झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और BJP नेता चंपई सोरेन ने राज्य में SIR लागू करने की मांग की है. उन्होंने आजतक के साथ विशेष बातचीत में कहा कि झारखंड को भी बिहार की तरह SIR की जरूरत है.
चंपई सोरेन ने एक बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी का मामला उजागर करते हुए बताया कि कुछ क्षेत्रों में 4,143 फर्जी जन्म प्रमाण पत्र जारी किए गए हैं. जमशेदपुर के चकुलिया में मतियाबाग इसका एक उदाहरण है, जहां जिन लोगों के फर्जी प्रमाण पत्र बनाए गए, उनमें से कोई भी वहां रहता ही नहीं है. इस मामले के सामने आने के बाद जिला कलेक्टर (DC) ने कार्रवाई की.
सोरेन ने कहा कि पिछले 350 वर्षों से घुसपैठ के जरिए आदिवासियों के अधिकारों को छीना जा रहा है. आजादी के बाद से झारखंड में आदिवासी आबादी 1951 में 44% से घटकर 2011 में 28% हो गई और घुसपैठ ने राज्य की जनसांख्यिकी को बुरी तरह बदल दिया है.
तिलका मांझी ने किया संघर्ष
उन्होंने इतिहास का जिक्र करते हुए कहा कि 1770 में तिलका मांझी ने आदिवासियों के लिए संघर्ष किया था. इसके बाद 1855 में और फिर 1875-1900 के बीच बिरसा मुंडा ने जल, जंगल और जमीन के लिए लड़ाई लड़ी.
उन्होंने कहा कि शिबू सोरेन की छवि आज भी इसलिए बनी हुई है, क्योंकि उन्होंने आदिवासियों की चिंता की और लगातार उनके लिए आंदोलन किया. फिर भी आदिवासियों की स्थिति में सुधार नहीं हुआ और उनकी जमीन बांग्लादेश से आए घुसपैठियों द्वारा हड़प ली गई.
चंपई सोरेन ने सवाल उठाया कि फर्जी जन्म प्रमाण पत्र कैसे बनाए जा रहे हैं और इसके पीछे कौन है. उन्होंने संदेह जताया कि इसका मकसद वोट हासिल करना हो सकता है.
उन्होंने कहा कि झारखंड के खनिज देश को रोशनी देते हैं, लेकिन आदिवासी घर अंधेरे में डूबे हैं. इसके अलावा उन्होंने वर्तमान सरकार पर आदिवासी मुद्दों के प्रति उदासीनता का आरोप भी लगाया है.