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'इंटेलिजेंस फेलियर, अब तो जम्मू में आतंकवाद...,' कठुआ हमले पर उमर अब्दुला के बयान के बाद क्या बोली सपा-कांग्रेस

जम्मू-कश्मीर के कठुआ जिले में आतंकवादी हमले की घटना पर पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने चिंता जताई है. उमर अब्दुल्ला का कहना था कि कठुआ हमला चिंताजनक है. प्रशासन को और सतर्क रहना चाहिए था. उमर अब्दुल्ला ने यह भी कहा कि हमने पहले भी स्ट्राइक (बालाकोट) की थी. क्या हमले रुके? सरकार ने बढ़-चढ़कर स्ट्राइक करने का दावा किया, लेकिन आतंकी घटनाएं नहीं रुकीं.

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कठुआ हमले पर विपक्ष ने प्रतिक्रिया दी है.
कठुआ हमले पर विपक्ष ने प्रतिक्रिया दी है.

जम्मू कश्मीर के कठुआ में आतंकी हमले पर विपक्ष हमलावर है और सरकार को निशाने पर ले रहा है. सबसे पहले नेशनल कॉन्फ्रेंस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने आतंकी हमलों और बालाकोट एयर स्ट्राइक को लेकर बड़ा बयान दिया है. उमर के बयान पर सियासत गरमा गई है. बीजेपी ने सीधे विपक्ष को घेरा है तो कांग्रेस और सपा ने आतंकी घटनाओं को लेकर सरकार पर सीधे हमला किया है.

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दरअसल, जम्मू क्षेत्र में एक महीने में पांच आतंकी घटनाएं सामने आई हैं. 8 जुलाई को कठुआ में आतंकियों ने सेना के काफिले पर हमला कर दिया था. घटना में पांच जवान शहीद हो गए और पांच अन्य जवान घायल हो गए थे. आतंकियों की कायराना हरकत के बाद सेना एक्शन मोड में आ गई है और तीन दिन से लगातार जंगलों में सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा है.

लेकिन आतंकी घटनाएं नहीं रुकीं...

आतंकी घटनाओं पर जम्मू कश्मीर के पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला ने सरकार पर हमला बोला और बालाकोट एयरस्ट्राइक पर बड़ा बयान दिया. उमर ने कहा, हमने पहले भी हमले किए थे. क्या हमले रुके? सरकार ने दंभपूर्वक बालाकोट पर हमले का दावा किया, लेकिन आतंकवादी घटनाएं नहीं रुकीं.

उमर अब्दुल्ला ने क्या कहा है...

उमर का कहना था कि बीजेपी से सवाल करिए. बीजेपी दावा करती थी कि 370 के साथ आतंकवाद जुड़ा हुआ है और अनुच्छेद 370 के हटने के बाद आतंकवादी घटनाएं खत्म हो जाएंगी. लेकिन हम कहते थे कि आतंकवाद और अनुच्छेद 370 का कुछ लेना-देना नहीं है. अनुच्छेद 370 हटाने से आतंकी घटनाओं पर कोई असर नहीं हुआ. हुकुमत की लापरवाही है. हालात रोज खराब होते जा रहे हैं. इसका जिम्मेदार कौन है? स्ट्राइक बैक करना या ना करना- ये तो हुकुमत का फैसला होता है. लेकिन हमने पहले भी स्ट्राइक की थी. क्या हमले रुके? बढ़-चढ़कर सरकार ने बालाकोट पर स्ट्राइक करने का दावा किया, लेकिन आतंकी घटनाएं नहीं रुकीं.

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अखिलेश बोले- इंटेलिजेंस फेलियर है

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा, कश्मीर में सीमाओं को लेकर जितना सावधान होना चाहिए, जितने इंफ्रास्ट्रक्चर के प्रोजेक्ट होने चाहिए थे, वो नहीं हुए हैं. इनका इंटेलिजेंस फेलियर है, जिसकी वजह से सिक्योरिटी खतरे में है. बॉर्डर की भी सिक्योरिटी खतरे में है.

कांग्रेस ने कहा- बीजेपी सिर्फ झूठ बोलती है

कांग्रेस नेता उदित राज ने कहा, BJP कहती थी कि कश्मीर में आतंकवाद खत्म हो गया है. लेकिन अब तो आतंकवाद जम्मू में घुस आया है और कश्मीर का हाल तो बुरा है ही. आतंकी घटनाओं पर बीजेपी सिर्फ झूठ बोलती है. बीजेपी सिर्फ चुनाव में लगी रहती है, इसलिए इनको कुछ नहीं पता होता है.

बीजेपी बोले- हमलों पर राजनीति ना करें

वहीं, बीजेपी नेता प्रेम शुक्ला ने कहा, जवानों के बलिदान पर ये इंडिया अलायंस गिद्द भोज करना चाहता है. भारत के नागरिक ऐसे गिद्दों को पहचानते हैं. आतंकवाद अपनी अंतिम सांसें गिन रहा है. इन गिद्दों को सोचना चाहिए कि इन हमलों पर राजनीति ना करें.

इनका पाकिस्तान प्रेम समझ नहीं आता है....

BJP नेता दुष्यत गौतम ने कहा, हमने वो कश्मीर भी देखा है जिसमें आतंकवादियों को दिल्ली में बिठाकर बिरयानी खिलाई जाती थी. बच्चों के हाथ में पत्थर हुआ करते थे. सैनिकों को मारने का काम किया करते थे. हिंदुओं को चुन-चुन कर मारा जाता था. आज अनुच्छेद 370 हटाने के बाद से कश्मीर विकास की ओर अग्रसर है. कश्मीर की जनता से इनका कोई लगाव नहीं है. इनका पाकिस्तान प्यार दिखाना समझ में नहीं आता है.

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बीजेपी के सीनियर नेता तरुण चुघ ने कहा, अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद जम्मू कश्मीर आगे बढ़ गया है. केंद्र शासित प्रदेश में अब शांति कायम है. जम्मू-कश्मीर अब शांति का प्रतीक है. चुनाव शांतिपूर्ण तरीके से होने जा रहे हैं. पथराव के मामले कम हुए हैं. बहिष्कार की राजनीति अब खत्म हो गई है. राहुल गांधी और प्रियंका गांधी अब वहां जाकर स्‍नोबॉल खेल रहे हैं.

और क्या बोले उमर अब्दुल्ला...

क्या जम्मू क्षेत्र में आतंकवादी हमले बढ़ने से विधानसभा चुनाव की तैयारियों पर असर होगा? इस पर उमर ने कहा, विधानसभा चुनाव सुप्रीम कोर्ट के आदेश का मामला है और मैं नहीं मानता कि सुरक्षा की स्थिति इतनी खराब है कि चुनाव नहीं हो सकते. हमारे यहां 1996 में चुनाव हुए हैं. 1998, 1999 में संसद के लिए चुनाव हुए हैं. मुझे लगता है कि चुनाव अवश्य होने चाहिए. कुछ नेताओं की सुरक्षा वापस लिए जाने पर उन्होंने कहा, अगर उचित एनालिसिस और उचित सुरक्षा मूल्यांकन के आधार पर ऐसा किया जाता तो यह ठीक होता. अब्दुल्ला ने कहा, लेकिन हमने देखा है कि जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा प्रदान करना और सुरक्षा वापस लेना दोनों काफी हद तक एक राजनीतिक बात है. यह राजनीतिक विचारों पर किया जाता है, इसलिए मुझे लगता है कि इससे बचने की जरूरत है.

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