
दक्षिण गुजरात के पार-तापी-नर्मदा नदी को जोड़ने वाली परियोजना के विरोध में शुक्रवार को पूरे गुजरात से आदिवासी राजधानी गांधीनगर में इकट्ठे हुए. इस आंदोलन का आयोजन कांग्रेस ने किया था. लेकिन आदिवासी कांग्रेस के नेताओं के साथ विधानसभा घेराव करने पहुंचते, इससे पहले ही पुलिस ने उनको हिरासत में ले लिया.
दरअसल, पार-तापी-नर्मदा नदी प्रोजेक्ट के तहत इन नदियों पर 500 करोड़ की लागत से छोटे-बड़े बांध बनाए जाएंगे, जिसके चलते दक्षिण गुजरात के वलसाड और वापी इलाके के किसानों की जमीन पानी में डूब जाएगी. इसके खिलाफ लोग गांधीनगर पहुंचे हुए थे. कांग्रेस के विधायक अनंत पटेल के मुताबिक, सालों से जल, जमीन और जंगल को लेकर अपनी बात रखने वाले आदिवासी खुद को विस्थापित करने की योजना से भी काफी नाराज हैं और बीजेपी सरकार का विरोध करने उतरे हैं.
पार-तापी-नर्माद नदी जोड़ो परियोजना के तहत मुख्य रूप से 7 बांधों (झेरी, मोहनकावचली, पाइखेड़, चसमांडवा, चिक्कर, डाबदार और केलवान), 3 डाइवर्जन वियर (पाइखेड़, चसमांडवा और चिक्कर बांधों), दो सुरंगों (5.0 किलोमीटर और 0.5 किलोमीटर लंबाई), 395 किलोमीटर लंबी नहर और छह बिजलीघरों का निर्माण शामिल है. इनमें से झेरी बांध नासिक में है जबकि बाकी बांध दक्षिण गुजरात के वलसाड और डांग जिलों में हैं.

इन जलाशयों की वजह से लगभग 6,065 हेक्टेयर भूमि जलमग्न हो जाएगी. इससे कुल 61 गांव प्रभावित होंगे, जिनमें से एक पूरी तरह से जलमग्न हो जाएगा और बाकी 60 आंशिक रूप से डूबेंगे. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस साल अपने केंद्रीय बजट भाषण में नदी जोड़ो परियोजना पर जोर देने का संकेत दिया था. अब इस ऐलान से राज्य की सत्तारूढ़ भाजपा सरकार चिंतित है क्योंकि राज्य (गुजरात) में इस साल चुनाव होने वाले हैं. गुजरात में आदिवासियों को लेकर अब राजनीति ने भी जोर पकड़ लिया है.
इस तरफ जल, जंगल और जमीन के मुद्दे को लेकर कांग्रेस अब आदिवासी मुद्दों को उठा रही है, तो बीजेपी ने भूपेंद्र पटेल सरकार में 5 आदिवासी मंत्री देकर आदिवासियों के हक की बात कर रही है.
इस मामले में गुजरात सरकार के मंत्री नरेश पटेल का कहना है कि आदिवासी इलाके के लोगों को बताया गया है कि इस प्रोजेक्ट से उन्हें कोई नुकसान नहीं होगा, लेकिन कांग्रेस चुनावी राजनीति कर आदिवासियों को भड़काने का काम कर रही है.
बता दें कि गुजरात में 15 फीसदी आदिवासी वोटबैंक है. इसका सीधा असर दक्षिण, मध्य और उत्तर गुजरात की तकरीबन 20 विधानसभा सीटों पर होता है. दक्षिण गुजरात की 10 सीटों पर तो आदिवासी ही विधायक तय करते हैं.