खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह 20 दिन से फरार है. पुलिस उसकी तलाश में लगातार छापेमारी कर रही है. इन सब के बीच पिछले दिनों उसने सिख समुदाय के लोगों का समर्थन जुटाने के लिए अपना एक वीडियो जारी किया था. इसमें उसने सरबत खालसा बुलाने की मांग की थी. उसकी इस मांग पर अकाल तख्त, DSGMC (दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी), दल खालसा और कई अन्य संगठनों ने अपना रुख साफ कर दिया है. उन्होंने सरबत खालसा आयोजित करने की अमृतपाल की मांग का समर्थन नहीं किया है. इतना ही नहीं अन्य राज्यों में सिख समुदाय ने खालिस्तान की मांग को भी खारिज कर दिया है. उन्होंने कहा कि उग्रवाद ने हमें जो जख्म दिए थे, वे अब भी खुले हुए हैं.
वहीं मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने तख्त श्री दमदमा साहिब तलवंडी साबो में 12 से 15 अप्रैल तक खालसा सजना दिवस और बैसाखी को समर्पित गुरमति कार्यक्रम आयोजित करने की घोषणा की है. ऐसे में यह साफ हो गया है कि सरबत खालसा नहीं बुलाई जाएगी.
अमृतपाल के ज्यादातर साथी पकड़े जा चुके हैं. हर कदम पर अमृतपाल की मदद करने वाला उसका गुरु पप्पलप्रीत भी अब उससे अलग हो चुका है. उसके वह पंजाब में कहीं छुपा बैठा हुआ है. उसके पास भागने के अब कोई रास्ता नहीं बचा है. उसने धर्म के नाम पर भी सिख समुदायों का समर्थन जुटाने की कोशिश की लेकिन वह भी बेकार चली गई. ऐसे में अब उसके सामने अपनी गिरफ्तारी देने का और कोई रास्ता नहीं रह गया है.
29 मार्च को की थी सरबत खालसा की मांग
अमृतपाल ने 29 मार्च को अपना पहला वीडियो जारी किया था. इसमें उसने भारत और विदेशों में सिख समुदाय के लोगों से अन्याय के खिलाफ लड़ने का आह्वान किया था. उसने बैसाखी पर सरबत खालसा के मौके पर दुनियाभर के सभी सिख संगठनों से इसमें भाग लेने की अपील की है. साथ ही उसने कहा जत्थेदार को इस मामले में स्टैंड लेना चाहिए और सभी जत्थेदार और टकसाल को भी सरबत खालसा में भाग लेना चाहिए.
भगोड़ा अमृतपाल ने कहा था, देश और विदेश में जो भी सिख लोग हैं, मैं उनसे अपील करता हूं कि वैशाखी पर जो सरबत खालसा का कार्यक्रम होना है, उसमें हिस्सा लें. हमारी कौम लंबे वक्त से छोटे-छोटे मसलों पर मोर्चे खोलने में उलझी हुई है. अगर हमें पंजाब के मसलों को हल कराना है तो एकसाथ आना होगा. सरकार ने जिस तरह से हमारे साथ धोखा किया है, उसको ध्यान में रखना होगा. कई साथियों को पकड़ा गया है और NSA लगा है, मेरे कई साथियों को असम में भेज दिया गया है. इसलिए मैं सभी सिखों से अपील करता हूं कि बैसाखी के मौके पर इकट्ठे हों. सरकार ने जिस तरह से लोगों के बीच भय पैदा किया है, उसके बाद से सिख इस सरबत खालसा में हिस्सा लेने के लिए तैयार हैं. इस बार की बैसाखी ऐतिहासिक होनी चाहिए. बताया जा रहा है कि यह वीडियो ब्रिटेन से जारी किया गया था.
क्या होती है सरबत खालसा?
