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भैंस वाला एंकर, तेजस्वी का व्लॉग, राहुल की मखाना स्टोरी... बिहार चुनाव में वोटर्स के सामने AI वीड‍ियो की बाढ़

बिहार में चुनाव के लिए पार्टियां AI वीडियो के जरिए प्रचार कर रही हैं. BJP, JDU, कांग्रेस और RJD सोशल मीडिया पर रील्स बना रही हैं, जिनमें कभी-कभी झूठ और मजाक दोनों शामिल होते हैं. AI वीडियो अब चुनावी संदेश देने और वोटर को प्रभावित करने का नया हथियार बन गया है. हमने ऐसे ही सैकड़ों AI वीडियो का विश्लेषण किया तो सामने आई ये सच्चाई...

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पहली बार बिहार चुनाव में ही AI का सबसे ज्यादा इस्तेमाल हो रहा
पहली बार बिहार चुनाव में ही AI का सबसे ज्यादा इस्तेमाल हो रहा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की स्वर्गीय मां का एक AI-निर्मित वीडियो ने पिछले हफ्ते राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी थी. इसमें बीजेपी ने इसे अपमानजनक और सिंंथेट‍िक कंटेंट करार देते हुए कड़ी आपत्ति जताई थी. लेकिन ये तो बस एक झांकी है, असली प‍िक्चर तो अभी बाकी है. अब देखना है कि एआई की दुनिया से बिहार चुनाव में आगे क्या होने वाला है. जैसे जैसे बिहार चुनाव करीब आ रहा है, AI वीडियो से राजनीतिक संदेशों की नई बयार आ रही है. ये वीड‍ियो अक्सर अपमानजनक और झूठे यानी अन रियल रील्स के रूप में सामने आ रहे हैं. 

चुनाव में अभी कई महीने बाकी हैं. फिर भी कहा जा रहा है कि बिहार विधानसभा चुनाव भारत का पहला AI इलेक्शन साबित हो सकता है. ये एक पिछड़े राज्य में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के इस्तेमाल के खिलाफ स्थापित नियमों की परीक्षा ले सकता है. इंडिया टुडे की ओपन-सोर्स इंटेलिजेंस (OSINT) टीम के विश्लेषण के अनुसार, पार्टियां पहले कभी नहीं देखी गई स्तर और पैमाने पर Generative AI का उपयोग कर रही हैं.

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भाजपा (BJP) पॉलिट‍िकल स्टोरी और नेरेट‍िव बनाने में जेनरेट‍िव AI के इस्तेमाल में सबसे आगे है. वैसे तो लगभग हर बड़ी पार्टी इस टेक्नीक का इस्तेमाल अपने एजेंडे को बढ़ावा देने, विरोधियों पर हमला करने, कीचड़ उछालने और यहां तक कि पर्सनल अटैक के लिए कर रही है.

हमने बीजेपी, उसके सहयोगी JDU और विपक्ष यानी कांग्रेस और RJD के आधिकारिक इंस्टाग्राम अकाउंट से 2,000 से अधिक पोस्ट की समीक्षा की. हर पार्टी की आखिरी 500 पोस्ट जो 13 सितंबर तक प्रकाशित हुई थीं, इनका भी अध्ययन किया गया.

बीजेपी ने क्लोजली फॉलोअड बाई JDU के साथ 58 को मिलाकर कम से कम 61 छोटे वीडियो पोस्ट किए जो पूरी तरह या आंशिक रूप से AI द्वारा बनाए गए थे. वहीं कांग्रेस ने 34 रील्स पोस्ट कीं वहीं RJD ने केवल छह AI-निर्मित रील्स पोस्ट किए जैसा कि Apify के Instagram Scraper ऐप द्वारा जुटाए गए डेटा में दिखता है.

क्या है लोकप्रिय थीम

पार्टियां तेज स्क्रॉलिंग सोशल मीडिया यूजर्स के लिए आकर्षक प्रारूपों के साथ प्रयोग कर रही हैं. कई ने राजनीतिक संदेश पहुंचाने के लिए recurring AI कार्टून पात्र भी बनाए हैं.

उदाहरण के लिए, बीजेपी बिहार इंस्टाग्राम पर कम से कम पांच AI रील्स श्रृंखला चलाती है. 'टेबला टाइम्स' में भैंस के चेहरे वाला न्यूज़ एंकर Lalu Yadav की गलत नीतियों का मजाक उड़ाता है. 'चिन टपक दम दम' NDA के तहत बिहार के व‍िकास को कैची स्लोगन के साथ दिखाता है, जबकि 'Welcome to My Vlog' में RJD नेता Tejashwi Yadav की लाइकनेस का इस्तेमाल करके उन्हें CM नितीश कुमार की तारीफ करते हुए खुशमिजाज ब्लॉगर के रूप में दिखाया गया है.

