गणतंत्र दिवस पर शिवसेना ने सरकार पर निशाना साधा है. पार्टी के मुखपत्र सामना में तंज कसा गया है कि जनतंत्र में जनता खुद की कमाई ही बैंक से नहीं निकाल पा रही और मेहनतकशों को अपराधियों की तरह कतार में खड़ा होना पड़ रहा है.
'नोटबंदी में कैसा जनतंत्र?'
अखबार में लिखे लेख में देश में सुरक्षा के माहौल पर भी सवाल खड़े किये गए हैं. पार्टी ने पूछा है कि जब पीएम और उनके मंत्री सुरक्षा घेरे में घूमते हैं और आतंकी हमले का खतरा बरकरार है तो ऐसे में नई सरकार आने के बाद क्या बदला है?
जश्न में जनता कितनी भागीदार?
शिवसेना की राय में 15 अगस्त और 26 जनवरी जैसे मौकों पर सरकारी समारोहों में मुलाजिमों की भीड़ इकट्ठी की जाती है और जनता की भागीदारी ना के बराबर होती है. कई बार कंपकंपाती सर्दी में स्कूली बच्चों से परेड करवाई जाती है. पार्टी के मुताबिक स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय योगदान देने वाली जनता अब नहीं है.
'कब जाएगी गरीबी?'
लेख में मलाल जाहिर किया गया है कि बड़े-बड़े वायदों के बावजूद गरीबी और महंगाई जैसे राक्षस अब भी गरीबों की छाती पर खड़े हैं. पार्टी ने पूछा है कि हर साल की तरह आज भी देश भर में तिरंगा फहराया जाएगा लेकिन क्या देश का परचम सुरक्षित है?