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गांव की पगडंडियों से संसद के उच्च सदन तक...जानिए कैसा रहा उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का संघर्षों भरा सफर

राजस्थान के छोटे से गांव किठाना में जन्मे जगदीप धनखड़ ने गांव की पगडंडियों से होते हुए देश के उपराष्ट्रपति पद तक का सफर तय किया. पैदल स्कूल जाने वाले इस छात्र ने कानून की पढ़ाई के बाद वकालत में नाम कमाया और राजनीति में आकर कई अहम पदों को संभाला. जानिए उनके संघर्ष, मेहनत और सफलता की प्रेरणादायक कहानी, जो आज युवाओं के लिए मिसाल है.

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जगदीप धनखड़ ने उपराष्ट्रपति पद से दिया इस्तीफा  (Photo: PIB)
जगदीप धनखड़ ने उपराष्ट्रपति पद से दिया इस्तीफा (Photo: PIB)

भारत के 14वें उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने मानसून सत्र शुरू होने के पहले दिन ही उपराष्ट्रपति के पद से इस्तीफा दे दिया है. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को भेजे गए अपने रेजिगनेशन लेटर में उन्होंने इसके पीछे स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया है. 

जगदीप धनखड़ का पूरा जीवन एक प्रेरणादायक यात्रा है, जिसमें उन्होंने एक साधारण ग्रामीण पृष्ठभूमि से निकलकर भारत के उपराष्ट्रपति पद तक का सफर तय किया. उनका जन्म 18 मई 1951 को राजस्थान के झुंझुनूं जिले के किठाना गांव में हुआ था. 

सरकारी स्कूल से शिखर तक का सफर

शुरुआती शिक्षा उन्होंने गांव के सरकारी प्राथमिक स्कूल से प्राप्त की थी. इसके बाद कक्षा 6 में उन्होंने घड़हाना गांव के सरकारी माध्यमिक स्कूल में दाखिला लिया, जो उनके गांव से 4-5 किलोमीटर दूर था. वो हर दिन अन्य बच्चों के साथ पैदल चलते हुए स्कूल जाया करते थे.

इसके बाद साल 1962 में उन्होंने चित्तौड़गढ़ सैनिक स्कूल की प्रवेश परीक्षा में सफलता प्राप्त की और कक्षा 5 में पूरी मेरिट स्कॉलरशिप पर दाखिला लिया. वहीं से उन्होंने इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट परीक्षा उत्तीर्ण की, जो कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से मान्यता प्राप्त थी. इसके बाद उन्होंने महाराजा कॉलेज, जयपुर से भौतिकी में बीएससी ऑनर्स की डिग्री हासिल की, जो राजस्थान विश्वविद्यालय से संबद्ध था.

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वकालत में बनाया करियर

वकालत के क्षेत्र में कदम रखते हुए उन्होंने 1978-79 में राजस्थान विश्वविद्यालय से एलएलबी की पढ़ाई पूरी की. 10 नवंबर 1979 को राजस्थान बार काउंसिल में वकील के रूप में पंजीकृत हुए.

27 मार्च 1990 को राजस्थान हाईकोर्ट ने उन्हें सीनियर एडवोकेट का दर्जा दिया. इसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में बतौर वकील प्रैक्टिस शुरू की और इस्पात, कोयला, खनन और अंतरराष्ट्रीय वाणिज्यिक मध्यस्थता जैसे क्षेत्रों में विशेषज्ञता हासिल की.

जनता दल के जरिए राजनीति में एंट्री

इसके बाद उन्होंने जनता दल के जरिए राजनीति में प्रवेश किया. वो जनता दल के टिकट पर 1989 में झुंझुनूं से 9वीं लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए और 1990 में संसदीय कार्य राज्य मंत्री बने.

इसके बाद इन्होंने कांग्रेस पार्टी ज्वाइन कर ली थी. 1993 में, वो अजमेर जिले के किशनगढ़ निर्वाचन क्षेत्र से राजस्थान विधानसभा के लिए चुने गए. साल 1993 से 1998 तक वो राजस्थान विधानसभा के सदस्य रहे और कई महत्वपूर्ण समितियों में शामिल रहे. साल 2003 में जगदीप धनखड़ ने बीजेपी की सदस्यता ली थी.

2019 में बने बंगाल के राज्यपाल

30 जुलाई 2019 को उन्हें पश्चिम बंगाल का राज्यपाल नियुक्त किया गया, जहां उन्होंने 18 जुलाई 2022 तक सेवा दी. इसके बाद वो भारत के 14वें उपराष्ट्रपति बने. जगदीप धनखड़ का जीवन दर्शाता है कि समर्पण, शिक्षा और मेहनत से कोई भी व्यक्ति देश के सर्वोच्च पदों तक पहुंच सकता है.

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