संसद का शीतकालीन सत्र शुक्रवार सुबह समाप्त हो गया, लेकिन दिल्ली और उत्तर भारत की गंभीर वायु प्रदूषण समस्या पर प्रस्तावित चर्चा नहीं हो सकी. 1 दिसंबर से शुरू हुए इस सत्र में कई अहम विधेयक पारित हुए.
हैरानी की बात यह है कि पिछले सप्ताह राहुल गांधी की पहल और सरकार की सहमति के बावजूद, उत्तर भारत में वायु प्रदूषण के संकट पर होने वाली महत्वपूर्ण चर्चा "अनुकूल माहौल न होने" का हवाला देकर रद्द हो गई.
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के कार्यालय से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, सभी दलों की सहमति से यह तय किया गया कि सदन का माहौल प्रदूषण जैसे संवेदनशील मुद्दे पर चर्चा के लिए अनुकूल नहीं है. इसी वजह से इस मुद्दे को कार्यसूची से बाहर कर दिया गया.
सत्र के अंतिम चरण में उम्मीद थी कि दिल्ली के बिगड़ते वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) पर व्यापक बहस होगी. पिछले सप्ताह विपक्ष के नेता राहुल गांधी की मांग पर केंद्र सरकार ने चर्चा के लिए सहमति भी दी थी. बावजूद इसके, हंगामे और नारेबाजी के चलते यह चर्चा नहीं हो सकी.
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गुरुवार को होनी थी चर्चा
गुरुवार को केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव को लोकसभा में प्रदूषण पर जवाब देना था, लेकिन सदन की कार्यवाही दोबारा शुरू होने के एक घंटे के भीतर ही स्थगित कर दी गई. उस समय केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ग्रामीण रोजगार से जुड़े G RAM G Bill पर बोल रहे थे. इस विधेयक के पारित होते ही विपक्ष ने तीखी आपत्ति जताई और हंगामा बढ़ गया. बाद में यह बिल राज्यसभा से भी देर रात पारित हो पाया और प्रदूषण पर चर्चा टल गई.
इससे पहले कांग्रेस समेत कई विपक्षी सांसदों ने स्थगन प्रस्ताव देकर दिल्ली प्रदूषण पर तुरंत चर्चा की मांग की थी. कन्याकुमारी से सांसद विजय वसंत ने तो दिल्ली-एनसीआर में स्मॉग को देखते हुए राष्ट्रीय स्वास्थ्य आपातकाल घोषित करने की अपील तक की थी.
दिल्ली में 13 से 15 दिसंबर तक AQI ‘सीवियर’ और ‘सीवियर प्लस’ श्रेणी में रहा, जबकि 16 दिसंबर से थोड़ी राहत मिली. हालांकि कई इलाकों में AQI अब भी 400 के पार है और घने कोहरे ने हालात और खराब कर दिए हैं. हालांकि, सत्र के अंत में जब पीएम मोदी और प्रियंका गांधी चाय पर मिले, तो चर्चा प्रदूषण के बजाय वायनाड के विकास पर हुई. अब प्रदूषण जैसे गंभीर मुद्दे पर चर्चा के लिए दिल्लीवासियों को 2026 के बजट सत्र तक का इंतजार करना पड़ सकता है.
(PTI इनपुट्स के साथ)