वक्फ को लेकर सुप्रीम कोर्ट में आज भी सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में वक्फ कानून को लेकर आज लगातार दूसरे दिन सुनवाई हुई. इस मामले पर कोर्ट में दोपहर दो बजे सुनवाई शुरू हुई थी. कोर्ट ने आज अपने एक अंतरिम आदेश में अगले सात दिनों के लिए बोर्ड में किसी भी नई नियुक्ति पर रोक लगाई है. केंद्र सरकार ने इसका आश्वासन दिया है. कोर्ट ने साथ ही कहा कि इस दौरान किसी भी प्रॉपर्टी के डिनोटिफिकेशन का आदेश जारी नहीं किया जाएगा.
इससे पहले बुधवार की सुनवाई में केंद्र सरकार ने कहा था कि अंतरिम आदेश जारी करने से पहले उसकी दलीलें सुनी जाए. कोर्ट ने आज केंद्र की दलीलें सुनीं और फिर सभी पक्षों को सुनने के बाद एक अंतरिम आदेश जारी किया.
चीफ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच इन याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है. तीन जजों की बेंच ने वक्फ कानून के तीन प्रावधानों पर रोक का प्रस्ताव दिया है. तमाम बड़े अपडेंट्स के लिए बने रहें इसी पेज पर...
बीजेपी सांसद राधा मोहन दास अग्रवाल ने कहा, "दो तरह के लोग विरोध कर रहे हैं. एक वे हैं जो मुस्लिम तुष्टिकरण में विश्वास रखते हैं, जो मुस्लिम समुदाय को मूर्ख बनाते हैं और उन्हें हिंदुओं से लड़वाते हैं, जिनके लिए मुसलमान नागरिक नहीं, बल्कि केवल वोट बैंक हैं. उन्हें (विपक्ष को) डर है कि जब यह लागू हो जाएगा और एक आम मुसलमान देखेगा कि मोदी जी ने उनके जीवन में इतना क्रांतिकारी बदलाव ला दिया है, सारी लूट-खसोट खत्म कर दी है और उनके लाभ के लिए प्रति वर्ष एक लाख करोड़ रुपये गरीबों को भेजे हैं, तो यह पूरा मुस्लिम समुदाय सच्चाई जानने के बाद उन्हें गाली देना शुरू कर देगा. इसलिए, उनके राजनीतिक अस्तित्व पर सवाल खड़ा हो गया है..."
वक्फ कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम आदेश पर एक्टर विजय का कहना है, "हम वक्फ संशोधन अधिनियम, 2005 के खिलाफ हमारी याचिका पर आज के आदेश के लिए कोर्ट के प्रति अत्यंत आभारी हैं. केंद्र सरकार विधेयक के उन प्रमुख प्रावधानों पर कार्रवाई करने से परहेज कर रही है जो असंवैधानिक हैं" एक्टर विजय की पार्टी भी मामले में एक पक्षकार है.
वक्फ संशोधन अधिनियम को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियों पर कांग्रेस नेता इमरान प्रतापगढ़ी ने कहा, "अंतरिम राहत के लिए मैं सुप्रीम कोर्ट का शुक्रगुजार हूं. कोर्ट ने लगभग वे सभी मुद्दे उठाए जो हमने संसद में उठाए थे. आज के फैसले से पता चलता है कि यह कानून संविधान के खिलाफ बनाया गया है. यह संविधान की जीत है, किसी पक्ष की नहीं. आने वाले दिनों में कोर्ट और राहत देगा और सरकार की जमीन हड़पने की साजिश को रोकेगा."
सुप्रीम कोर्ट में वक्फ मामले की अगली सुनवाई की तारीख 5 मई निर्धारित की गई है. इस मामले में कांग्रेस के वरिष्ठ वकील और प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी का मानना है कि यह मामला सुधार का नहीं, बल्कि तथाकथित सुधार की आड़ में प्रतिशोध की कार्रवाई है, जो रणनीतिक रूप से तय की गई है और संवैधानिक रूप से सवाल के घेरे में है. उनका कहना है कि धार्मिक आजादी को राज्य के प्रोटोकॉल तक सीमित कर दिया गया है, जो अधिकारों पर हमला है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस इस मुद्दे पर चुप नहीं रहेगी और हर जगह इसका विरोध करेगी.
