
बाढ़ बारिश से देश के हर कोने में तबाही का मंजर है. उत्तराखंड, पंजाब, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली और महाराष्ट्र... हर तरफ सैलाब है. बादल फटने, भूस्खलन और नदियों में उफान के कारण आई आपदा से कई लोगों की मौत हो गई है, कई लोग लापता हैं और हजारों लोग विस्थापन को मजबूर हो गए हैं. सेना, एनडीआरएफ और स्थानीय प्रशासन राहत और बचाव कार्यों में जुटे हैं, लेकिन प्रकृति का रौद्र रूप थमने का नाम नहीं ले रहा है. जिससे तरफ त्राहिमाम-त्राहिमाम मचा हुआ है.
सबसे पहले बात पंजाब की राज्य में भारी बारिश और हिमाचल व जम्मू-कश्मीर से आए पानी के कारण सतलुज, ब्यास और रावी नदियों में उफान आ गया है. पठानकोट, गुरदासपुर, फाजिल्का, कपूरथला, तरनतारन, फिरोजपुर, होशियारपुर और अमृतसर जैसे जिले सबसे ज्यादा प्रभावित हैं. गुरदासपुर की स्थिति सबसे गंभीर है. एनडीआरएफ, सेना, बीएसएफ और जिला प्रशासन के संयुक्त प्रयासों से अब तक 11,330 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है. राहत और बचाव कार्य युद्धस्तर पर जारी है.
हिमाचल में सेब की फसल को भारी नुकसान
हिमाचल प्रदेश में बादल फटने और भूस्खलन ने भारी तबाही मचाई है. चंबा, कुल्लू, शिमला और भरमौर जैसे इलाकों में सड़कें अवरुद्ध हो गई हैं, और यात्री फंसे हुए हैं. चंबा के तिस्सा सड़क मार्ग पर विशाल चट्टानें गिरने से यातायात ठप है. शिमला के बसंतपुर में भूस्खलन ने सड़कों को मलबे से भर दिया है, जबकि कुल्लू के बागन गांव में 35 घरों की नींव हिल गई है और 10 मकान पूरी तरह ढह गए हैं. मणिमहेश के रास्ते में उफनते नाले ने लोगों को रस्सियों के सहारे पार करने को मजबूर कर दिया है. सेब की फसल को भी भारी नुकसान हुआ है, जिससे किसानों की आजीविका पर संकट मंडरा रहा है.
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने प्रभावित इलाकों का दौरा किया और अधिकारियों को तत्काल राहत कार्य शुरू करने के निर्देश दिए. चंडीगढ़-मनाली राष्ट्रीय राजमार्ग को बहाल करने के लिए तेजी से काम चल रहा है.
जम्मू-कश्मीर में भूस्खलन से भारी तबाही
जम्मू-कश्मीर में भी स्थिति भयावह है. रामबन के पास NH-44 पर भारी भूस्खलन ने बिछलारी नदी का प्रवाह रोक दिया, जिससे आसपास के गांवों में बाढ़ का खतरा बढ़ गया है.
उधमपुर में अचानक आई बाढ़ ने जम्मू-श्रीनगर राजमार्ग को बंद कर दिया. गुरेज और रियासी में बादल फटने से मलबे का अंबार लग गया और कई पुल क्षतिग्रस्त हो गए. सेना की टाइगर डिवीजन ने तवी पुल को मात्र 12 घंटे में 110 फीट लंबे बेली ब्रिज के निर्माण से बहाल किया, जिससे यातायात फिर से शुरू हो सका. अब तक 30 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है.
उत्तराखंड में बादल फटने से तबाही
उत्तराखंड में मानसून ने कहर बरपाया है. रुद्रप्रयाग, चमोली, बागेश्वर और टिहरी जिलों में बादल फटने से कई लोग लापता हैं और कई की मौत हो चुकी है. 65 से अधिक घर भूस्खलन की चपेट में हैं. पिथौरागढ़ के धारचूला में भूस्खलन ने दारमा घाटी की सड़क को अवरुद्ध कर दिया. चमोली में जोशीमठ-मलारी राष्ट्रीय राजमार्ग 48 घंटों से बंद है और स्थानीय लोग बीमार लोगों को पीठ पर लादकर टूटी सड़कों से पार करा रहे हैं. श्रीनगर और धारी देवी क्षेत्र में अलकनंदा नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है. नंदा नगर घाट में जमीन फटने से खेतों और मकानों में बड़ी-बड़ी दरारें पड़ गई हैं और 26 परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा गया है.
वहीं, बाढ़ की मार जानवरों पर भी बराबर पड़ रही है. रामनगर में एक तेंदुए का नहर में बहते हुए वीडियो तेजी के साथ वायरल हो रहा है. तेंदुआ पानी से बह रहा है...पानी को पार करने में ये तेंदुआ बिल्कुल असमर्थ नजर आ रहा है.

दिल्ली में यमुना का रौद्र रूप
पहाड़ों पर लगातार हो रही बारिश का असर अब मैदानी इलाकों में भी दिखने लगा है. दिल्ली में यमुना का जलस्तर खतरे के निशान को पार कर गया है. ओखला बैराज के गेट खोल दिए गए हैं, जिसके बाद कालिंदी कुंज घाट पर यमुना का तेज बहाव नजर आ रहा है.
सौताड़ा में झारने का रौद्र रूप
महाराष्ट्र बीड का मिनी महाबलेश्वर के नाम से मशहूर सौताड़ा में विंचरणा नदी पर स्थित झरना इस वक्त पूरे उफान पर है. पिछले पंद्रह दिनों से हो रही लगातार बारिश के कारण रामेश्वर की गहरी घाटी में गिरने वाले इस झरने ने रौद्र रूप धारण कर लिया है, जिससे पर्यटकों के कदम उधर मुड़ गए हैं.