महाराष्ट्र में सहयोगी पार्टी शिवसेना से लगातार बढ़ती तल्खी के बीच बीजेपी की शरद पवार की पार्टी एनसीपी से समर्थन के लिए बातचीत होने की खबर आई थी, लेकिन खुद पवार ने इन खबरों को नकार दिया है.
बीजेपी पर बरसे पवार
पवार ने कहा कि हमसे समर्थन के लिए किसी ने बातचीत नहीं की और हालात भी ऐसे नहीं हैं. इस हालात में दूरी कायम रखना ही सही है. हालांकि इस बीच शरद पवार ने बीजेपी पर हमला
बोल दिया है. पवार ने कहा कि राज्य और देश में हालात भयावह हैं. उन्होंने
कहा, 'राज्य की सरकार गिरेगी नहीं. बीजेपी और शिवसेना दोनों सत्ता से
चिपके रहना चाहती हैं. दोनों लड़ेंगे, एक-दूसरे के खिलाफ बयानबाजी करेंगे
लेकिन सत्ता नहीं छोड़ेंगे.'
बैकफुट पर बीजेपी
सूत्रों ने बताया था कि बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं ने शरद पवार और प्रफुल्ल पटेल से बातचीत करके शिवसेना को यह संदेश दे दिया है कि अगर वे फड़नवीस सरकार से अपना समर्थन वापस लेते हैं तो भी सरकार को कोई खतरा नहीं है. लेकिन पवार के बयान के बाद बीजेपी की मुसीबत बढ़ना तय है. पाकिस्तानी गजल गायक गुलाम अली का कंसर्ट रद्द कराने और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के सहयोगी रहे सुधींद्र कुलकर्णी पर कालिख पोतने के बाद से बीजेपी-शिवसेना के संबंधों में काफी खटास आ गई है.
निगम चुनाव में टूटा गठबंधन
हालांकि मंगलवार को शिवसेना के वरिष्ठ नेता संजय राउत इस बात से इनकार कर चुके हैं कि उनकी पार्टी के नेता मंत्रीपद से इस्तीफा नहीं देंगे, लेकिन बीजेपी और शिवसेना कल्याण-डोंबिवली नगर निगम चुनाव में अलग-अलग चुनाव लड़ने का फैसला कर चुकी हैं. इस चुनाव में 1 नवंबर को 122 सीटों पर मतदान होगा. बीजेपी ने इस चुनाव के लिए आधी सीटें मांगी थी, लेकिन शिवसेना ने बीजेपी को पचास फीसदी सीटें देने से इनकार कर दिया.
एनसीपी के साथ आसान नहीं होगी राह
हालांकि अभी शिवसेना ने गठबंधन से अलग होने का फैसला तो नहीं किया है, लेकिन अगर ऐसा होता है तो एनसीपी के समर्थन से फड़नवीस के लिए सरकार चलाना आसान नहीं होगा. एनसीपी ने विधानसभा चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी के दूसरे वरिष्ठ नेताओं पर लगातार हमले किए थे. जबकि मुख्यमंत्री फड़नवीस सिंचाई घोटाले को लेकर शरद पवार के भतीजे अजित पवार पर निशाना साधने में सबसे आगे थे.