रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के चेयरमैन डॉक्टर सतीश रेड्डी ने आजतक से एक्सक्लूसिव बातचीत में कहा है कि पिछले 40 दिन में 10 मिसाइलों का सफल परीक्षण किया गया है. उन्होंने कहा कि मौजूदा हालात में तीनों सेनाओं के लिए जिस तरह की भी मिसाइल की जरूरत होगी, डीआरडीओ उस तरह की मिसाइल बनाने में सक्षम है.
डॉक्टर रेड्डी ने बताया कि 30 सितंबर को ब्रह्मोस मिसाइल की मारक क्षमता 300 से बढ़ाकर 450 किलोमीटर की दूरी तक की गई. ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल के जमीनी संस्करण का सफल परीक्षण किया गया. यह ऐसी क्रूज मिसाइल है जिसे थल, जल और हवा से दागा जा सकता है. इसकी मारक क्षमता अचूक है. 3 अक्टूबर को शौर्य मिसाइल का सफल परीक्षण किया गया, जिसकी मारक क्षमता 800 किलोमीटर तक है.
उन्होंने कहा कि 9 अक्टूबर को एंटी-रेडिएशन मिसाइल रुद्रम का सफल परीक्षण किए जाने के साथ ही भारत ने स्वदेशी रक्षा विनिर्माण क्षेत्र में एक नई उपलब्धि हासिल कर ली. लंबी दूरी की हवा से मार करने वाली इस मिसाइल को सुखोई-30 एमकेआई लड़ाकू विमान से लॉन्च किया गया था.
डीआरडीओ के चेयरमैन ने कहा कि एंटी-रेडिएशन मिसाइलें रडार, संचार साइट और अन्य रेडियो फ्रीक्वेंसी उत्सर्जन वाले लक्ष्य भेदकर दुश्मन की वायु रक्षा प्रणाली को ध्वस्त करने के लिए होती हैं, जिससे सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल लॉन्च करने की किसी भी योजना को नाकाम किया जा सकता है.
डॉक्टर रेड्डी ने कहा कि भारत ने सेना के अभ्यास परीक्षण के तहत 24 सितंबर को देश में विकसित पृथ्वी-2 मिसाइल का ओडिशा के एक केंद्र से रात के समय सफल प्रायोगिक परीक्षण किया. सतह से सतह पर मार करने वाली यह मिसाइल परमाणु आयुध ले जाने में सक्षम है. उन्होंने कहा कि 5 अक्टूबर को सुपरसोनिक मिसाइल असिस्टेड रिलीज ऑफ टॉरपीडो (SMART) का सफल परीक्षण किया गया. यह परीक्षण भी ओडिशा के तटीय इलाके में किया गया.
डीआरडीओ के चेयरमैन ने कहा कि SMART के जरिए वॉर शिप में स्टैंड ऑफ क्षमता बढ़ाने में मदद मिलेगी. परीक्षण के दौरान इसकी रेंज, एल्टीट्यूड, टॉरपीडो को छोड़ने के सिस्टम ने पूरी तरह से सही काम किया. उन्होंने कहा कि यही कारण है कि रक्षा मंत्रालय ने इसे सफल परीक्षण करार दिया है.