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किसान आंदोलनः ट्राई-साइकिल चला पंजाब से सिंघु बॉर्डर पहुंचा दिव्यांग, 10 दिन में तय की 450 KM की दूरी

बलविंदर सिंह ने कहा कि अगर इस सफर के दौरान उनकी मौत भी हो जाती तो उन्हें कोई गम नहीं था. बलविंदर का कहना है कि वे अपनी आखिरी सांस तक अपने किसान भाइयों का साथ देना चाहते हैं.

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गुरदासपुर से पहुंचे हैं बलविंदर सिंह
गुरदासपुर से पहुंचे हैं बलविंदर सिंह
स्टोरी हाइलाइट्स
  • पंजाब के गुरदासपुर से पहुंचे दिव्यांग बलविंदर सिंह
  • कहा- आखिरी सांस तक देंगे किसान भाइयों का साथ
  • केंद्र सरकार से की तीनों कानून वापस लेने की अपील

केंद्र सरकार की ओर से लागू किए गए नए कृषि कानूनों के विरोध में किसान धरना दे रहे हैं. कड़ाके की सर्दी में भी किसान दिल्ली की सीमाओं पर डटे हुए हैं. किसानों के समर्थन में दूर-दराज से लोगों के पहुंचने का सिलसिला भी जारी है. इसी बीच केंद्र सरकार की ओर से लागू किए गए नए कानून के खिलाफ धरना दे रहे किसानों के समर्थन में दोनों पैर से दिव्यांग शख्स भी पहुंचे.

किसानों के धरने के समर्थन में दोनों पैर से दिव्यांग बलविंदर सिंह भी अपनी तिपहिया साइकिल से सिंघु बॉर्डर पहुंचे. बलविंदर सिंह ने कड़ाके की सर्दी में अपनी ट्राई साइकिल से ही पंजाब के गुरदासपुर से सिंघु बॉर्डर तक का सफर तय किया. गुरदासपुर से सिंघु बॉर्डर तक की 450 किलोमीटर की दूरी बलविंदर सिंह ने 10 दिन में तय की. बलविंदर सिंह दोनों पैर से दिव्यांग हैं. वे हाथ से ट्राई साइकिल चलाकर सिंघु बॉर्डर पहुंचे.

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सिंघु बॉर्डर पहुंचे बलविंदर सिंह ने आजतक से बात करते हुए कहा कि उन्होंने अपने किसान भाइयों का साथ देने के लिए इतना लंबा सफर तय किया है. 45 साल के बलविंदर सिंह ने कहा कि अगर इस सफर के दौरान उनकी मौत भी हो जाती तो उन्हें कोई गम नहीं था. बलविंदर का कहना है कि वे अपनी आखिरी सांस तक अपने किसान भाइयों का साथ देना चाहते हैं.

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दिव्यांग बलविंदर सिंह ने भी सरकार से तीनों कृषि कानून वापस लेने की अपील की है. गौरतलब है कि केंद्र सरकार की ओर से लागू किए गए तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान करीब महीनेभर से दिल्ली की सीमा पर धरना दे रहे हैं. पंजाब और हरियाणा के किसान हजारों की संख्या में दिल्ली के बाहर सिंघु बॉर्डर पहुंचे हुए हैं. हाड़ कंपा देने वाली इस सर्दी में भी किसान सिंघु बॉर्डर पर डेरा डाले हुए हैं.

 

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