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महाराष्ट्र विधानसभा में 15 दिन के अंदर फोटो कॉपी पर खर्च हुए 50 लाख रुपये

नागपुर विधायक हॉस्टल से विधान भवन आने-जाने के लिए कुल 20 लाख रुपये खर्च हुए. विधायक की गाड़ियों में पेट्रोल डीज़ल का खर्चा करीब 20 लाख के आसपास रहा. जिस विधायक ने निजी गाड़ी का अधिवेशन के दौरान इस्तेमाल किया, उन सभी को मिलकर 10 लाख रुपये खर्च किए गए.

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सीएम देवेंद्र फडणवीस के साथ शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे (ट्विटर-फाइल फोटो)
सीएम देवेंद्र फडणवीस के साथ शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे (ट्विटर-फाइल फोटो)

महाराष्ट्र के पुणे के आरटीआई एक्टिविस्ट प्रफुल्ल सारडा ने आरटीआई के जरिए महाराष्ट्र सरकार द्वारा मॉनसून अधिवेशन पर किए जाने वाला खर्चा का लेखा-जोखा पूछा. इस आरटीआई एक्टिविस्ट के मुताबिक जो जानकारी उसे सरकार की ओर से अधिकारिक रूप में मिली है, वो चौंकाने वाली है.

प्रफुल्ल ने 16 विषयों से संबंधित जानकारी सरकार से मांगी थी. इस आरटीआई में जिन 5 खर्चों का जिक्र गया है, वे हैरान करने वाले हैं. सरकारी धन का ऐसा बेजा इस्तेमाल देखकर किसी के माथे पर बल आ सकता है.

2018 मॉनसून अधिवेशन खर्च

1. निजी लक्जरी बस भाड़ा

15 दिनों के लिए- दो करोड़ 22 लाख रुपये महेश ट्रेवल को अदा किया गया.

2. फोटोकॉपी मशीन चार्ज

15 दिनों के लिए- 50 लाख रुपये.

3. रेलवे पोस्टल खर्चा

15 दिनों के लिए- 5 लाख रुपये.

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4. राज्य परिवहन मंडल

नागपुर विधायक हॉस्टल से विधान भवन आने-जाने के लिए कुल 20 लाख रुपये खर्च हुए. विधायक की गाड़ियों में पेट्रोल डीज़ल का खर्चा करीब 20 लाख के आसपास रहा. जिस विधायक ने निजी गाड़ी का अधिवेशन के दौरान इस्तेमाल किया, उन सभी को मिलकर 10 लाख रुपये खर्च किए गए. कुल मिलाकर 16 पटल में से 6 घटक मिलाकर रुपये 3.15 करोड़ रुपये खर्च किये गए.

नागपुर की महेश ट्रेवल कंपनी से इस आरटीआई एक्टिविस्ट ने 50 सीटर एसी लक्जरी बस प्रति दिन के हिसाब से कोटेशन की मांग की. जानकारी मिली कि महेश ट्रेवल कंपनी एक दिन के लिए 12 हजार रुपये में एसी लक्जरी बस उपलब्ध कराती है. अगर इन बसों को 15 दिन के लिए इस्तेमाल किया जाए तो करीब 15 लाख रुपये ही खर्च होंगे.

इसके अलावा इस आरटीआई एक्टिविस्ट ने 2004 से 2018 तक हुए सभी अधिवेशन के खर्चे का हिसाब मांगा था.

2004 से 2012 तक के आंकड़े नहीं हैं उपलब्ध

आरटीआई कमिश्नर ने जानकारी दी कि 2004 से 2012 तक की जानकारी मंत्रालय में लगी आग में जलकर नष्ट हो गए हैं. 2013 और 2014 यानी कांग्रेस-एनसीपी के राज में चौंकाने वाले खर्चे हुए हैं. किराए पर ली गई जिरॉक्स मशीन पर 70 लाख रुपए खर्च किए हैं. 2013 और 2014 जब कांग्रेस-एनसीपी सत्ता में रही प्राइवेट बस सेवा के लिए कोई भी खर्च नहीं किया गया.

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आजतक ने पुणे की भारतीय जनता पार्टी(बीजेपी) विधायक मेधा कुलकर्णी से इस मामले में सवाल किया तो उन्होंने कहा कि उन्हें इन खर्च के बारे में कोई जानकारी नहीं है. मेधा कुलकर्णी ने कहा कि उन्होंने कभी नागपुर विधायक हॉस्टल से विधान भवन आने -जाने के लिए बस का इस्तेमाल किया नहीं.

उन्होंने यह भी कहा कि ये सारे खर्चे वैध ही होंगे. वहीं कांग्रेस नेता मोहन जोशी के कहते हैं कि बीजेपी-शिवसेना और साथ में कांग्रेस-एनसीपी के कार्यकाल में हुए अधिवेशन खर्चे की जांच होनी चाहिए. जो भी दोषी पाया जाए, उस पर सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए.

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