अयोध्या से लौटने के बाद शिवसेना मुखपत्र सामना के कार्यकारी संपादक संजय राउत ने अखबार में लंबे चौड़े लेख में लिखा है कि राम मंदिर बनने के लिए पैसा कम नहीं पड़ेगा. राउत ने लिखा, दुनियाभर के पर्यटक आगरा स्थित ताजमहल देखने के लिए आते हैं. उसी तरह अयोध्या में राम मंदिर देखने के लिए पयर्टक आए इस तरह से राम मंदिर की भव्य इमारत बेहतरीन उदाहरण के रूप में बने. इस कार्य के लिए पैसा कम नहीं पड़ेगा, ऐसा मैं इसलिए कह रहा हूं कि अयोध्या नगरी में धन के राजा कुबेर का भी चरण स्पर्श हो गया है.
राउत ने लेख में लिखा, 70 एकड़ जमीन प्रस्तावित मंदिर के लिए अधिग्रहित की जाएगी. वहीं राम मंदिर बनेगा. इसी क्षेत्र में विवेचना सभा द्वारा स्थापित किया गया 'कुबेर टीला' नामक शिलालेख है. अयोध्या का इतिहास स्पष्ट करनेवाले रुद्रयामल ग्रंथ के अनुसार युगों पहले यहां धन के देवता कुबेर का आगमन हुआ था. कुबेर ने ही राम जन्मभूमि के पास ऊंची पहाड़ी पर भोले बाबा के लिंग की स्थापना की थी. बाद में वहां पार्वती, गणेश, कार्तिकेय, नंदी और कुबेर सहित लगभग 9 देवी-देवताओं की मूर्तियां स्थापित हुईं. अब इस स्थल को 'नवरत्न' परिसर कहा जाता है. इन सभी नवरत्नों का अब जीर्णोद्धार होगा.

संजय राउत का लेख
शिवसेना नेता और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे हाल ही में अयोध्या दौरे से लौटे हैं. वहां उन्होंने अपने निजी खाते से एक करोड़ रुपये देने की बात कही थी. इसी के साथ राउत ने उम्मीद जताई है कि रामलला के खाते में दानदाता उसमें खुलेहाथों से पैसा जमा करेंगे. इसके साथ ही लेख में कामना की गई है कि रामलला के खाते में पैसे की गंगा बहे.
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लेख में लिखा गया, कारसेवकों के रक्त से सरयू लाल हो गई थी. वो दिन हर किसी को याद आए और उनका स्मरण हो, ऐसी कोई शिला राम मंदिर में खड़ी हो तो अच्छा होगा, नहीं तो स्वतंत्रता के लिए कोई योगदान न देनेवाले जैसे बाद में स्वतंत्रता सेनानी बन गए और वास्तविक योद्धा हमेशा अंधेरे में रहे वैसा ही होगा. लड़ा कौन और बैठा कौन, हमेशा की तरह ऐसी राजनीति राम मंदिर निर्माण में तो न हो.
संजय राउत का लेख
राउत का कहना है कि अयोध्या में जब-जब शिवसेना ने कदम रखा तब-तब शिवसेना आगे ही बढ़ी. इस सत्य को नकारा नहीं जा सकता है. ठाकरे इससे पहले दो बार किसी पद के बगैर वहां गए. अब मुख्यमंत्री बनकर अयोध्या पहुंचे, तब उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से उन्हें प्रभु श्रीराम की धरती पर 'गार्ड ऑफ ऑनर' दिया गया. इस ऐतिहासिक क्षण के अनुभव का मौका मिला और खुद उद्धव ठाकरे भाव-विभोर हो गए. बालासाहेब ठाकरे ने अयोध्या आंदोलन का नेतृत्व किया. बाबरी विध्वंस मामले में आरोपी बनकर वे लखनऊ की सीबीआई अदालत गए. वो एक देवदुर्लभ समारोह था. पूरा लखनऊ शहर मानो उनके स्वागत के लिए सड़क पर उतर गया. उन्हीं बाल ठाकरे के बेटे उद्धव को उत्तर प्रदेश सरकार ने अयोध्या की धरती पर मानवंदना दी.
'30 वर्ष बाद भगवान राम तंबू से बाहर निकलेंगे'
राउत ने इस बात का भी जिक्र किया कि कैसे अयोध्या का अब कायाकल्प होनेवाला है. राउत ने लिखा की फिलहाल रामलला एक तंबू में विराजित हैं और 100 फुट की दूरी से उनका दर्शन करना पड़ता है. संपूर्ण परिसर की अवस्था मानो तिहाड़ जेल जैसी हो गई है. कई अवरोधों को पार करके तंबू में विराजित राम के दर्शन के लिए पहुंचना पड़ता है. ये संपूर्ण हालात आगामी 24 मार्च के बाद बदल जाएंगे.
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राउत ने लिखा, मंदिर बनाने की प्रक्रिया अब शुरू हो चुकी है. चैत्र नवरात्रि से एक दिन पहले 24 मार्च को तंबू से रामलला को बाहर निकाला जाएगा और नई जगह पर विराजित किया जाएगा. इसके लिए एक फाइबर के मंदिर का निर्माण किया गया है. लगभग 30 वर्षों बाद भगवान राम तंबू से बाहर निकलेंगे. इससे पहले वे मस्जिद के गर्भगृह में थे.
संपूर्ण अयोध्या का हो जीर्णोद्धार: राउत
इसी के साथ राउत ने अपने लेख में लिखा है, राम मंदिर के आस-पास असंख्य मंदिर, पुरानी गिरी हुई दीवारें अपने-अपने देवी-देवताओं को संजोए खड़ी हैं. अंदर निश्चित तौर पर कौन से भगवान हैं, ये बहुधा अयोध्यावासियों को भी पता नहीं होगा. अयोध्या स्थित ज्यादातर मंदिर और मठ जर्जर हो चुके हैं. गढ़ और महलों की रौनक चली गई है, इसलिए सिर्फ राम मंदिर का ही नहीं, बल्कि संपूर्ण अयोध्या का जीर्णोद्धार इस माध्यम से होना चाहिए. मानस भवन, शेषावतार, साक्षी गोपाल, सीता रसोई, आनंद भवन, राम खजाना और विश्वामित्र आश्रम ऐसे कई मंदिरों की दशा खराब है.
अयोध्या जाने से पहले राउत उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी मिले थे. साथ ही राम जन्मभूमि ट्रस्ट के लोगों से भी मुलाकात की थी. अपने लेख मे राउत ने बननेवाले मंदिर के बारे में जानकारियां दी हैं.