एसएम कृष्णा, वो शख्सियत जिनका कहना था, "कर्नाटक को एक मॉडर्न राज्य बनाने में कंप्यूटर्स और आईटी मेरे दो हथियार हैं." मुख्यमंत्री बनने के दो महीने बाद ही 1999 में उन्होंने यह बात कही थी. उनके इन्हीं दो "हथियारों" की वजह से राजधानी बेंगलुरु की वर्ल्ड मैप पर एक अलग जगह बन पाई. इस शहर को एक ग्लोबल आईटी हब बनाने का श्रेय अगर किसी को जाता है तो वो हैं एसएम कृष्णा. यही वजह है कि उनके सम्मान में आज राज्य में तीन दिनों के राजकीय शोक का ऐलान किया गया है और पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा.
कर्नाटक के मुख्यमंत्री रहे एसएम कृष्णा का 92 साल की उम्र में मंगलवार को निधन हो गया. उनकी नेतृत्व में राजधानी बेंगलुरु एक आईटी हब बन सकी और इसे भारत का सिलिकन वैली भी कहा जाता है. स्थानीय लोग भी सोशल मीडिया पर उनके नेतृत्व की तारीफ कर रहे हैं. उनके निधन पर राज्य में तीन दिनों के शोक का ऐलान किया गया है और स्कूलों में भी छुट्टियां घोषित कर दी गई हैं.
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तीन दिनों के राजकीय शोक का ऐलान
कर्नाटक सरकार की तरफ से जारी एक बयान में कहा गया है कि अगले तीन दिनों तक राज्य में किसी भी तरह का कार्यक्रम नहीं होगा. डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने कहा कि एसएम कृष्णा का उनके गृह शहर मद्दूर में पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा. उनका अंतिम संस्कार आज शाम 4 बजे किया जाएगा. लोगों से भी कहा गया है कि वे बुधवार सुबह 8 बजे बेंगलुरु में उनकी अंतिम दर्शन कर सकेंगे.
इसके बाद उनके शव को मद्दूर ले जाया जाएगा, जहां लोगों को सुबह 10.30 बजे से 3 बजे तक दर्शन की इजाजत होगी. इस बीच आज शीतकालीन सत्र को लेकर सरकार और विपक्षी पार्टियों के बीच बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की मीटिंग शेड्यूल है, लेकिन खबर लिखे जाने तक स्पष्ट नहीं है कि इसे रद्द किया जाएगा, या निर्धारित समय पर आयोजित की जाएगी.
भारत का आईटी कैपिटल बना बेंगलुरु
एसएम कृष्णा के निधन पर पूर्व कन्नड़ स्टार पुनीत राजकुमार की पत्नी अश्विनी पुनीत राजकुमार ने कहा, "एसएम कृष्णा ने बेंगलुरु को भारत की सिलिकॉन वैली के रूप में कल्पना करके भविष्य की ओर अग्रसर किया और भारत की आईटी राजधानी के रूप में इसकी नींव रखी." पूर्व सीएम ने अमेरिकी से पढ़ाई की थी और सही समय पर सही कदम उठाकर उन्होंने राज्य को सिलिकन वैली के रूप में पहचान दिलाई. इतना ही नहीं उन्होंने राज्यभर में पब्लिक सर्विस डिलिवरी सिस्टम को भी बेहतर बनाने में अपना योगदान दिया.
एसएम कृष्णा की नीति और बेंगलुरु का विकास
20वीं शताब्दी के आखिरी और 21वीं शताब्दी की शुरुआत में एसएम कृष्णा ने कर्नाटक में आईटी और बायोटेक्नोलॉजी सेक्टर की संभावनाओं को पहचानते हुए अहम नीतिगत इनोवेशन में अपना बड़ा योगदना दिया. उन्होंने 1999 में बेंगलुरु एजेंडा टास्क फोर्स (BATF) की स्थापना की, जिसमें अलग-अलग क्षेत्रों के एक्सपर्ट शामिल थे. इस फोर्स का उद्देश्य भविष्य को लेकर शहर के विकास का खाका तैयार करना था.
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एसएम कृष्णा ने मशहूर टेक्की जैसे विप्रो के अजीम प्रेमजी, इंफोसिस के नारायण मूर्ति और माइक्रोलैंड के प्रदीप कर को बेंगलुरु में निवेश करने के लिए प्रेरित किया. उनके कार्यकाल में, कर्नाटक सरकार ने सॉफ्टवेयर निर्यात को 3200 करोड़ रुपये से बढ़ाकर अगले पांच वर्षों में 15,000 करोड़ रुपये करने का लक्ष्य रखा.
एसएम कृष्णा ने न सिर्फ बेंगलुरु बल्कि मैसूर और हुबली में भी साइबरपार्क की योजना बनाई. इंफोसिस के सह-संस्थापक नारायण मूर्ति ने उन्हें 'दूरदर्शी सभ्य नेता' बताते हुए कहा कि उनका योगदान कर्नाटक की आर्थिक नींव मजबूत करने में है.
एसएम कृष्णा की नीतियों ने न सिर्फ टेक्नोलॉजी के क्षेत्र को सशक्त किया बल्कि उन्होंने ई-गवर्नेंस के माध्यम से सामाजिक और आर्थिक बदलाव भी लाए. 1999 में, उन्होंने एक वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग सुविधा की शुरुआत की, जो राज्य के नौ जिलों को जोड़ती थी.
आज, कर्नाटक का आईटी निर्यात 100 बिलियन डॉलर के करीब पहुंच रहा है, जिसमें सिर्फ बेंगलुरु ही लगभग 30-40% योगदान देता है. एसएम कृष्णा का योगदान कर्नाटक की तकनीकी प्रगति के लिए हमेशा याद किया जाएगा.