पंजाब विधानसभा चुनाव से पहले गन्ना किसानों के भुगतान का मामला सियासी तौर पर तूल पकड़ता जा रहा है. गन्ना किसानों ने जालंधर में गन्ने की भुगतान को लेकर हाईवे और रेलवे ट्रैक को ब्लॉक कर दिया. ऐसे में गन्ना किसानों के समर्थन में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार के खिलाफ उतर आए हैं. उन्होंने बीजेपी शासित राज्यों से पंजाब के गन्ना किसानों की तुलना करके अपनी ही सरकार को कठघरे में खड़ा कर दिया है.
नवजोति सिंह सिद्धू पंजाब के रेल ट्रैक पर बैठे गन्ना किसानों का समर्थन खुलकर कर रहे हैं. सिद्धू ने ट्वीट कर कहा कि गन्ना किसानों के मुद्दे को सौहार्दपूर्ण ढंग से तत्काल हल करने की जरूरत है. उन्होंने कहा, 'अजीब बात है कि पंजाब में खेती की आधिक लागत होने के बावजूद राज्य की सुनिश्चित मूल्य हरियाणा/ यूपी/ उत्तराखंड की तुलना में बहुत कम है. कृषि के पथ प्रदर्शक के रूप में पंजाब में एसएपी बेहतर होना चाहिए.'
बता दें कि गन्ने के बकाया और एसएपी को लेकर किसानों का आंदोलन पंजाब में बढ़ता जा रही है. ऐसे में गन्ना किसानों और पंजाब सरकार के बीच रविवार को चंडीगढ़ में हुई बैठक बेनतीजा रही थी. ऐसे में किसानों ने आंदोलन जारी रखने का एलान किया. स्टेट अशोर्ड प्राइस (एसएपी) को लेकर दोनों पक्षों में करीब 90 मिनट चली बैठक में सरकार अपने विशेषज्ञों की ओर से तय गन्ने के लागत मूल्य पर अड़ी रही, जबकि किसान संगठन अपने हिसाब से तय किए लागत मूल्य पर कायम रहे.
किसान और सरकार के बीच हुई बैठक में अधिकारियों के द्वारा गन्ने की उत्पादन लागत 350 रुपये बताई तो किसानों ने गन्ना उगाने में 388 रुपये खर्च आने का हिसाब उनके सामने रख दिया. किसानों ने यह भी तर्क दिया कि हरियाणा में गन्ने की उत्पादन लागत 358 रुपये तय की गई है और यही कीमत हमें भी पंजाब सरकार दे.
कैप्टन सरकार ने किसानों की मांग मानने से इनकार कर दिया. इसके बाद बात उलझती देख सरकार ने सोमवार को जालंधर में विशेषज्ञों और किसानों की बैठक में उत्पादन लागत नए सिरे से निकालने का फैसला लिया. इसमें कृषि विभाग, कृषि विश्वविद्यालय और किसान संगठनों के विशेषज्ञ गन्ने की उत्पादन लागत पर फैसला लेंगे. बैठक में जो भी फैसला होगा, उसे मंगलवार को मुख्यमंत्री के समक्ष रखा जाएगा. ऐसे में सिद्धू गन्ना किसानों के समर्थन में उतरकर कैप्टन सरकार के लिए टेंशन खड़ी कर दी है.
जालंधर ने राज्य सरकार से 200 करोड़ रुपये से अधिक का बकाया चुकाने और गन्ना किसानों के राज्य सुनिश्चित मूल्य को 310 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 358 रुपये करने की मांग की है. किसान के 32 संगठनों शुक्रवार को राष्ट्रीय राजमार्ग और रेल पटरियों को जालंधर-फगवाड़ा इलाके में जाम कर दिया. भारतीय किसान यूनियन कहना है कि कप्तान सरकार ने पिछले चार साल में गन्ने की फसल के लिए एक पैसा भी नहीं बढ़ाया. जब तक राज्य सरकार हमारी मांगों को पूरा नहीं करती, हम आंदोलन जारी रखेंगे.