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महाराष्ट्र: वरवर राव को मिली अस्पताल से छुट्टी, कोर्ट ने दी है 6 महीने की अंतरिम जमानत

एल्गार परिषद मामले में गिरफ्तार किए गए वरवर राव को बॉम्बे हाईकोर्ट ने 22 फरवरी को 6 महीने की अंतरिम जमानत दी थी. उन्हें यह जमानत स्वास्थ्य कारणों के चलते दी गई थी.

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वरवर राव साल 2018 से जेल में बंद थे. (फाइल फोटो)
वरवर राव साल 2018 से जेल में बंद थे. (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • बॉम्बे हाईकोर्ट ने 22 फरवरी को दी थी जमानत
  • कोरोना संक्रमित हुए थे वरवर राव
  • भीमा कोरेगांव केस में जेल में थे बंद

कवि और सामाजिक कार्यकर्ता वरवर राव को शनिवार को अस्पातल से छुट्टी मिल गई है. भीमा कोरेगांव केस में जेल में बंद वरवर राव पिछले साल जुलाई में कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे. न्यायिक हिरासत में नवी मुंबई के तालोजा जेल में बंद वरवर राव को उसके बाद सरकारी जेजे अस्पताल में भर्ती कराया गया था. तब वरवर राव के परिवार ने उनकी बिगड़ती हालत को लेकर चिंता जाहिर की थी. इसके बाद हाई कोर्ट ने उन्हें नानावती अस्पताल में भर्ती कराने का आदेश दिया था. अब उन्हें अस्पातल से छुट्टी मिल गई है.

एल्गार-परिषद मामले में गिरफ्तार किए गए वरवर राव को बॉम्बे हाईकोर्ट ने 22 फरवरी को 6 महीने की अंतरिम जमानत दी थी. उन्हें यह जमानत स्वास्थ्य कारणों के चलते दी गई थी. मेडिकल जमानत के आधार पर मिली जमानत के साथ शर्त रखी गई थी कि उन्हें मुंबई में ही रहना है और जांच के लिए उन्हें उपलब्ध रहना होगा. उन्होंने कोर्ट से अपील की थी कि जमानत संबंधी लंबित प्रकिया पूरी करने से पहले उन्हें जमानत दी जाए ताकि वह इन प्रकियाओं के लिए आवश्यक चीजों का बंदोबस्त कर सकें. कोर्ट ने कहा था कि अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद उन्हें रिहा किया जाए.

82 वर्षीय राव को शुरू में पुणे पुलिस ने गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत प्रतिबंधित माओवादी समूहों के साथ संबंध रखने के लिए गिरफ्तार किया था. जब उच्च न्यायालय ने उन्हें विभिन्न शर्तों पर 22 फरवरी को जमानत दे दी थी तो राव को दो व्यक्तियों की तलाश करनी थी, जो 50,000 रुपये की राशि के लिए जमानत के रूप में खड़े हो सकें. उनके वकीलों ने इस प्रक्रिया को लेकर कोर्ट से उदारता बरतने की मांग की थी.

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