भारत कोरोना महामारी का ग्लोबल इपिसेंटर बन गया है. कोरोना महामारी की शुरुआत के बाद पहली बार, भारत के दैनिक नए केसों का सात दिन का औसत अमेरिका या ब्राजील से ऊंचा है. लगातार एक हफ्ते तक भारत में इन दो देशों की तुलना में हर दिन अधिक नए केस रिपोर्ट हुए.
हालांकि, साप्ताहिक औसत एक अहम पैमाना है, लेकिन जैसा कि अमेरिका, ब्राजील और कुछ हद तक भारत में देखा गया है कि हर हफ्ते की शुरुआत में केसों की संख्या में गिरावट आती है. संभवत: ये इस बात का नतीजा है कि हफ्ते के अंत वाले दिन टेस्टिंग लैब्स बंद रहती हैं.
हफ्ते के शुरुआती दिन को छोड़ दें तो फिर हफ्ते के बाकी सारे दिन केसों की संख्या बढ़ती रहती है. इसलिए अगर सिर्फ एक दिन की तुलना की जाए तो उससे भ्रामक नतीजे मिल सकते हैं. ऐसे में साप्ताहिक औसत अधिक विश्वसनीय है.
जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर सिस्टम साइंस एंड इंजीनियरिंग (JHU CCSE) के मुताबिक, भारत में हर दिन 60,000 से अधिक नए केसों का साप्ताहिक औसत रहा, जो कि अमेरिका और ब्राजील से ऊपर था.
ब्राजील या अमेरिका की तुलना में भारत में लगातार केस तेजी से बढ़ रहे हैं. भारत में हर 24 दिन में केस दोगुने हो रहे हैं. ब्राजील में ऐसा होने में 47 दिन और अमेरिका में 65 दिन लग रहे हैं. ब्राजील में केस दोगुने होने का का समय लगातार बढ़ रहा है (जो महामारी के धीमा होने का संकेत है).
रविवार 16 अगस्त को भारत ने कुल मौतों में 50,000 का आंकड़ा पार किया. अमेरिका, ब्राजील और मैक्सिको के बाद ऐसा करने वाला भारत दुनिया का चौथा देश बना. इनमें से एक चौथाई से अधिक मौतें अगस्त के पहले 15 दिनों में हुई थीं. इपिसेंटर के तौर पर भारत की स्थिति अब स्थापित है, लेकिन वक्र को समतल करने में ये कितना समय लगेगा, यह अभी तक साफ नहीं है.