4 अक्टूबर को होने वाली यूपीएससी प्रीलिम्स परीक्षा टालने के आदेश देने से सुप्रीम कोर्ट ने मना किया. कोर्ट ने यूपीएससी की उन दलीलों को स्वीकार किया कि अब परीक्षा टालने के असर अगले साल की परीक्षा पर भी पड़ेगा. प्रतिभागियों के स्वास्थ्य की रक्षा के लिए उचित इंतज़ाम किए गए हैं.
बता दें कि याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में आयोग ने यूपीएससी प्रीलिम्स 2020 परीक्षा फिर से स्थगित करने में असमर्थता जताई थी. इस पर कोर्ट में यूपीएससी की पैरवी कर रहे अधिवक्ता नरेश कौशिक ने कहा था कि परीक्षा स्थगित करने के मामले में सहमत होना जरा भी संभव नहीं है. कोरोना संक्रमण के हालातों का संज्ञान लेते हुए पहले ही एक बार परीक्षा स्थगित की जा चुकी है. इसके पीछे उन्होंने वजह बताई कि अब दोबारा इसे स्थगित करने से परीक्षा की पूरी प्रक्रिया को नुकसान पहुंचेगा.
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने यूपीएससी से हलफनामा लगाने को कहा था. कोर्ट ने निर्देश दिया था कि वह हलफनामे के जरिये कोर्ट को परीक्षा स्थगित न कर पाने के पीछे की तार्किक वजह बताए. कोर्ट ने आयोग को हलफनामा जमा करने के लिए मंगलवार, 29 सितंबर 2020 का समय दिया था. फाइनल सुनवाई 30 सितंबर 2020 को हुई.
बता दें कि वासीरेड्डी गोवर्धन साई प्रकाश समेत अन्य यूपीएससी उम्मीदवारों ने मिलकर सुप्रीम कोर्ट में सिविल सेवा परीक्षा 2020 को फिर से स्थगित करने की मांग की थी. उन्होंने याचिका में कहा कि यूपीएससी इस परीक्षा की तारीख दो से तीन महीने आगे बढ़ा दे. इसके पीछे की वजह ये बताई कि कोरोना वायरस महामारी और देश के कई हिस्सों में बाढ़ से बिगड़े हालात के कारण कई उम्मीदवारों के लिए परीक्षा में शामिल हो पाना संभव नहीं हो पाएगा. याचिका में ये भी कहा कि यूपीएससी द्वारा अभी परीक्षा कराना संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (जी) के तहत उम्मीदवारों के अधिकारों का हनन होगा.
यूपीएससी के शेड्यूल के अनुसार, यूपीएससी सिविल सेवा प्रीलिम्स परीक्षा 2020 4 अक्टूबर 2020 को होनी है. अब इस परीक्षा को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद तय हो गया है कि परीक्षा की तिथि में कोई बदलाव नहीं होगा. इससे पहले भी नीट जेईई से लेकर यूजीसी के शेड्यूल के खिलाफ छात्र और अभिभावक कोर्ट का दरवाजा खटखटा चुके हैं. सभी याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने परीक्षा नहीं टालने का ही फैसला दिया था.