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नेशनल हेराल्ड केस: सोनिया और राहुल गांधी की बढ़ी मुश्किलें, ED ने शुरू की संपत्तियों पर कब्जा करने की प्रक्रिया

ईडी की यह जांच 2021 में औपचारिक रूप से शुरू हुई थी, जिसकी शुरुआत 2014 में डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा दिल्ली की एक अदालत में दायर की गई एक निजी शिकायत से हुई थी. इस शिकायत में सोनिया गांधी, राहुल गांधी और कांग्रेस के अन्य वरिष्ठ नेताओं पर आपराधिक साजिश रचने और यंग इंडियन के माध्यम से मात्र 50 लाख रुपये में AJL की 2000 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्तियां हड़पने का आरोप लगाया गया था.

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सोनिया गांधी और राहुल गांधी (फोटोः PTI)
सोनिया गांधी और राहुल गांधी (फोटोः PTI)

नेशनल हेराल्ड मनी लॉन्ड्रिंग मामले में एक बड़ा कदम उठाते हुए प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने सोनिया गांधी और राहुल गांधी से जुड़ी संपत्तियों पर कब्जा करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. यह कार्रवाई प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग रूल्स, 2013 के नियम 5 के तहत की जा रही है.

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कल जारी किया था नोटिस

यह कदम PMLA, 2002 की धारा 8 के अंतर्गत Adjudicating Authority द्वारा की गई अस्थायी कुर्की की पुष्टि के बाद उठाया गया है. 11 अप्रैल 2025 को ED ने दिल्ली, मुंबई और लखनऊ के प्रॉपर्टी रजिस्ट्रारों को औपचारिक नोटिस जारी किए, जहां एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) की संपत्तियां स्थित हैं. ये संपत्तियां यंग इंडियन नामक कंपनी के माध्यम से अधिग्रहित की गई थीं, जिसके लाभार्थी सोनिया और राहुल गांधी हैं.

इसके अतिरिक्त, रूल 5(3) के तहत मुंबई के बांद्रा (पूर्व) स्थित हेराल्ड हाउस की तीन मंजिलों पर वर्तमान में काबिज जिंदल साउथ वेस्ट प्रोजेक्ट्स लिमिटेड को भी नोटिस जारी किया गया है. इस कंपनी को निर्देश दिया गया है कि वह भविष्य में किराए की सभी राशि प्रवर्तन निदेशालय के पास जमा कराए.

ईडी की जांच में हुआ लॉन्ड्रिंग का खुलासा
 
ये कदम ईडी की जांच के बाद उठाए गए हैं, जिसमें एजेएल की संपत्तियों से जुड़ी 988 करोड़ रुपये की आपराधिक आय की कथित लॉन्ड्रिंग का खुलासा हुआ था. इन संपत्तियों में दिल्ली, मुंबई और लखनऊ की अचल संपत्तियां (661 करोड़ रुपये कीमत की) और AJL के शेयर (90.2 करोड़ रुपये) शामिल हैं, जिन्हें 20 नवंबर 2023 को अस्थायी रूप से अटैच किया गया था. इस अटैचमेंट की पुष्टि 10 अप्रैल 2024 को Adjudicating Authority ने की थी.

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2021 में ED ने शुरू की थी जांच

ईडी की यह जांच 2021 में औपचारिक रूप से शुरू हुई थी, जिसकी शुरुआत 2014 में डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा दिल्ली की एक अदालत में दायर की गई एक निजी शिकायत से हुई थी. इस शिकायत में सोनिया गांधी, राहुल गांधी और कांग्रेस के अन्य वरिष्ठ नेताओं पर आपराधिक साजिश रचने और यंग इंडियन के माध्यम से मात्र 50 लाख रुपये में AJL की 2000 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्तियां हड़पने का आरोप लगाया गया था.

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