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GST में मोदी करेंगे बड़ा सुधार, क्या कुंद होगी विपक्ष के 'गब्बर सिंह टैक्स' की धार!

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आजादी की 79वीं वर्षगाठ पर लाल किले से झंडा फहराते हुए भारत को आत्मनिर्भर बनाने का संदेश देते हुए दो बड़े ऐलान किए. जीएसटी में बड़ा बदलाव करने का और दूसरे युवाओं को रोजगार देने की दिशा में. इन्हीं दोनों मुद्दों को लेकर विपक्ष लगातार मोदी सरकार पर हमलावर रही है.

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PM मोदी ने क्या राहुल गांधी से छीन लिया एक और मुद्दा? (Photo-ITG)
PM मोदी ने क्या राहुल गांधी से छीन लिया एक और मुद्दा? (Photo-ITG)

देश के 79वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले से राष्ट्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत को आत्मनिर्भर बनने पर जोर दिया. इस दौरान पीएम मोदी ने आठ साल के बाद जीएसटी में रिफॉर्म करने का ऐलान किया है. प्रधानमंत्री ने कहा कि इस दिवाली देश के लोगों को बड़ा तोहफा मिलने वाला है. यह दिवाली आपके लिए डबल दिवाली होगी, क्योंकि हम 'नेक्स्ट जेनरेशन जीएसटी रिफॉर्म' ला रहे हैं, जिससे जीएसटी काफी कम हो जाएगा.

मोदी सरकार ने एक जुलाई, 2017 को देश में गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) को लागू किया था. इसके बाद से विपक्ष जीएसटी के मुद्दे पर मोदी सरकार को कठघरे में खड़ी करती रही. कांग्रेस नेता राहुल गांधी जीएसटी को गब्बर सिंह टैक्स बताकर बीजेपी और मोदी सरकार पर निशाना साधते रहे हैं. राहुल गांधी ने पिछले महीने ही कहा था कि जीएसटी कॉरपोरेट घरानों को फायदा पहुंचाने का माध्यम है. उन्होंने मोदी सरकार पर करारे हमले बोले थे.

राहुल ने कहा था कि आठ सालों में मोदी सरकार के जीएसटी ने भारत के सबसे बड़े रोजगार सृजनकर्ता एमएसएमई को पूरी तरह से कुचलकर रख दिया है. उन्होंने कहा था कि मोदी सरकार का जीएसटी कोई टैक्स में रिफॉर्म नहीं है बल्कि यह आर्थिक अन्याय और कॉर्पोरेट भाई-भतीजावाद का एक क्रूर साधन है. इस तरह जीएसटी को लेकर राहुल गांधी मोदी सरकार पर निशाना साधकर व्यापारियों को साधने का दांव चल रहे थे, लेकिन पीएम मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर जीएसटी में रिफॉर्म करने का ऐलान कर 'विपक्ष' की गब्बर सिंह जैसी हवा निकालने का दांव चला.

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जीएसटी में रिफॉर्म का ऐलान

पीएम मोदी ने कहा कि इस दिवाली देश के लोगों को बड़ा तोहफा मिलने वाला है. पिछले आठ वर्षों में हमने जीएसटी में बड़े सुधार किए हैं, हम अगली पीढ़ी के जीएसटी सुधार ला रहे हैं. इससे पूरे देश में टैक्स का बोझ कम हो जाएगा. उन्होंने कहा कि आठ साल के बाद समय की मांग है कि हम इसे रिव्यू करें. हमने हाई पावर कमेटी बनाकर रिव्यू करने के साथ-साथ राज्यों से काफी विचार-विमर्श किया. अब हम नेक्स्ट जेनरेशन जीएसटी रिफॉर्म लेकर आ रहे हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि जीएसटी में रिफॉर्म से सामान्य मानवीय जरूरतों के टैक्स भारी मात्रा में कम कर दिए जाएंगे. रोजमर्रा की चीजें बहुत सस्ती हो जाएंगी. इससे बहुत बड़ी सुविधा होगी. हमारे एमएसएमई और लघु उद्यमी को बहुत बड़ा लाभ मिलेगा. इससे देश की अर्थव्यवस्था को एक नया बल मिलेगा. इस तरह साफ है कि पीएम मोदी जीएसटी में बदलाव करके देश के व्यापारियों को साधने के साथ-साथ विपक्ष के द्वारा सेट किए जा रहे नैरेटिव को काउंटर करने की स्ट्रेटेजी मानी जा रही है.

विपक्ष सेट करता रहा नैरेटिव

2017 में जीएसटी लागू किया गया तो उसका उद्देश्य देश में 'एक देश-एक मार्केट-एक टैक्स' के विचार को अमली जामा पहनाने का था. जीएसटी लागू होने से सर्विस टैक्स, वैट, परचेस टैक्स, एक्साइज ड्यूटी, एंटरटेनमेंट टैक्स जैसे कई टैक्स समाप्त हो गए. जीएसटी के जरिए तीन टैक्स स्लैब थे. जीएसटी को लेकर देश के व्यापारियों ने काफी विरोध किए थे, जिसे लेकर विपक्ष खासकर कांग्रेस, मोदी सरकार को व्यापारी विरोधी कठघरे में खड़े करने की कवायद आठ साल से कर रही थी.

