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OIC की बैठक में हुर्रियत नेता मीरवाइज उमर फारूक को बुलावा, भारत ने दी नसीहत

हुर्रियत नेता मीरवाइज उमर फारूक को OIC की मीटिंग में बुलावे पर भारत ने तीखी प्रतिक्रिया दी है. विदेश मंत्रालय ने कहा कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि OIC एक व्यक्ति के राजनीतिक एजेंडे द्वारा निर्देशित दिख रहा है.

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मीरवाइज उमर फारूक (फाइल फोटो)
मीरवाइज उमर फारूक (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध को हुए 22 दिन
  • रूस के साथ तेल खरीद पर विदेश मंत्रालय का बयान

रूस-यूक्रेन के बीच आज युद्ध का 22वां दिन है. यूक्रेन से हर दिन आने वाली तस्वीरें भयावह हैं. बता दें कि यूक्रेन के खिलाफ जंग छेड़ने के बाद से ही रूस को अमेरिका और पश्चिमी देशों के कड़े आर्थिक प्रतिबंधों का सामना करना पड़ रहा है. स्विफ्ट से बाहर करने और कई बैंकों पर प्रतिबंध लगाने के बाद अमेरिका ने बीते दिनों रूसी तेल और गैस को बैन करने के संकेत दिए. 

इसके बाद रूस ने सोमवार को इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी और यूरोप को गैस सप्लाई रोकने की धमकी दी. इसके साथ ही रूस ने पश्चिमी देशों को चेताया कि वह क्रूड ऑयल (Crude Oil) को 300 डॉलर प्रति बैरल के भी पार पहुंचा सकता है.

कच्चा तेल खरीद पर क्या बोला विदेश मंत्रालय?

गुरुवार को भारत के विदेश मंत्रालय ने एक प्रेस वार्ता की. जिसमें मंत्रालय ने रूस से कच्चा तेल खरीद पर बयान दिया. विदेश मंत्रालय की ओर से प्रेस वार्ता में मौजूद अरिंदम बागची से जब पूछा गया कि क्या भारत रूस से कच्चा तेल खरीद रहा है? इस पर उन्होंने जवाब में कहा कि भारत अपनी अधिकांश तेल आवश्यकताओं का आयात करता है. हमें नहीं लगता कि रूस एक प्रमुख आपूर्तिकर्ता रहा है. इसलिए, हम अपनी तेल आवश्यकताओं के आयात की स्थिति के कारण ग्लोबल मार्केट में सभी संभावनाएं तलाश रहे हैं. 

 

 

OIC का हुर्रियत नेता उमर फारूक को बुलावा

वहीं हुर्रियत नेता मीरवाइज उमर फारूक को OIC (Organisation of Islamic Cooperation) के आमंत्रण पर विदेश मंत्रालय ने कहा कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि OIC अन्य महत्वपूर्ण विकास गतिविधियों पर ध्यान देने की जगह एक व्यक्ति के राजनीतिक एजेंडे द्वारा निर्देशित है.

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उन्होंने कहा कि भारत सरकार इस तरह की कार्रवाइयों की निंदा करता है, जिसका उद्देश्य सीधे तौर पर भारत की एकता को संप्रभुता का उल्लंघन करना है.

जंग से पुतिन को भी हो सकता है नुकसान

दूसरी तरफ युद्ध को लेकर एक्सपर्ट मान रहे हैं कि अगर ये जंग और ज्यादा दिन चलती है तो इसका नुकसान पुतिन को भी हो सकता है क्योंकि उनके संसाधन कम पड़ेंगे तो मदद करने के नाम पर उनके लिए शायद सिर्फ चीन ही आगे आएगा,और चीन से मदद लेने पर दुनिया के सामने पुतिन की छवि धूमिल हो सकती है. ऐसे में यूक्रेन अगर संकट में है तो पुतिन भी चारों ओर बड़ी चुनौतियों से घिरे हुए हैं.

 

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