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'ये सिर्फ एक एक्सपेरिमेंट...जो रिसर्च के लिए जरूरी', दिल्ली क्लाउड सीडिंग ट्रायल पर सरकार का पक्ष

दिल्ली क्लाउड सीडिंग ट्रायल पर पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने बड़ा बयान दिया हैं. उन्होंने क्लाउड सीडिंग ट्रायल को पूरी तरह से एक्सपेरिमेंट करार दिया है. उन्होंने कहा कि ऐसे ट्रायल सफल या असफल हो सकते हैं, लेकिन ये प्रयोग रिसर्च के लिए जरूरी हैं.

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एक्सपेरिमेंट थी दिल्ली क्लाउड सीडिंग ट्रायल. (Photo: ITG)
एक्सपेरिमेंट थी दिल्ली क्लाउड सीडिंग ट्रायल. (Photo: ITG)

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव एम रविचंद्रन ने दिल्ली क्लाउड सीडिंग ट्रायल को पूरी तरह से एक प्रयोग बताया. उन्होंने कहा कि ऐसे प्रयोग सफल या असफल दोनों हो सकते हैं. ऐसे परीक्षण ऑपरेशनल बनाने से पहले व्यवहार्यता के आकलन के लिए आवश्यक हैं. हालांकि, कांग्रेस ने इस कदम की आलोचना की है. पार्टी का कहना है कि एक या दो दिनों के लिए सीमित क्षेत्र में थोड़ा सुधार होने का दावा करना मजाक है.

रवि चंद्रन पुणे के भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (IITM) में 11वीं WMO वैज्ञानिक सम्मेलन में मौसम संशोधन पर रविवार को भाग लेने पहुंचे थे, जहां क्लाउड सीडिंग परीक्षणों से जुड़े सवाल से उन्होंने कहा, ये पूरी तरह से एक प्रयोग था. हर कोई अलग-अलग चीजें आजमा रहा है.विश्वविद्यालय कोशिश कर रहे हैं, कुछ संस्थान कोशिश कर रहे हैं.

'एक्सपेरिमेंट से ही मिलेगी जानकारी'

उनका कहना है कि ऐसे प्रयोगों और परीक्षणों के माध्यम से ही हमें जानकारी मिलेगी. उन्होंने माना कि ये पूरी तरह से एक प्रयोग था. उन्होंने कहा कि सफलता या विफलता दोनों तरह के परिणाम आ सकते हैं, और इसका मतलब यह नहीं है कि हमें ऐसे परीक्षण करने से परहेज करना चाहिए.

ये रिसर्च के लिए जरूरी

अधिकारी ने आगे कहा कि जहां तक क्लाउड सीडिंग का सवाल है, इसे पूरी तरह से परिचालन (ऑपरेशनल) या अर्ध-परिचालन (सेमी-ऑपरेशनल) बनाने से पहले इसके बारे में अधिक समझने की आवश्यकता है. नए ज्ञान और तकनीक के साथ आने पर, भले ही ये असफल हो, ये भविष्य के शोध कार्य के लिए ज्ञान और जानकारी प्रदान करता है.

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वहीं, जब उनसे पूछा गया कि ऐसे प्रयोगों से पहले क्या कोई नीति होनी चाहिए तो उन्होंने कहा कि जब कोई नई तकनीक आती है तो उसके परीक्षण से मिलने वाली जानकारी महत्वपूर्ण होती है.

अधिकारियों ने बताया कि ये सम्मेलन मौसम संशोधन पर केंद्रित था, जिसमें इस क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) समेत वैज्ञानिक प्रगतियों पर विशेष जोर दिया गया.

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