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राहुल गांधी जीएसटी को 'गब्बर सिंह टैक्स' से लेकर 'गृहस्थी सर्वनाश टैक्स' और एमएसएमई के लिए काल, रोजगार को कुचलने का हथियार बताकर मोदी सरकार पर हमला करते थे. इसके अलावा राज्यों को कमजोर करने और प्रधानमंत्री के अरबपति मित्रों को लाभ पहुंचाने वाला बताया करते थे. राहुल गांधी आरोप लगाते रहे कि जीएसटी ने छोटे कारोबारियों को नुकसान पहुंचाया है. व्यापारी जीएसटी भरने और उसकी नोटिस को लेकर भी उलझे हुए थे. गुजरात से लेकर दिल्ली सहित तमाम राज्यों के विधानसभा चुनाव में जीएसटी एक बड़ा मुद्दा था.

विपक्ष के मुद्दे पर मोदी की स्ट्राइक

केंद्र में मोदी सरकार बनने के बाद से विपक्ष जीएसटी और रोजगार के मुद्दे पर घेरता रहा है. राहुल गांधी जिस तरह जीएसटी को गब्बर सिंह बताकर निशाना साधती रही, उसी तरह से कांग्रेस साल में दो करोड़ नौकरी देने के वादे की याद दिलाती रही है. राहुल से लेकर ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल और तेजस्वी यादव तक मोदी सरकार को जीएसटी और बेरोजगारी के मुद्दे पर घेरते रहे हैं.

पिछले आठ सालों में जीएसटी और बेरोजगारी की समस्या विपक्ष के लिए केंद्र सरकार को घेरने का एक बड़ा मुद्दा रहा है. देश में बढ़ती बेरोजगारी का मुद्दा उत्तर से लेकर दक्षिण भारत और पूर्व से लेकर पश्चिम भारत तक विपक्ष को मोदी सरकार पर हमले का हथियार देता रहा है. इसी तरह से जीएसटी को लेकर हमलावर रहे हैं. कुछ सालों में भारत में सरकारी नौकरी और जीएसटी बहुत बड़ा चुनावी मुद्दा रहा है.

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मोदी सरकार ने जीएसटी में रिफॉर्म करने के ऐलान के साथ-साथ देश में रोजगार की दिशा में क्रांतिकारी कदम उठाया है. पीएम मोदी ने लाल किले से ऐलान किया है कि जीएसटी में बड़ा बदलाव करने जा रहे हैं और साथ ही आज से ही रोजगार के लिए एंप्लॉयमेंट लिंक्ड इंसेंटिव योजना शुरू कर रहे हैं, जिसका मकसद देश में बड़े स्तर पर रोजगार के अवसर बनाना है.

मोदी सरकार ने चला मास्टरस्ट्रोक

केंद्र की मोदी सरकार ने जिस तरह से अपने दूसरे कार्यकाल के दौरान मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए पीएलआई (प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव) स्कीम का ऐलान किया था, उसी तरह इस बार रोजगार बढ़ाने के लिए ईएलआई योजना को अमलीजामा पहनाया है. इसके जरिए सरकार ने अगले दो सालों में 3.5 करोड़ से ज्यादा लोगों को रोजगार देने का लक्ष्य रखा है. 1 लाख करोड़ रुपये के बजट का ऐलान किया है.

देश में नौकरी की आएगी बहार

मोदी सरकार के इस कदम से प्राइवेट कंपनियों को भी ज्यादा से ज्यादा नौकरियां क्रिएट करने के लिए अलग से 2 साल तक प्रोत्साहन मिलेगा. इसके लिए प्रति कर्मचारी पर 3 हजार रुपये हर महीने दिए जाएंगे. ईएलआई योजना के तहत सरकार पहली बार नौकरी ज्वाइन करने वाले लोगों को दो किस्तों में 15 हजार रुपये तक प्रोत्साहन राशि दी जाएगी. पहली किस्त नौकरी ज्वाइन करने के 6 महीने बाद दी जाएगी जबकि दूसरी किस्त 12 महीने बाद दी जाएगी.

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मोदी सरकार के ईएलआई योजना से पहली बार नौकरी ढूंढ रहे युवाओं के लिए बड़ी राहत मिलेगी. कंपनियों को नए लोगों को नौकरी पर रखने का प्रोत्साहन मिलने के साथ-साथ देश में रोजगार और सामाजिक सुरक्षा दोनों को बढ़ावा मिलेगा. मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में गति और विकास और अनुभव की कमी के कारण नौकरी से वंचित युवाओं के लिए बेहतर मौका मिलेगा. इस तरह से पीएम मोदी ने विपक्षी के दोनों ही मुद्दों की सियासी हवा निकाल दी है.

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