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मोदी-ट्रंप की इसी महीने मुलाकात संभव, टैरिफ संकट और H-1B वीजा की कड़वाहट होगी दूर?

प्रधानमंत्री मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप इस महीने कुआलालंपुर में होने वाले 47वें ASEAN समिट में मिल सकते हैं. अमेरिका के 50% टैरिफ और H-1B वीजा की फीस बढ़ाए जाने के बाद यह उनकी पहली बहुपक्षीय मुलाकात होगी. एजेंडे में व्यापार, वीजा और इंडो-पैसिफिक सहयोग जैसे मुद्दे रह सकते हैं.

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ट्रंप मोदी मलेशिया में होने वाले ASEAN समिट में मिल सकते हैं. (Photo: PTI)
ट्रंप मोदी मलेशिया में होने वाले ASEAN समिट में मिल सकते हैं. (Photo: PTI)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इसी महीने अक्टूबर के आखिर में होने वाले 47वें ASEAN समिट के दौरान पहली बार आमने-सामने आ सकते हैं. यह बैठक हालिया टैरिफ विवाद और बढ़ते वैश्विक तनावों के बीच अहम मानी जा रही है.

प्रधानमंत्री मोदी 26-28 अक्टूबर 2025 को मलेशिया की राजधानी कुआलालंपुर में होने वाले 47वें ASEAN समिट में भाग लेंगे. मलेशिया के प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम ने मोदी और ट्रंप दोनों की उपस्थिति की पुष्टि करते हुए कहा कि यह सम्मेलन वैश्विक तनावों के बीच एक "बड़ा नेविगेशन कार्य" होगा.

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ट्रंप को मलेशिया ने आधिकारिक निमंत्रण भेजा था, जिसे उन्होंने जुलाई 2025 में अनवर को फोन कर स्वीकार किया. यह उनका 2017 के बाद पहला ASEAN समिट होगा. इस यात्रा के दौरान ट्रंप एशिया के कई देशों का दौरा भी करेंगे.

ट्रंप के 50% टैरिफ लगाए जाने के बाद संबंधों में तनाव

अगर मोदी और ट्रंप की मुलाकात होती है तो यह अगस्त 2025 में अमेरिका द्वारा भारत पर 50% टैरिफ लगाने के बाद उनकी पहली बहुपक्षीय मुलाकात होगी. इस टैरिफ का असर भारत के टेक्सटाइल, जेम्स-ज्वेलरी और केमिकल जैसे क्षेत्रों पर पड़ा है, जिससे करीब 8–27 अरब डॉलर के निर्यात प्रभावित होने का अनुमान है.

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गौरतलब है कि दोनों नेता जून 2025 में कनाडा में हुए जी-7 समिट के दौरान आमने-सामने नहीं आ सके थे. ऐसे में कुआलालंपुर समिट द्विपक्षीय संबंधों के लिए अहम अवसर माना जा रहा है.

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क्या होंगे ट्रंप-मोदी मीटिंग का एजेंडा?

विशेषज्ञों का मानना है कि बैठक के एजेंडे में व्यापार तनाव कम करने, एच-1बी वीजा, इंडो-पैसिफिक रणनीतिक सहयोग और रूस से भारत के तेल आयात जैसे मुद्दे प्रमुख हो सकते हैं. चर्चाओं के जरिए एक "रीसेट" की संभावना भी जताई जा रही है.

अमेरिकी टैरिफ का बोझ भारत की जीडीपी वृद्धि दर पर भी असर डाल सकता है. हालांकि भारत ने अब तक कोई जवाबी टैरिफ लागू नहीं किया है और "मेड इन इंडिया" पहल और जीएसटी सुधारों के जरिए आत्मनिर्भरता पर जोर दिया है.

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