आम आदमी पार्टी की राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल के साथ कथित अभद्र व्यवहार के आरोप में गिरफ्तार दिल्ली के मुख्यमंत्री के करीबी और निजी सहायक बिभव कुमार की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका सुनवाई योग्य है या नहीं, इस पर दिल्ली हाईकोर्ट ने सभी पक्षों की दलील सुनकर फैसला सुरक्षित रख लिया है.
जस्टिस स्वर्णकांता शर्मा की बेंच में सुनवाई शुरू हुई तो कोर्ट ने कहा कि पहले इस याचिका की मेंटेनेबिलिटी पर फैसला लेना होगा. दिल्ली पुलिस के वकील पूर्व एडिशनल सॉलिसिटर जनरल संजय जैन ने कहा कि ये याचिका मेंटेनेबल यानी सुनवाई योग्य ही नहीं है. इस पर विभव के वकील एन हरिहरन ने कहा कि इस मामले में जांच अधिकारी को यह देखना चाहिए था कि इसमें गिरफ्तारी की जरूरत है या नहीं, उसके बाद ही उन्हें गिरफ्तार किया जाना चाहिए था. अर्नेश कुमार के फैसले के आधार पर गिरफ्तारी को चुनौती दी जा सकती है.
हरिहरन ने दलील दी कि मैंने अग्रिम जमानत याचिका दायर की थी, जब करीब 4-4:30 बजे के आसपास निचली अदालत में सुनवाई हो रही थी, तब बिभव को करीब 4:15 बजे गिरफ्तार कर लिया गया. अगर गिरफ्तारी इस तरह से हो रही है तो अदालत को हस्तक्षेप करना चाहिए. उन्होंने दलील दी कि इस मामले में स्वाति मालीवाल के साथ 13 मई की सुबह मुख्यमंत्री के सरकारी आवास में मारपीट का आरोप लगा, तीसरे दिन मालीवाल ने 16 मई को एफआईआर दर्ज कराई, इसके दो दिन बाद 18 मई को बिभव कुमार की गिरफ्तारी हुई, जबकि इस केस में गिरफ्तारी की ज़रूरत नहीं है. बिभव के खिलाफ कोई आरोप नहीं है कि इस केस में कोई बरामदगी होनी थी.
बिभव की ओर से पेश हुए एडवोकेट हरिहरन ने कहा कि गिरफ्तारी से पहले गिरफ्तारी के आधार/ वजह आरोपी को नहीं बताए गए. गिरफ्तार के आधार को लिखित मे दर्ज करना आवश्यक होता है. सीआरपीसी की धारा 41ए के नियमों का उल्लंघन हुआ है. बिभव की पैरवी करते हुए हरिहरन ने कहा कि जब कोई बरामदगी नहीं होनी थी तो गिरफ्तारी की क्या ज़रूरत थी.
वकील एन हरिहरन ने कहा कि इस तरह से गिरफ्तार किए जाने से बिभव के मौलिक अधिकार का हनन किया गया है. पुलिस ने सीआरपीसी की धारा 41ए की प्रक्रिया का उल्लंघन किया है, जिसमें गिरफ्तारी से पहले की पूरी अनिवार्य पालनीय प्रक्रिया का ब्योरा है.
दिल्ली पुलिस की तरफ से पेश हुए सीनियर वकील संजय जैन ने कहा कि बिभव की ओर से ये दलील निचली अदालत में दी गई थी कि गिरफ्तारी के लिए ज़रूरी दिशा-निर्देश का उल्लंघन हुआ है, लेकिन ट्रायल कोर्ट का कहना था कि पुलिस ने ये साफ कर दिया है कि बिभव की तुरंत गिरफ्तारी की ज़रूरत क्यों थी. वकील संजय जैन ने कहा कि ट्रायल कोर्ट ने इस बारे में जो 20 मई को आदेश दिया था, उसकी जानकारी बिभव ने यहां हाईकोर्ट में नहीं दी है. अगर वो मजिस्ट्रेट के इस निष्कर्ष से सहमत नहीं थे तो इसके खिलाफ रिवीजन पिटीशन दाखिल कर सकते थे, पर उन्होंने इस विकल्प को नहीं चुना. सीधे यहा हाईकोर्ट में अर्जी दायर कर दी.