विकास दुबे एनकाउन्टर मामले में उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में जवाब दाखिल कर दिया है. हलफनामे के जरिए भेजे जवाब में सरकार ने फर्जी एनकाउन्टर के आरोपों का खण्डन किया है.
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सरकार ने कहा कि विकास दुबे ने पुलिस पर 9 राउंड गोलियां चलाईं. पुलिस ने शुरूआत में गोली चलाकर उसे सरेंडर करने को कहा लेकिन विकास के सरेंडर ने करने और फायर करने पर उस पर गोली चलानी पड़ी.
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मुठभेड़ को सही बताते हुए पुलिस ने अपने जवाब में कहा, "इसे किसी भी तरह फेक एनकाउंटर नहीं कहा जा सकता. इसे लेकर किसी तरह का संशय नहीं रहे, इसके लिए सरकार ने सभी तरह के कदम उठाए हैं. सुप्रीम कोर्ट सोमवार को इस मामले में कोई आदेश दे सकता है."
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यूपी पुलिस ने कहा है कि एनकाउंटर के मामले में सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का पूरी तरह पालन किया गया है. आत्मरक्षा में ही पुलिस हिरासत से सुरक्षा बल के हथियार छीनकर भाग रहे दुर्दान्त अपराधी पर गोली चलाई गई थी.
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एनकाउंटर के बाद सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के मुताबिक़ यूपी सरकार ने हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज की अगुआई में न्यायिक आयोग गठित किया है जो कि एनकाउंटर की जांच कर रहा है. यूपी पुलिस ने दुबे के खिलाफ दर्ज सभी आपराधिक मामलों की सूची कोर्ट को दी है.
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एनकाउंटर के समय घटनास्थल पर पलटी पुलिस की गाड़ी की फोटो, विकास दुबे के शव की फोटो, विकास दुबे ने जिन 8 पुलिसवालों की हत्या की, उनके शवों की फ़ोटो कोर्ट में जमा की गई है.
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यूपी सरकार ने हलफनामे में कहा कि इसके साथ ही 24 घंटे के भीतर मामले की सूचना राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को दे दी गई थी. बाकी मुठभेड़ों की जांच के लिए एसआईटी का गठन भी किया गया है. 10 जुलाई की घटना की जांच के लिए स्पेशल टीम बनाई गई है. दूसरी ओर यूपी पुलिस ने दुबे के ख़िलाफ़ दर्ज सभी आपराधिक मामलों की सूची कोर्ट को दी है. उत्तर प्रदेश सरकार ने अपने जवाब में कहा कि ये मामला पूरी तरह से हैदराबाद के मामले से अलग है.