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इसी तरह, कांग्रेस ने 'बवाल बिहारी' पेश किया है, जो बेरोजगारी और वोट चोरी जैसे मुद्दे उठाने वाला एक स्वैगरिंंग पोडकॉस्ट होस्ट है. Vox-pop वीडियो, जहां डिजिटल रिपोर्टर काल्पनिक आम लोगों का इंटरव्यू लेते हैं, ये भी एक व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाने वाला प्रारूप है.

AI रील्स बनाने में शामिल पार्टी से जुड़े एक सोशल मीडिया कर्मचारी ने बताया कि असल में AI कार्टून ह्यूमर और यादगार प्रभाव जोड़ते हैं, जबकि vox-pop वीडियो बिहार की ‘आवाज’ दिखाते हैं. ये प्रारूप ध्यान खींचते हैं और ये सुनिश्चित करते हैं कि हमारा संदेश केवल सुना न जाए, बल्कि याद भी रखा जाए. 

मुश्क‍िल बढ़ाता है रियल लगता अनरियल

इन AI क्र‍िएशंस में कभी-कभी व्यंग्य और मिस इनफॉर्मेशन के बीच की रेखा धुंधली हो जाती है. एक रील में तेजस्वी यादव NDA के विकास रिकॉर्ड की तारीफ करते द‍िखते हैं. साथ ही मतदाताओं को लालू प्रसाद के 'जंगल राज' की याद दिलाते हैं. दूसरी रील में राहुल गांधी किसानों से पूछते दिखते हैं कि मखाना किस पेड़ पर उगता है? वहीं तीसरी में, एक चुनाव आयोग अधिकारी अपने जूनियर को मतदाता सूची में हेरफेर करने का निर्देश देता दिखाया गया है.

इनमें से कोई भी घटना वास्तव में नहीं हुई. फिर भी, AI के जरिये ये इतना विश्वसनीय दिखाई देते हैं कि पॉलिट‍िकल नेरेट‍िव को मजबूत कर सकते हैं. वैसे तो कीचड़ उछालना और व्यक्तिगत हमले भारतीय चुनावों में नई बात नहीं है. लेकिन अब तक पार्टियां जो कनव‍िंस‍िंंग तरीके से करती थीं उसमें कुछ सीमाएं थीं.

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पिछले समय में, doctored clips बनाने के लिए स्क‍िल, टाइम और कुछ वास्तविक तत्वों की जरूरत थी. उदाहरण के लिए, राहुल गांधी का कुख्यात आलू से सोना वीडियो याद होगा जिसे व्यापक रूप से फैक्ट चेक किया गया था. ये क्ल‍िप उनके भाषण के वीडियो की मौजूदगी के बिना नहीं बनाया जा सकता था. लेकिन AI के साथ, कुछ लाइंस के Prompt  से ऐतिहासिक घटनाओं को व‍िजुअलाइज किया जा सकता है, जो कैमरे में रिकॉर्ड तक नहीं हुई थीं. AI ने convincing caricatures और स‍िनेरियो बनाना सस्ता, तेज और स्केलेबल ना दिया है.

एनटरटेनमेंट तो है लेकिन...

वैसे ये वीडियो मनोरंजक हैं लेकिन वे प्रसार के शक्तिशाली उपकरण भी हैं, खासकर ग्रामीण बिहार में जहां कई लोग अभी भी पूरी तरह से फोटो और वीडियोज पर भरोसा करते हैं. बुजुर्ग और कम साक्षर लोगों को सिंंथेट‍िक कंटेंट के बारे में क्ल‍ियर नहीं बताया जा सकता. इसमें गलत धारणा बनने का खतरा अधिक है. कुछ hyper-realistic AI-generated रील्स में AI लेबल नहीं होते.

सही ही कहा जा रहा है कि बिहार पहला विधानसभा चुनाव हो सकता है, जहां इतनी बड़ी मात्रा में AI-निर्मित वीडियो वोटर के सेंटीमेंट को प्रभावित करने के लिए बनाए जा रहे हैं. 2024 के लोकसभा चुनाव में पहली बार भारतीय चुनाव में जेनरेट‍िव AI का उपयोग देखा गया था. हालांकि, उसका उपयोग सीमित था क्योंकि AI मॉडल तब इतने व‍िकस‍ित नहीं थे और पार्टी कार्यकर्ताओं को पर्याप्त ट्रेन‍िंंग भी नहीं मिली थी.

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