- केंद्र का जवाब आने तक वक्फ संपत्ति की स्थिति नहीं बदलेगी
- कोर्ट से वक्फ घोषित संपत्ति डिनोटिफाई नहीं होगी. फिर चाहे वह वक्फ बाय यूजर और हो या वक्फ बाय डीड
- वक्फ बोर्ड और केंद्रीय वक्फ परिषद में कोई नई नियुक्ति नहीं होगी.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगले आदेश तक वक्फ के स्टेट्स में कोई बदलाव नहीं होगा. मामले में अगली सुनवाई पांच मई को होगी. इस दौरान केवल 5 रिट याचिकाकर्ता ही कोर्ट में उपस्थित रहेंगे. अदालत ने साफ कहा है कि सभी पक्ष आपस में तय करें कि उनकी पांच आपत्तियां क्या हैं?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 110 से 120 फाइलें पढ़ना संभव नहीं हैं. ऐसे में ऐसे पांच बिंदु तय करने होंगे. सिर्फ 5 मुख्य आपत्तियों पर ही सुनवाई होगी. याचिकाकर्ता मुख्य बिंदुओं पर सहमति बनाएं. नोडल काउंसिल के जरिए इन आपत्तियों को तय कीजिए. कोर्ट ने केंद्र को जवाब देने के लिए एक हफ्ते का समय दिया है. तब तक वक्फ बोर्ड और परिषद में नई नियुक्ति नहीं होगी. इसके साथ ही तय समय तक वक्फ बाय यूजर में बदलाव नहीं होगा.
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को सुनवाई के दौरान वक्फ कानून पर केंद्र सरकार को 7 दिन की मोहलत दी. केंद्र को एक हफ्ते के भीतर इस पर जवाब देने को कहा है. केंद्र का जवाब आने तक वक्फ संपत्ति की स्थिति नहीं बदलेगी. सरकार के जवाब तक यथास्थिति बनी रहेगी. इसके साथ ही अगले आदेश तक नई नियुक्तियां नहीं होगी.
केंद्र की ओर से कोर्ट में पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि स्टे लगाने का कोई आधार नहीं है. अगर स्टे लगाया गया तो यह अनावश्यक सख्त कदम होगा. केंद्र सरकार ने जवाब के लिए एक हफ्ते का समय मांगा है. कोर्ट के आदेश का बहुत बड़ा प्रभाव होगा.
वक्फ कानून की संवैधानिक वैधता को लेकर गुरुवार को लगातार दूसरे दिन सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हो गई है. सुनवाई शुरू होती ही सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील की शुरुआत करते हुए कहा कि रोक लगाने का कोई आधार नहीं है.
वक्फ कानून में किए गए संशोधन के खिलाफ देशभर से कई राजनीतिक पार्टियों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. मुख्य याचिकाकर्ताओं में कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, सीपीआई, वाईएसआरसीपी (YSRCP) सहित कई दल शामिल हैं. साथ ही इसमें एक्टर विजय की पार्टी टीवीके, आरजेडी, जेडीयू के मुस्लिम सांसद, AIMIM और AAP जैसे दलों के प्रतिनिधि भी शामिल हैं. इनके अलावा, दो हिंदू पक्षों द्वारा भी याचिकाएं दायर की गई हैं. वकील हरिशंकर जैन ने एक याचिका दर्ज कराई है जिसमें दावा किया गया है कि अधिनियम की कुछ धाराओं से गैरकानूनी ढंग से सरकारी संपत्तियों और हिंदू धार्मिक स्थलों पर कब्जा किया जा सकता है. नोएडा की रहने वाली पारुल खेरा ने भी एक याचिका दायर की है, और उन्होंने भी इसी तरह के तर्क दिए हैं. धर्मिक संगठनों में समस्त केरल जमीयतुल उलेमा, अखिल भारतीय मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और जमीयत उलेमा-ए-हिंद जैसे संगठनों ने भी कानून के खिलाफ याचिकाएं दायर की हैं. जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी का भी इस मामले में अहम योगदान है.
