हाल ही में बटाला के करीब बनी एक चीनी मिल से ब्यास नदी के पानी में हुए जहरीले रसायन के रिसाव से एक तरफ जहां लाखों मछलियां और जीव-जंतु मर गए हैं वही यह रिसाव अब पंजाब सरकार के लिए नई मुसीबत बन गया है.
ब्यास नदी और उससे जुड़े पानी के दूसरे स्रोतों में जहर मिला रसायन घुल जाने से बड़े स्तर पर मछलियों और दूसरे जीव जंतुओं की हानि हुई है. बटाला से लेकर अमृतसर और अमृतसर से लेकर राजस्थान तक बहने वाला पानी प्रदूषित हो गया है.
बता दें कि पिछले हफ्ते बटाला की चड्ढा शुगर मिल में शीरे से भरा एक टैंक फटने से कई सौ लीटर रसायन नदी में छोड़ दिया गया था. रसायन मिलने से पानी में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो गई और लाखों छोटी- बड़ी मछलियां और दूसरे जीव मरने के बाद नदी में तैरने लगे.
'जानवरों को बचाने के लिए नदी में साफ पानी छोड़ने की जरूरत'
चंडीगढ़ के सेंटर फॉर पब्लिक हेल्थ के पर्यावरण विशेषज्ञों का मानना है कि शीरा पानी में ऑक्सीजन को कम कर देता है जिससे पानी में तैरने वाले जीव मरने लगते हैं. वैज्ञानिकों के मुताबिक दूषित पानी का प्रभाव कम करने के लिए नदी में ज्यादा साफ पानी छोड़ने की जरूरत है ताकि पानी में रहने वाले जानवरों को बचाया जा सके.
सेंटर फॉर पब्लिक हेल्थ की विभाग प्रमुख सुमन मोड़ ने कहा, 'यह एक बहुत बड़ी मानवीय भूल है जिससे बेजुबान प्राणियों की जान गई. चीनी साफ करने के लिए रसायन का इस्तेमाल होता है और शीरा पानी में मौजूद ऑक्सीजन को कम कर देता है. भविष्य में ऐसी दुर्घटना न हो इसके लिए नदी के किनारे स्थापित की गई औद्योगिक इकाइयों को कहीं और शिफ्ट करने की जरूरत है.'
वहीं दूषित पानी पीने से ब्यास नदी के आसपास बसे गांवों के कई दर्जनों पालतू पशु भी मर गए जिससे स्थानीय लोगों में रोष है. ब्यास नदी लोगों की आस्था से भी जुड़ा है इसलिए लोग दोषी लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं.
राज्यपाल ने सरकार से मांगी रिपोर्ट
उधर पंजाब के राज्यपाल वीपी बदनौर ने मामले की गंभीरता को देखते हुए सरकार से पूरी रिपोर्ट तलब की है. मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में राज्यपाल ने प्रदूषण से प्रभावित इलाके में पर्यावरण को हुए नुकसान का ब्योरा मांगा है. राज्यपाल ने कहा है कि ब्यास नदी का पानी पंजाब और राजस्थान के बड़े हिस्सों में बसे बाशिंदों की प्यास बुझाता है इसलिए सरकार को जल्द से जल्द प्रदूषण की रोकथाम के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए ताकि जानमाल का नुकसान कम हो.
राज्य के वन विभाग ने दोषी चीनी मिल मालिकों के खिलाफ बटाला की अदालत का दरवाजा खटखटाया है जो 2 जून को मामले की सुनवाई करेगी. उधर लापरवाही के चलते हुए इस नुकसान से पंजाब सरकार हिल गई है. पर्यावरण सरंक्षण से जुड़ी कुछ संस्थाएं अब नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल का दरवाजा खटखटाने के मूड में हैं.
हालांकि राज्य के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने जांच हो जाने तक शुगर मिल को बंद करवा दिया है लेकिन इससे लोग संतुष्ट नहीं हैं. सरकारी अधिकारियों के हाथ-पांव फूल गए हैं. ब्यास नदी का पानी गहरा काला हो चुका है और कई किलोमीटर तक गंदी बदबू फैली है.
अमृतसर वन विभाग के अधिकारी सुखदेव सिंह के मुताबिक जांच के लिए कई जगह से पानी के सैंपल लिए गए हैं और मरी हुई मछलियों को जमीन में दबाने का फैसला लिया गया है.