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GST कट से हेल्थकेयर सेक्टर पर क्या असर? डॉ. नरेश त्रेहन ने समझाया मरीजों को कैसे मिलेगा फायदा

केंद्र सरकार ने 30 से ज्यादा लाइफ सेविंग ड्रग्स को जीएसटी फ्री कर दिया है. साथ ही पर्सनल हेल्थ इंश्योरेंस पर लगने वाला 18% जीएसटी भी अब जीरो हो गया है. इस फैसले का हेल्थकेयर सेक्टर और मरीजों पर क्या असर होगा, मेदांता के सीएमडी डॉक्टर नरेश त्रेहन ने विस्तार से इस बारे में बताया है.

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मेदांता के सीएमडी डॉ नरेश त्रेहन ने गिनाए GST कट के फायदे (File Photo: ITG)
मेदांता के सीएमडी डॉ नरेश त्रेहन ने गिनाए GST कट के फायदे (File Photo: ITG)

जीएसटी काउंसिल की बैठक के बाद बुधवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जीएसटी की दरों में कटौती का ऐलान किया है. सरकार इसे मिडिल क्लास के हितों को ध्यान में रखकर लिया गया फैसला बता रही है, जिसके तहत अब टैक्स के चार स्लैब्स को हटाकर, 5% और 18% के दो स्लैब कर दिए गए हैं. सरकार के फैसले से रोजमर्रा के सामानों से लेकर छोटी कारें और घरेलू आइटम्स सस्ते हो जाएंगे. साथ ही हेल्थकेयर के लिहाज से सरकार ने हेल्थ इंश्योरेंस, लाइफ सेविंग ड्रग्स और कैंसर के इलाज की दवाओं को टैक्स फ्री कर दिया है.

हेल्थ सेक्टर के लिए बड़े ऐलान

पर्सनल हेल्थ इंश्योरेंस और लाइफ इंश्योरेंस प्रीमियम पर पहले 18% टैक्स लगता था, लेकिन अब ये जीएसटी फ्री होंगे. इससे न सिर्फ हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम सस्ता हो जाएगा बल्कि ज्यादा से ज्यादा लोगों तक इसकी पहुंच हो सकेगी. इसके अलावा, लाइफ सेविंग ड्रग्स, कैंसर ट्रीटमेंट सहित 30 से ज्यादा दवाओं पर अब जीएसटी शून्य होगा. मेदांता के सीएमडी डॉक्टर नरेश त्रेहन ने सरकार की इस फैसले का स्वागत किया है.

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डॉक्टर नरेश त्रेहन ने कहा कि सरकार ने बहुत ही अच्छा कदम उठाया है और इससे आम जनता पर पड़ने वाला बोझ कम होगा. उन्होंने कहा कि हेल्थ इंश्योरेंस पर पहले जो 18 फीसदी जीएसटी लगता था, उसे जीरो पर लाने से कंपनियों की प्रीमियम कॉस्ट तत्काल प्रभाव से कम हो जाएगी. उन्होंने कहा कि दवाइयों पर पहले जो 12 फीसदी जीएसटी लगता था, उसे पांच फीसदी करने से उनकी कीमत में भी कमी आएगी. अस्पताल में आने वाली मशीनरी पर लगने वाले टैक्स को भी घटाकर पांच फीसदी किया गया है, जबकि लाइफ सेविंग ड्रग्स को जीएसटी फ्री कर दिया गया है.

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कॉस्ट कम होने से सीधे मरीजों को फायदा

डॉक्टर त्रेहन ने कहा कि इससे ओवरऑल हेल्थकेयर की कॉस्ट में कमी आएगी, जिसका सीधा फायदा आम जनता को होगा. अस्पतालों, मशीनरी, दवाओं पर टैक्स का बोझ कम हुआ है, उसका फायदा मरीजों को ही मिलेगा. उन्होंने कहा कि अच्छी क्वालिटी की मशीनें अब भी विदेशों से आ रही हैं और डॉलर की कीमतों के साथ उनके दाम भी बढ़ते जा रहे हैं, ऐसे में जो इंपोर्टेड हेल्थकेयर मशीनरी है, उसपर क्या असर होगा, यह कैलकुलेशन करना अभी बाकी है. उन्होंने कहा कि हेल्थकेयर सर्विस की इनपुट कॉस्ट जितनी कम होगी, उससे मरीजों को ही फायदा होने वाला है.

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हेल्थकेयर सेक्टर की इनपुट कॉस्ट घटने से मरीजों को मिलेगा फायदा

नरेश त्रेहन ने कहा कि वैसे ही हर साल हेल्थकेयर कॉस्ट पांच से आठ फीसदी बढ़ जाती है. लेकिन अब इंश्योरेंस कॉस्ट और डिलीवरी कॉस्ट कम होने से आम जनता पर पड़ने वाला बोझ कम होगा. उन्होंने कहा कि 30 से ज्यादा लाइफ सेविंग ड्रग्स पर जीरो जीएसटी का बहुत बड़ा असर होने वाला है. इसके अलावा कैंसर के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाओं पर टैक्स कटौती से मरीजो को बहुत फायदा होगा. उन्होंने कहा कि अगर रोजाना इस्तेमाल होने वाली दवाओं को भी जीरो टैक्स के दायरे में लाया जाए, तो इसका बहुत बड़ा असर हो सकता है.

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इंश्योरेंस तक ज्यादा लोगों की पहुंच

डॉक्टर त्रेहन ने हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम से जुड़े सवाल पर कहा कि सरकार के कदम से इंश्योरेंस कंपनियों का हौसला बढ़ेगा और ज्यादा हेल्थ पॉलिसी जारी की जाएंगी. उन्होंने कहा कि इंश्योरेंस का नियम है कि जितने ज्यादा लोगों तक उसकी पहुंच होगी, प्रीमियम कॉस्ट उतनी ही कम होगी. उन्होंने कहा कि हेल्थकेयर सर्विस प्रोवाइडर्स और इंश्योरेंस कंपनियों के बीच यह बातचीत चल रही है कि कैसे क्लेम के दौरान मरीजों को होने वाली परेशानी को दूर किया जाए. मरीजों को क्लेम मिलने में टाइम कम लगे और फायदा भी पूरा मिले, इस दिशा में हमारी बातचीत जारी है.

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दवाओं की नई कीमत कम से प्रभावी होंगी? इस सवाल के जवाब में डॉ. त्रेहन ने कहा कि सरकार ने बीती रात को ये ऐलान किए हैं और अभी फार्मा कंपनियों को पूरा कैलकुलेशन करना होगा, इसका असर जांचना होगा. नए बैच वाली मेडिसिन कब से बाजारों में आएंगी, इस पर भी दवा कंपनियों को फैसला लेना है. लेकिन यह बात तय है कि दवाओं की कीमत में जो भी कटौती की होगी, उसका फायदा अंत में मरीजों तक ही पहुंचेगा. 

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उन्होंने कहा कि जीएसटी की दरों में कटौती का फायदा अस्पतालों को नहीं होगा, बल्कि यह कदम आम आदमी यानी मरीजों के हितों को ध्यान में रखकर उठाया गया है. हम सिर्फ ब्रिज हैं, जो भी फायदा पीछे से हमें मिलेगा हमारा काम उसे मरीजों तक आगे बढ़ाने का है. इससे आखिरकार फायदा आम आदमी को ही मिलने वाला है, क्योंकि इनपुट कॉस्ट कम हो जाएगी.

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