scorecardresearch
 

NCAP की रैंकिंग में शीर्ष 10 में शामिल हुए यूपी के 5 शहर, प्रदूषण कम करने में हुए सफल

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के मुताबिक, राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) के तहत पीएम 10 प्रदूषण लक्ष्य को कम करने में यूपी के 5 शहर आगे हैं. वहीं, 130 शहरों की सूची में दिल्ली 67वें स्थान पर है.

Advertisement
X
Pollution News
Pollution News

देश के कई शहर इन दिनों वायु प्रदूषण की चपेट में हैं, जिसको देखते हुए सरकार की तरफ से राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) चलाया जा रहा है. इसी के तहत उत्तर प्रदेश के कम से कम 5 टियर 2 शहर और कस्बे 2017 से अपने पीएम 10 प्रदूषण को कम करने में सक्षम शीर्ष 10 में शामिल हैं. 

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा संसद में दी गई जानकारी के मुताबिक, वाराणसी 2023-34 में पीएम 10 प्रदूषण को 230 से घटाकर 73 करके परिवेशी वायु गुणवत्ता सूचकांक को कम करने वाले शहरों में शीर्ष पर है यानी 63 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर की कमी हुई है. दूसरे स्थान पर बरेली शहर है, जहां एक्यूआई 207 था जो अब 80 है यानी 61 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर की कमी हुई है, जबकि तीसरे स्थान पर फिरोजाबाद है, जहां एक्यूआई 247 से सुधर कर 102 हो गया है यानी 59 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर की कमी हुई है.

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने दी जानकारी

वहीं यूपी का मुरादाबाद शहर 8वें स्थान पर आया है. यहां पहले पीएम 10 का AQI 222 था, जो अब 115 पर है यानी 48 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर की गिरावट हुई है. जबकि बुलंदशहर के पास एक छोटा सा शहर खुर्जा 9वें स्थान पर है. बता दें कि भारत में सबसे प्रदूषित शहर दिल्ली सूची में 67वें स्थान पर है. दिल्ली का 2017-18 में पीएम 10 एक्यूआई 241 था, लेकिन 2023-24 में 14 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर घटकर 208 हो गया है. इस सूची में पहाड़ी राज्य भी शामिल है. उत्तराखंड की राजधानी देहरादून, जिसका AQI 2017-18 में 250 था, जो अब घटकर 109 हो गया है यानी 56 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर की गिरावट हुई है. 

Advertisement

झारखंड का दूसरा सबसे अधिक आबादी वाला शहर धनबाद पांचवें नंबर पर है. शीर्ष दस की सूची में केवल दो दक्षिणी शहर जगह बना पाए हैं, तमिलनाडु में तूतीकोरिन (थूथुकुडी) और त्रिची (तिरुचिरापल्ली) और हिमाचल प्रदेश में नालागढ़.
संसद में दिए गए जवाब में कहा गया है कि "कार्यक्रम के तहत किए गए प्रयासों के कारण, 130 शहरों में से 97 शहरों ने वित्त वर्ष 2017-18 के स्तर के संबंध में वित्त वर्ष 2023-24 में वार्षिक पीएम10 सांद्रता के संदर्भ में वायु गुणवत्ता में सुधार दिखाया है. 55 शहरों ने 2017-18 के स्तर के संबंध में 2023-24 में पीएम10 के स्तर में 20% और उससे अधिक की कमी हासिल की है. 18 शहरों ने वित्त वर्ष 2023-24 में पीएम10 (60 μg/m3) के लिए राष्ट्रीय परिवेशी वायु गुणवत्ता मानकों (NAAQS) को पूरा किया है."

संसद के जवाब से पता चलता है कि राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) के तहत 2019-20 से 2023-24 तक शहरों को 11,211.13 करोड़ रुपये की राशि प्रदान की गई है. मंत्रालय के जवाब में पीएम 2.5 में कमी का उल्लेख नहीं है, जो वायु प्रदूषण का कारण बनने वाले अत्यंत सूक्ष्म कण हैं. जिन शहरों और कस्बों में पीएम 10 का प्रदूषण केवल 30 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से अधिक बढ़ा हैं, वे हैं नागांव, औरंगाबाद, गया, भुवनेश्वर, जलगांव, कटक, नलबाड़ी, बालासोर, विशाखापत्तनम और अंगुल.

Advertisement

सभी शहरों द्वारा अपने-अपने शहरों में वायु गुणवत्ता सुधार उपायों को लागू करने के लिए शहर-विशिष्ट स्वच्छ वायु कार्य योजनाएं तैयार की गई हैं. पीएम 10 में मिट्टी और सड़क की धूल, वाहनों से निकलने वाला उत्सर्जन, अपशिष्ट जलाना, निर्माण और विध्वंस गतिविधियां और औद्योगिक प्रदूषण जैसे वायु प्रदूषण स्रोतों को लक्षित करना शामिल है. एनसीएपी में 2025-26 तक पीएम10 के स्तर में 40% तक कमी लाने या राष्ट्रीय मानक (60 माइक्रोग्राम/घन मीटर) प्राप्त करने की परिकल्पना की गई है. 

---- समाप्त ----
Live TV

Advertisement
Advertisement