं कम उम्र में बनती हैं और इसलिए, हमें यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि बच्चों में, विशेष रूप से 10-14 वर्ष की आयु के बीच लिंग समानता, कानूनी अधिकारों और स्वस्थ लैंगिक व्यवहार से संबंधित सही जानकारी पहुंचे. तारों की टोली कार्यक्रम ने इस उद्देश्य को प्राप्त करने में और स्कूली बच्चों के बीच लैंगिक-समान व्यवहार को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. पंजाब सरकार के साथ निर्णायक भागीदारी के साथ, हम एक ऐसे समाज के निर्माण के लिए प्रयास करना जारी रखेंगे जो निष्पक्ष हो, न्यायसंगत हो और लिंग आधारित भेदभाव की अनुमति नहीं देता हो. ”

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स्कूल शिक्षा विभाग कक्षा 6-8 में पाठ्यक्रम को एकीकृत करने के लिए और शिक्षकों को प्रशिक्षित करने के लिए ब्रेकथ्रू के साथ काम करेगा. जे-पाल दक्षिण एशिया इस कार्यक्रम के क्रियान्वयन का सतत और व्यापक मूल्यांकन स्वतंत्र रूप से करेगा, साथ ही कार्यक्रम के क्रियान्वयन और उसके परिणामों का निर्धारण भी करेगा. 
 
हरियाणा के 314 सरकारी स्कूलों में जे-पाल दक्षिण एशिया द्वारा किए गए एक रेंडम मूल्यांकन में, तारों की टोली  पाठ्यक्रम को लड़कों और लड़कियों दोनों के लैंगिक बर्तावों और व्यवहार को महत्वपूर्ण रूप से परिवर्तित करने में सफल पाया गया, इस पाठ्यक्रम ने  छात्र-छात्राओं को अधिक लिंग-समानता पूर्ण  व्यवहार करने के लिए प्रेरित किया. मूल्यांकन का नेतृत्व शोधकर्ताओं दिवा धर (ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय), तरुण जैन (आईआईएम अहमदाबाद), और सीमा जयचंद्रन (उत्तर पश्चिमी विश्वविद्यालय) ने किया.

जे-पाल दक्षिण एशिया की कार्यकारी निदेशक शोभिनी मुखर्जी ने कहा, "आर्थिक प्रगति के बावजूद कई जेंडर गैप बने रहते हैं, अधिक लैंगिक समानता वाला समाज बनाने के लिए मानदंडों और दृष्टिकोणों को बदलने के लिए सीधे और पर्याप्त रूप से हस्तक्षेप करना महत्वपूर्ण है. लैंगिक मानदंडों को बदलने के लिए कार्यक्रमों में ब्रेकथ्रू की विशेषज्ञता के साथ लिंग परिणामों में सुधार के लिए पंजाब सरकार की प्रतिबद्धता वाली यह साझेदारी हर छात्र-छात्रा को लैंगिक समानता वाली मानसिकता  पर कार्रवाई करने के  साथ लैंगिक अंतर को समाप्त करने की जबरदस्त क्षमता प्रदान करती है. ”
 

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