31 अक्टूबर की हैलोवीन नाइट नजदीक है. हॉलीवुड इंडस्ट्री में इसे लेकर हमेशा से ही क्रेज रहा है. लेकिन बॉलीवुड की हॉरर मूवीज कभी उस लेवल का डर पैदा नहीं कर पाईं. पेश है एक झलक ऐसी कुछ बॉलीवुड हॉरर मूवीज की जो हॉरर से ज्यादा कॉमेडी बनकर रह गईं...
3 ए.एम. – 2014: रणविजय सिंह स्टारर यह फिल्म थी तो एक म्यूजिकल हॉरर मूवी, लेकिन दर्शकों को डराने में नाकामयाब रही. नतीजा - फ्लॉप !
भूत रिटर्न्स – 2012: राम गोपाल वर्मा की यह फिल्म अपने पहले पार्ट 'भूत' जैसा जादू दर्शकों पर नहीं चला पाई. फिल्म देखने के बाद दर्शकों को इतना बड़ा सदमा लगा कि राम गोपाल वर्मा के सर से 'भूत 3' बनाने का भूत उत्तर गया.
क्रीचर (3डी) – 2014: बिपाशा बॉलीवुड की ऐसी एक्ट्रेस हैं जिन्होंने हॉरर मूवीज में पीएचडी कर ली है. खासतौर पर डायरेक्टर या प्रोड्यूसर अगर विक्रम भट्ट हों, तो जाहिर है कि उनकी हॉरर मूवी में एक्ट्रेस बिपाशा ही होंगी. लेकिन एक मॉन्स्टर 'ब्रह्मराक्षस' पर आधारित यह फिल्म हॉरर की केटेगरी में होते हुए भी बच्चों के मनोरंजन का जरिया बनकर रह गई.
डरना जरूरी है – 2006: इससे पहले आई फिल्म 'डरना मना है' ने हॉरर, सस्पेंस और थ्रिल का एक स्टैंडर्ड खड़ा किया था. उस स्टैंडर्ड को यह फिल्म छू भी नहीं पाई. इस फिल्म में दिखाई गई 6 अलग-अलग स्टोरीज में से कुछ में तो हॉरर था ही नहीं, बल्कि महज मजाक और ड्रामा था. फिल्म देखकर ऐसा लगा कि मानो फिल्ममेकर्स ने सारा पैसा स्टारकास्ट पर खर्च कर दिया और स्क्रिप्ट पर ध्यान ही नहीं दिया.
घोस्ट – 2012: इस फिल्म को करने के बाद तो शायद शाइनी आहूजा खुद अपनी किस्मत पर रोए होंगे. फिल्म में रिलीजन (धर्म) की डोज तो भरपूर थी, लेकिन कहानी कमजोर होने के कारण यह भी फ्लॉप रही.
हॉन्टेड (3डी) – 2011: इस फिल्म के जरिए विक्रम भट्ट ने मिथुन चक्रवर्ती के बेटे मिमोह को लॉन्च किया. लेकिन हॉरर के नाम पर फिल्म कब टाइम-ट्रेवल के भंवर में खुद फंस गई पता ही नहीं चला. खराब स्पेशल इफेक्ट्स, खराब सिनेमेटोग्राफी और खराब स्टोरी लाइन के बाद यह मूवी भी एक ट्रेजेडी ही बन गई!
हवा – 2003: तब्बू स्टारर यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर कब आई और कब चली गई पता ही नहीं चला. क्रिटिक्स ने इसे एक सेंसेशनल ड्रामा का खिताब क्यूंकि इसमें सेक्स और हॉरर का कॉम्बो देने की कोशिश की गई. लेकिन नजीता फ्लॉप निकला.
हेल्प – 2010: बॉबी देओल को इस फिल्म में मुग्धा गोडसे के डबल रोल के साथ रोमांस करने का मौका मिला. लेकिन फैमिली ड्रामे के बीच फिल्म का हॉरर पिसकर रह गया.
हम कौन हैं? – 2004: यह सुपरनैचुरल थ्रिलर फिल्म एक अच्छे कॉन्सेप्ट पर बेस्ड थी. हॉलीवुड फिल्म 'द ओठेर्स' की तर्ज पर बनी इस मूवी को डिंपल कपाड़िया और अमिताभ बच्चन जैसे उम्दा एक्टर्स का साथ भी मिला. लेकिन खराब डायरेक्शन के चलते यह अपनी ऑरिजनल हॉलीवुड मूवी की बराबरी नहीं कर पाई.
फूंक 2 – 2010: साल 2008 में आई राम गोपाल वर्मा की 'फूंक' ने बॉक्स ऑफिस पर कमाल ही कर दिया था. लेकिन उनकी किस्मत में शायद सीक्वल उतने लकी नहीं हैं. टैलेंटेड एक्टर्स होने के बावजूद कमजोर कहानी के चलते यह फिल्म फ्लॉप साबित हुई.