पंजाब में दलितों पर अत्याचार की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही है. हाल ही में एक दलित युवक को तीन लोगों ने अपहरण और मारपीट के बाद, जहां कुत्ते को रखा जाता है वहां उसे बंद कर दिया. दलित युवक उन तीन लोगों का पैसा लौटाने में नाकाम रहा था, जो उसके बड़े भाई ने मजदूरी के रूप में एडवांस में लिया था. वाकया तरनतारन जिले के बगियादी गांव का है.
राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग को दिए अपने शिकायती पत्र में साहिब सिंह ने कहा, 'उसके भाई हरपाल सिंह ने एक साल तक श्रवण सिंह के खेत में काम करने के लिए 35 हजार रुपये लिए थे.'
दुर्भाग्य से दो महीने बाद श्रवण सिंह की मौत हो गई. इसके बाद उनके बेटे नवदीप और नवप्रीत, हरपाल के घर आए और पैसे मांगे और कहा कि अब उसकी कोई जरूरत नहीं है. साहिब सिंह पैसे लौटाने के लिए तैयार हो गया और उन्हें 12 हजार रुपये लौटा भी दिए.
नवदीप और नवप्रीत, निर्मल सिंह के साथ 24 अगस्त को फिर आए और बाकी पैसे मांगे. साहिब सिंह ने कहा कि उसके पास पैसे नहीं है. इसके बाद तीनों ने साहिब सिंह के साथ मारपीट की और जहां कुत्ता को बंद किया जाता है, वहां उसे बंद कर दिया.
तरनतारन के एसपी बलजीत सिंह ने कहा, 'साहिब सिंह को तीनों ने 24 अगस्त को जबरदस्ती अगवा कर लिया था. मामला सामने आने के बाद पुलिस ने निर्मल सिंह को गिरफ्तार कर लिया है. जबकि दोनों भाई नवदीप और नवप्रीत अभी भी फरार है. पुलिस को दोनों की तलाश है.
पीड़ित की याचिका पर आयोग के हस्तक्षेप करने के बाद पुलिस ने कार्रवाई शुरू की. पुलिस ने अपनी कार्रवाई की रिपोर्ट आयोग को भी सौंपी है. पीड़ित के परिवार का आरोप है कि पुलिस दोषियों को बचा रही है.
गौरतलब है कि जुलाई महीने में इसी जिले के 6 लोगों ने 65 साल के एक दलित बुजुर्ग को टॉर्चर करने के बाद हफ्ते भर कैद में रखा था.