सरबत खालसा असल में एक सभा होती है. सरबत का मतलब 'सभी' और खालसा का मतलब 'सिख' होता है यानी सभी सिखों की एक सभा. जरूरी नहीं कि सभी सिख खालसा हों, पर हर खालसा सिख होता है. सरबत खालसा में दुनियाभर से सिख समुदाय के संगठनों को बुलाया जाता है. इसमें कुछ मसलों पर चर्चा होती है और फैसले लिए जाते हैं. इन फैसलों को सभी मानते हैं. बताया जाता है कि सबसे पहले 1708 में सरबत खालसा बुलाई गई थी. इसे सिखों के दसवें गुरु गुरु गोविंद सिंह ने बुलाया था.
अकाल तख्त के पास अधिकार
ऐसा माना जाता है कि सरबत खालसा बुलाने का अधिकार अकाल तख्त के पास है, क्योंकि वही सिखों की सर्वोच्च संस्था है. हालांकि, 2015 में सरबत खालसा को लेकर खासा विवाद हो गया था. 10 नवंबर 2015 को अमृतसर के बाहरी इलाके में स्थित छाबा गांव में सरबत खालसा बुलाई गई थी. ये सरबत खालसा शिरोमणि अकाली दल (अमृतसर) के नेता सिमरनजीत सिंह मान और यूनाइटेड अकाली दल के नेता मोहकाम सिंह ने बुलाई थी. दावा किया जाता है कि इस सरबत खालसा में लगभग 6 लाख सिख शामिल हुए थे. इस सरबत खालसा में 13 प्रस्ताव पास हुए थे. हालांकि, कुछ सिख संगठनों ने इन प्रस्तावों को मानने से इनकार कर दिया था.
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मुद्दों पर ऐसे होता है फैसला
आमतौर पर सरबत खालसा साल में दो बार बैशाखी और दिवाली पर बुलाई जाती है. सरबत खालसा की शुरुआत अरदास से होती है. अरदास यानी प्रार्थना के बाद पंज प्यारे (पांच सदस्य) चुने जाते हैं. ये पंज प्यारे अकाल तख्त पर गुरु ग्रंथ साहिब के बगल में बैठते हैं. इसके बाद इसमें शामिल हुए सिख संगठन अपने प्रस्ताव रखते हैं. उन पर वोटिंग होती है. जो प्रस्ताव पास होता है उसे 'गुरमाता' कहा जाता है.
पुलिस 300 डेरों में कर रही तलाशी
पुलिस का दावा है कि अमृतपाल पंजाब में ही कहीं छुपा हुआ है. वह धर्म का सहारा लेकर लोगों का समर्थन जुटाने की कोशिश का रहा है. पुलिस को शक है कि भावनाओं में बहकर कुछ डेरे उसकी मदद कर रहे हैं. सूत्रों की मानें तो पुलिस अमृतपाल को पकड़ने के लिए पंजाब के 300 डेरों की तलाशी ले रही है. जालंधर, कपूरथला, होशियारपुर और बठिंडा के डेरों में पुलिस सघन चेकिंग कर रही है. इसके अलावा पुलिस के जवान हर नाके, पंजाब से दूसरों राज्यों से लगने वाले बॉर्डर और नेपाल बॉर्डर से लगे जिलों में भी उसकी खोजबीन कर रही है.
अकाल तख्त की चेतावनी पर 348 आरोपी रिहा
अमृतपाल के केस में पुलिस ने पिछले महीने 360 आरोपियों को हिरासत में लिया था लेकिन अकाल तख्त ने 27 मार्च को पंजाब की भगवंत मान सरकार को चेतावनी देते हुए 24 घंटे में 'निर्दोष' नौजवानों को छोड़ने की बात कह दी थी. इसके बाद पुलिस को 348 आरोपियों को छोड़ना पड़ गया था. अकाल तख्त ने अमृतसर में इससे पहले 18 मार्च को अमृतपाल सिंह के खिलाफ शुरू हुई पुलिसिया कार्रवाई के बाद एक बैठक भी बुलाई थी.