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दहेज से तौबा, दौलत की नुमाइश नहीं, सादगी से वलीमा, मुस्लिमों की शादी के लिए पर्सनल लॉ का संकल्प पत्र

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने अपने संकल्प पत्र में शादियों के बारे में कहा गया है कि बड़े जलसा घरों में निकाह करने की बजाय मस्जिदों में निकाह कर के खर्चे कम किए जाएं. सिर्फ बाहर से आने वाले मेहमानों व घर वालों के लिए ही दावत का इंतजाम किया जाए बाकी लोगों के लिए नहीं.

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प्रतीकात्मक चित्र
प्रतीकात्मक चित्र
स्टोरी हाइलाइट्स
  • ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का संकल्प पत्र
  • सामाजिक बुराइयों पर मुस्लिमों को जागरूक करेंगे
  • निकाह में फिजूलखर्ची और दहेज प्रथा का किया विरोध

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने मुस्लिम समाज द्वारा निकाह में फिजूलखर्ची पर रोक लगाने और दहेज प्रथा बंद करने के लिए संकल्प पत्र जारी किया है. इस संकल्प पत्र में मुस्लिम समाज में चल रही कई चीजों पर रोक या कंट्रोल करने की बात कही गयी है. संकल्पपत्र में शादियों के बारे में कहा गया है कि बड़े जलसा घरों में निकाह करने की बजाय मस्जिदों में निकाह कर के खर्चे कम किए जाएं. इकरारनामे में सिर्फ बाहर से आने वाले मेहमानों व घर वालों के लिए ही दावत का इंतजाम किए जाने का संकल्प लेने को कहा गया है.

आपको बता दें कि निकाह में गलत रस्मों को खत्म करने के लिए पर्सनल लॉ बोर्ड ने प्रदेश में 10 दिवसीय अभियान शुरू किया है. यह अभियान 6 अप्रैल तक चलेगा. इसके तहत लोगों से एक इकरारनामा मानने के लिये कहा गया है. इस इकरारनामे के मुताबिक निकाह को सादा और आसान बनाएंगे. बेकार रस्म रिवाजों, खासतौर पर दहेज की मांग, हल्दी, रतजगा से परहेज करेंगे.

संकल्प पत्र में कहा गया है कि बरात की रस्म को खत्म कर मस्जिद में सादगी के साथ निकाह का करने पर फोकस करेंगे. निकाह में दावत की व्यवस्था सिर्फ शहर के बाहर के मेहमानों और घर के लोगों के लिए करेंगे. निकाह में शिरकत करेंगे लेकिन निकाह की तकरीब वाली खाने की दावत से बचेंगे. वलीमा की दावत सादगी के साथ, दौलत की नुमाइश के बगैर गरीबों और जरूरतमंदों का ख्याल रखते हुए करेंगे.

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दावत-ए-वलीमा/निकाह की जिस महफिल में सुन्नत व शरीयत का ख्याल रखा जाएगा उसमें शामिल होंगे. इसके खिलाफ अमल पर भरपूर और साफ अंदाज में नापसन्दगी करेंगे. निकाह या दावत-ए-वलीमा की महफिल में आतिशबाजी, गाना बजाना, वीडियोग्राफी और खेल तमाशे से बचते हुए निकाह के लिए कीमती शामियाना और कीमती स्टेज का इस्तेमाल नहीं करेंगे.

नौजवान अपने निकाह को सादगी के साथ कम खर्च में अंजाम देंगे. इसके खिलाफ किसी अंदरूनी दबाव को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करेंगे. निकाह के तय वक्त की सख्ती से पाबंदी करेंगे. निकाह के बाद सुन्नत व शरीयत के मुताबिक खुशगवार शादीशुदा जिंदगी गुजारेंगे और अपनी बीवी के साथ बेहतर सुलूक करेंगे. औलाद होने पर उसकी बेहतरीन तालीम व तरबियत की व्यवस्था करेंगे और सुन्नत व शरीयत का पाबंद बनाने की हर मुमकिन कोशिश करेंगे.

 

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