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सुनवाई के दौरान वक्फ कानून पर तत्काल रोक लगाने से इनकार कर दिया था. हालांकि, वक्फ बाय यूजर के प्रावधान पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा है. चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने सेंट्रल वक्फ काउंसिल और वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल किए जाने पर आपत्ति जताई है. उन्होंने पूछा है कि क्या हिंदुओं के धार्मिक संस्थानों में भी मुस्लिमों को शामिल करने के लिए तैयार हैं?
लोकसभा और राज्यसभा से पास होने के बाद 5 अप्रैल को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने वक्फ (संशोधन) बिल को मंजूरी दी थी. इसके बाद 8 अप्रैल को केंद्र सरकार ने इसकी अधिसूचना भी जारी कर दी थी और अब यह कानून लागू हो चुका है. वक्फ (संशोधन) कानून में कई अहम बदलाव किए गए हैं. नए कानून में सेंट्रल वक्फ काउंसिल और वक्फ बोर्ड में दो गैर-मुस्लिम और दो महिला सदस्यों की नियुक्ति का प्रावधान भी किया गया है. इसके साथ ही 'वक्फ बाय यूजर' के प्रावधान को भी खत्म कर दिया है. अब अगर किसी संपत्ति पर सालों से कोई इस्लामिक इमारत बनी है तो उसे वक्फ की संपत्ति घोषित नहीं किया जा सकता। अब कोई भी संपत्ति तभी वक्फ की संपत्ति मानी जाएगी, जब उसके वैध और कानूनी दस्तावेज होंगे.
वक्फ कानून में एक बड़ा बदलाव भी यह भी किया है कि अब कोई भी मुस्लिम व्यक्ति तभी अपनी संपत्ति को वक्फ के लिए दे सकता है, जब वह कम से कम 5 साल से इस्लाम का पालन कर रहा होगा. इसके अलावा सर्वे का अधिकार भी अब कलेक्टर को दे दिया गया है. एक और बड़ा बदलाव इसमें यह भी किया गया है कि अब तक अगर किसी संपत्ति को लेकर विवाद होता था, तो उसे सिर्फ ट्रिब्यूनल में ही चुनौती दी जा सकती थी और ट्रिब्यूनल का फैसला ही आखिरी होता था. लेकिन नए कानून के बाद इसे ऊपरी अदालत या हाईकोर्ट में भी चुनौती दी जा सकती है.
वक्फ कानून की संवैधानिक वैधता को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई में तीन बिंदुओं पर नजर रहने वाली है.
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सुनवाई के दौरान 'वक्फ बाय यूजर' प्रावधान को हटाने पर केंद्र सरकार से जबाव मांगा है. अदालत ने कहा कि 14वीं से 16वीं शताब्दी के बीच बनी ज्यादातर मस्जिदों के पास सेल डीड नहीं होंगे. इनका रजिस्ट्रेशन कैसे होगा? कोर्ट ने कानून के इस प्रावधान पर सवाल उठाया, जिसमें 'वक्फ बाय यूजर' संपत्तियां, जिनको पहले अदालत के आदेशों के तहत वक्फ घोषित किया गया था. इनको नए कानून के तहत अमान्य करने की बात कही गई है. CJI संजीव खन्ना ने कहा कि ऐसी संपत्तियों को डिनोटिफाई करना बड़ी परेशानी पैदा कर सकता है क्योंकि कई मस्जिदें और अन्य संपत्तियां सदियों पुरानी हैं. उनके पास रजिस्ट्रेशन दस्तावेज हों ये जरूरी नहीं.
वक्फ कानून की संवैधानिक वैधता को लेकर सुप्रीम कोर्ट गुरुवार को लगातार दूसरे दिन भी सुनवाई करेगी. दोपहर दो बजे से कोर्ट मामले की सुनवाई शुरू करेगी.