राज ठाकरे की सुरक्षा को हटाने को लेकर लगाई गई याचिका पर हाई कोर्ट ने केंद्र से जवाब मांगा है. सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने कहा है कि 'सुरक्षा दी जाए या न दी जाए ये तय करना सरकार का काम है.' इसपर केंद्र ने कहा कि 'हम राज ठाकरे को कोई सुरक्षा नहीं दे रहे है, सुरक्षा महाराष्ट्र सरकार दे रही है.'
कोर्ट ने कहा कि केंद्र फिर से जांच कर बताए की राज ठाकरे को केंद्र से सुरक्षा मिल रही है या फिर राज्य सरकार से. केंद्र को 26 अगस्त तक जवाब देने का समय दिया गया है.
राज करते हैं सुरक्षा का गलत इस्तेमाल
दिल्ली हाई कोर्ट में राज ठाकरे की सुरक्षा को हटाने को लेकर लगाई गई याचिका में कहा गया है कि वो सरकार से मिली Y कैटेगरी की सुरक्षा का दुरूपयोग कर रहे हैं. उनकी जान को किसी से खतरा नहीं है बल्कि वो खुद 70 लाख गैरमराठी लोगों और कानून व्यवस्था के लिए खतरे और आतंक का पर्याय बने हुए हैं.
सुरक्षा को ढाल बनाकर करते हैं जमीन पर कब्जा
दिल्ली के एक वकील की तरफ से लगाई गई याचिका में ये भी कहा गया है कि वो न तो अब तक कभी सांसद या मंत्री रहे हैं न ही वो किसी संवैधानिक पद पर रहे हैं, लिहाजा उन्हें इस तरह की सुरक्षा मिलने
का कोई औचित्य ही नहीं है. याचिका में कहा गया है कि उन्हें मिली Y कैटेगरी की सुरक्षा को ढाल बनाकर उन्होंने कई बेशकीमती जमीनों पर कब्जा कर रखा है, जिनकी कीमत कई सौ करोड़ है. इसके अलावा वो मातोश्री के नाम से कई प्राइवेट कम्पनियों के मुखिया भी हैं.
आरोपी के तौर पर मिली थी सुरक्षा
याचिका में कहा गया है कि बिहार, झारखंड, यूपी समेत कई राज्यों मे उनके खिलाफ गैरजमानती वारंट जारी किए गए लेकिन आज तक वो किसी अदालत में इसी सुरक्षा को बहाना बनाकर पेश नहीं हुए. 1992 में मुबई में हुए दंगो के दौरान बाल ठाकरे और राज ठाकरे को पुलिस ने आरोपी बनाया था. और उसी दौरान एक आरोपी के तौर पर उनको Z केटेगरी की सुरक्षा दी गई थी.