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सड़क हादसे के बाद घायल इंसानों को मिला इलाज, लेकिन तड़पता रहा ये बेजुबान

सड़क हादसे के करीब एक घंटे बाद वनविभाग कर्मी उस नीलगाय को एक गाड़ी में डालकर अकोला वनविभाग लेकर आये और फिर नीलगाय का इलाज शुरू किया गया. वेटरनरी डॉक्टर की टीम ने बड़ी तत्परता से नीलगाय के पैर को जोड़ा.

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सड़क हादसे में घायल नीलगाय
सड़क हादसे में घायल नीलगाय

महाराष्ट्र के वाशिम ज़िले में अचानक मोटर साइकिल और नीलगाय का झुंड आपस में टकरा गए. भिड़ंत इतनी जोरदार थी कि दो मोटर साइकिल सवार समेत भारी-भरकम नीलगाय भी बुरी तरह ज़ख़्मी हो गई. हादसे में बेजुबान नीलगाय के पिछले दोनों पैर टूट गए हैं. जख्मी बाइक सवारों को तो तुरंत एंबुलेंस से पास के अस्पताल में इलाज के लिए ले जाया गया लेकिन बेजुबान नीलगाय किसी से अपना दर्द नहीं कह पा रही थी, जबकि उसकी छोट घायल हुए लोगों से ज्यादा गंभीर थी.

हादसे के बाद घबराई और बेबस नीलगाय यह सब अपनी आंखों से देख रही थी, आसपास क्या हो रहा है उसे समझने की कोशिश कर रही थी. वह उठकर भागना चाह रही थी लेकिन पिछले पैरों ने साथ छोड़ दिया था. उसको देखकर ऐसा लग रहा था कि तकलीफ उसे बहुत हो रही थी लेकिन वह न चिल्ला सकती, न किसी को बता सकती थी.

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सड़क हादसे के करीब एक घंटे बाद वनविभाग कर्मी उस नीलगाय को एक गाड़ी में डालकर अकोला वनविभाग लेकर आये और फिर नीलगाय का इलाज शुरू किया गया. वेटरनरी डॉक्टर की टीम ने बड़ी तत्परता से नीलगाय के पैर को जोड़ा. इलाज के दौरान नीलगाय की गंभीर स्थिति देखकर हर किसी को बहुत दुख हो रहा था. अब देखना ये है कि 300 किलो से ज़्यादा वजनी नीलगाय कब तक अपने पैरों पर खड़ी हो पाती है.

देश-दुनिया में रोज हजारों सड़क हादसे होते हैं. कई बार बेजुबान जानवर भी इनकी चपेट में आते हैं, लेकिन एजेंसियों का ध्यान इंसानों की जान बचाने पर होता है और बेजुबान जानवर अपने दर्द किसी से बयां कर नहीं पाते हैं. जरुरत है कि हादसों में जख्मी जानवारों को भी जल्द से जल्द उपचार मुहैया कराया जाए, तभी बेजुनानों का दर्द कम किया जा सकता है.      

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